Ayodhya News: श्रीराम कथा चतुर्थ दिवस: कथाव्यास अतुलकृष्ण भारद्वाज के भजनों से भव्य पंडाल हुआ राममय, झूम उठे भक्तगण

Ayodhya News: कथाकार अतुल कृष्ण भारद्वाज जी ने देश की युवा पीढी पर घोर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि आज का युवा पाश्चात्य सभ्यता के भंवर में फंसा हुआ है। उसे राम कृष्ण सीता के साथ भारतीय सभ्यता से मतलब नहीं है।;

Update:2025-04-01 21:59 IST

श्रीराम कथा चतुर्थ दिवस: कथाव्यास अतुलकृष्ण भारद्वाज के भजनों से भव्य पंडाल हुआ राममय, झूम उठे भक्तगण (Photo- Social Media)

Ayodhya News: अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा अंगद टीला पर आयोजित श्रीराम कथा चतुर्थ दिवस पर कथाव्यास अतुलकृष्ण भारद्वाज ने अपनी मधुर वाणी भजनों से भव्य पंडाल को राममय करते हुये कथा के चतुर्थ पुष विश्व की धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी है। दिल्ली पावर सेंटर पांच हजार वर्ष से जबकि अयोध्या करोड़ों वर्षों से धार्मिक सांस्कृतिक राजधानी है। इक्ष्वाकु वंश के पृथु, मांधाता, दिलीप, सगर, भगीरथ, रघु, हरिश्चंद्र जैसे प्रतापी इक्ष्वाकु वंश के राजाओं ने अयोध्या पर राज्य किया। चक्रवर्ती सम्राट महाराज दशरथ, श्रीराम जैसे प्रतापी राजाओं ने अयोध्या से विश्व का मार्गदर्शन किया।


पूरी दुनिया को रामायण को अनुसरण करने की आवश्यकता

विपरीत परिस्थितियों में आनंद से रहने वाला वैरागी ,संयासी है। अंहकार पतन का कारक है, अहंकार से मुक्त व्यक्ति ही घर परिवार और समाज को उच्च शिखर पर आसीन करता है। आज भी हम अंग्रेजों की संस्कृति से बंधे है, शिक्षा में अंग्रेजों की मानसिकता साफ दिखता इससे मुक्त होने के लिये आज पूरी दुनिया को रामायण को अनुसरण करने की आवश्यकता है। रामायणा साक्षात संविधान है।


श्री व्यास जी ने देश की युवा पीढी पर घोर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि आज का युवा पाश्चात्य सभ्यता के भंवर में फंसा हुआ है। उसे राम कृष्ण सीता के साथ भारतीय सभ्यता से मतलब नहीं है। उन्होंने माताओं से आग्रह कि यदि माताएं चाहें तो युवा पाश्चात्य सभ्यता से अलग हो सकता है। सभी माताओं से आग्रह किया कि गर्भवती माताओं के चिन्तन मनन खान-पान, पठन-पाठन रहन सहन का बच्चे पर अत्यन्त प्रभाव पडता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान माताओं को भगवान का सुमिरन करना चाहिए। साथ ही साथ सात्विक भोजन व चिन्तन आदि करना चाहिए।

भगवान राम के जन्म की व्याख्या करते हुए उक्त व्याख्यान मानस मर्मज्ञ अतुल कृष्ण भारद्वाज ने राम कथा में श्री रामचन्द्र जी भगवान के जन्म के समय दिया।


कथा व्यास के भजनों से श्रोता झूम उठे

बताया कि भगवान के जन्म के पूर्व विष्णु के द्वारपाल जय-विजय को राक्षस बनने का श्राप मनु और सतरूपा के तप से भगवान ने राजा दशरथ व रानी कौशल्ला के घर जन्म लिया जिससे समस्त अयोध्यावासी प्रसन्न हो उठे। भगवान राम के जन्म की व्याख्या के दौरान जैसे ही कथा व्यास ने भजन गाया वैसे ही श्रोता झूम उठे मानो सचमुच पंडाल में भगवान का जन्म हुआ हो। पूरा पाण्डाल राम-मय हो गया- पूरे पाण्डाल़ में पुष्पों की वर्षा हुई। त्रेता युग में जब असुरों की शक्ति बढ़ने लगी तो माता कौशल्या की कोख से भगवान राम का जन्म हुआ।

आगे व्यास जी ने कहा निरगुण से सगुण भगवान सदैव भक्त के प्रेम के वशीभूत रहते हैं, भक्तों के भाव पर सगुण रूप लेते हैं। कथा के दौरान विहिप के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक दिनेशचंद्र,ट्रस्ट महासचिव चम्पतराय,हनुमान गढी के सरपंच महंत रामकुमार दास, महामंडलेश्वर प्रेमशंकर दास,धर्माचार्य संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी, प्रचारक गोपाल,शरद शर्मा, रासबिहारी मिश्र,गुलसन महाराज,संघप्रचारक किशन आदि ने मानसपूजन कर आरती उतारी।

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