Ayodhya News: 21 किलो के चांदी के झूले पर विराजमान हुए रामलला, 498 साल बाद आया ऐसा संयोग

अयोध्या में रामलला के लिए 21 किलोग्राम का नया चांदी का झूला बनाया गया है, जहां रामलला विराजमान हुए।

Newstrack :  Network
Published By :  Deepak Raj
Update: 2021-08-17 14:21 GMT

प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स-सोशल मीडिया)

Ayodhya News: अयोध्या में रामलला के लिए 21 किलोग्राम का नया चांदी का झूला बनाया गया है, जहां राम लला विराजमान हुए। यह शुभ संयोग 492 लाल के बाद आया है। इससे पहले विवादित मामला होने के कारण 28 वर्षों से रामलला टेंट में विराजमान थें। लेकिन इस बार अस्थाई तौर पर मंदिर में शिफ्ट किया गया है। जहां श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से 21 किलो चांदी के झूले भगवान रामलला को समर्पित किए गए हैं।


प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स-सोशल मीडिया)

ट्रस्ट के इस फैसले से लोगों में खूशी की लहर है 

ट्रस्ट के इस कदम से लोगों में खूशी की लहर है और लोग इस बार झूलनोत्सव का आनंद बड़े हीं उत्साह से लेंगे। इससे पहले रामलला को लकड़ी के साधारण झूलों पर विराजमान कराए जाते थे, लेकिन अब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से 21 किला चांदी के झूले भगवान रामलला को समर्पित किए हैं। मंदिर के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि विवादित ढांचे में जब रामला विराजमान थे तो वहां पर संगीत का कार्यक्रम चलता था। लेकिन ढ़ांचा गिरने के बाद वहां पर सब बंद रहा। इस वर्ष ट्रस्ट ने चांदी का झूला बनाकर रामलला को समर्पित किया है।


चांदी का झूला (फाइल फोटो, सोर्स-सोशल मीडिया)


इससे लोगों में बड़ा उत्साह हुआ है। दास ने बताया कि रामलला के परिसर में झूलनोत्सव का आनंद लेते हुए भगवान रामलला को अब संगीत भी सुनाया जा रहा है। बता दें कि अयोध्या में हर वर्ष श्रावण शुक्ल तृतीया को झूलन महोत्सव की शुरुआत होती है। अयोध्या के सभी प्रमुख मंदिरों से विग्रह मणि पर्वत तक पालकियों में गाजे बाजे के साथ जाते हैं और वहीं पर झूला झूलते हैं। मणि पर्वत वही जगह है जहां माता सीता झूला झूलने आया करती थीं, इसीलिए हर वर्ष श्रावण शुक्ल तृतीया को यहां बड़े महोत्सव का आयोजन होता है और यहां भगवान के विग्रह द्वारा झूला झूलने के साथ ही पूरे देश में झूलन महोत्सव शुरू हो जाता है। मणि पर्वत पर मंदिरों के विग्रह द्वारा झूला झूलने के बाद मंदिरों में झूले पड़ते हैं और भगवान को झूला झुलाया जाता है और उन्हें सावन के गीत सुनाए जाते हैं। इस बीच हर्षोल्लास का माहौल रहता है, जिसे देखने के लिए लाखों लोग अयोध्या आते हैं।

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