Harivansh Baba Ashram: ढाई एकड़ की जमीन पर फैला ये अद्भुत वृक्ष, प्रकृति की महिमा और आस्था का अटूट बंधन यहां
Harivansh Baba Ashram: आज बात करे रहे है हरिवंश बाबा अक्षय वट आश्रम के बारे में। यहां पर ढाई एकड़ की जमीन पर फैला हुआ वट वृक्ष किसी शानदार किले से कम नहीं है।
Harivansh Baba Ashram: उत्तर प्रदेश की सीतापुर रोड होते हुए एक ऐसा पवित्र स्थल है जहां का अद्भुत नजारा देख दंग रह जाएगें। यहां पर आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का गजब का मेल देखने को मिलता है। एक तरफ भगवान के प्रति भक्ति-भाव रखने वाले और प्रकृति प्रेमियों के लिये ये जगह किसी अचम्भे से कम नही है। जीं हां हम बात कर रहे हैं कि हरिवंश बाबा अक्षय वट आश्रम (Harivansh Baba Akshay Vat Ashram) के बारे में। यहां पर ढाई एकड़ की जमीन पर फैला हुआ वट वृक्ष किसी शानदार किले से कम नहीं है।
ये वट वृक्ष जोकि ढाई एकड़ की जमीन पर फैला हुआ है। इस वृक्ष की परिक्रमा करने पर ऐसा एहसास होता है कि मानों किसी किले के स्तंभों को पार कर रहे हैं। ढाई एकड़ की जमीन को घेरे हुए एक सिर्फ एक ही वृक्ष है। जोकि इतना विशाल है। जिसे पहली बार देखकर विश्वास ही नहीं होगा, कि ऐसा भी कोई पेड़ होता है।
यहां पर जमीन को छूती हुई पवित्र वृक्ष बरगद की लटें जोकि धरती में समाकर फिर से वृक्ष का रूप ले चुकी हैं। इस एक पेड़ की अनगिनत शाखाएं हैं, जो चारों तरफ जाल की तरह फैली हुई हैं। ध्यान से देखा जाए तो ये सभी शाखाएं मुल वृक्ष के लिए सुरक्षा करती हुई दिखती हैं।
एक वृक्ष की चारों तरफ से घिरी शाखाओं के बीच एक मंदिर है। इस मंदिर(Harivansh Baba Akshay Vat Ashram) में आपको हरिवंश बाबा की मूर्ति के साथ रामजानकी और मां दुर्गा के दर्शन भी करने को मिलते हैं। साथ ही मंदिर के दाई तरफ मां सरस्वती का मंदिर है। जबकि बाई तरफ भगवान शिव और हनुमान का बड़ा मंदिर है। वहीं 11 कुंडीय यज्ञशाला भी यहां है।
इस जगह पर जाने से आपका मन एकदम प्रकृति और भगवान के प्रति भाव-विभोर हो उठता है। इस जगह में किसी तरह का चुंबकीय आकर्षण है जिसकी वजह से यहां से जल्दी जाने को जी नही करता है। यहां पर हर तरफ जाकर दर्शन करने पर ऐसा लगता है कि मानों प्रकृति ने इस जगह पर अपना आंचल बिछा रखा है।
हरिवंश बाबा अक्षयवट(Harivansh Baba Akshay Vat Ashram) पर पहुंचने के लिए आपको सीतापुर रोड होते हुए पहले बक्शी का तालाब(BKT) पहुंचे। फिर बीकेटी से बाईं तरफ चंद्रिका देवी मंदिर मार्ग पर मुड़ जाएं। अब चंद्रिका माता मंदिर के पास से सैदापुर-माल जाने वाली सड़क पर चले।
यहां से ग्राम पंचायत मंझी निकरोजपुर के पास बाईं तरफ एक लिंक मार्ग मिलेगा। इस लिंक मार्ग पर लगभग एक किलोमीटर चलने पर विशाल अक्षय वट(Harivansh Baba Akshay Vat Ashram) के साक्षात दर्शन होंगे।
250 साल पुराना मंदिर
अब अगर इतिहास की बात करें तो सवाल उठता है कि आखिर इसे हरिवंश बाबा के नाम से क्यों जाना जाता है और कौन हैं ये हरिवंश बाबा। ये अक्षयवट वृक्ष कितने साल पुराना है?
ऐसा बताया जाता है कि ये अक्षयवट वृक्ष करीब 250 साल पुराना है। इस मंदिर के बारे में पुजारी कोमलानंद बताते हैं कि पड़ोस के मंझी गांव में एक किशोर थे। बाल्यावस्था में सिर से माता-पिता का साया उठ गया, तो यहां तपस्या में लीन हो गए। तब यहां वन्य जीवों की खोज में शिकारी आते रहते।
तभी किसी एक दिन किसी शिकारी ने तीर चलाया, जो धोखे से तपस्वी हरिवंश को जा लगा। जिसके बाद से तप स्थली पर ही उनकी समाधि बना दी गई। फिर इस समाधि स्थल के नजदीक ही ये अक्षय वट(Harivansh Baba Akshay Vat Ashram) उत्पन्न हो गया, जो कि बहुत ही विशाल आकार में हो गया।
यहां पर आने पर आपको ग्रीन टनल भी घूमने को मिलेगी। ग्रीन टनल यानी हरी-भरी सुरंग। जब आप बीकेटी से चंद्रिका माता मार्ग की तरफ प्रवेश करेगें तो लगभग 6 किमी पर ये ग्रीन टनल मिलेगी। प्रकृति के इस अनोखे रूप को देखकर मन प्रसन्न हो जाता है।