Kalyan Singh: कल्याण सिंह ने हिंदू हृदय सम्राट के रूप में बनाई पहचान, कभी नहीं बताई अपनी जाति

Kalyan Singh: राम मंदिर आंदोलन के नायक कल्याण सिंह को हमेशा लोगों ने एक हिंदु नेता के तौर देखा।

Written By :  Dharmendra Singh
Update:2021-08-22 01:15 IST

कल्याण सिंह (फाइल फोटो: न्यूजट्रैक)

Kalyan Singh: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह (Kalyan Singh) का शनिवार को निधन हो गया। राम मंदिर आंदोलन के नायक कल्याण सिंह को हमेशा लोगों ने एक हिंदु नेता के तौर देखा। उनकी कार्यशैली ऐसी थी की उनके व्यवहार से कोई भी नहीं जान सका कि उनकी जाति क्या है।

कल्याण सिंह का जन्म अलीगढ़ के अतरौली में एक लोधी जाति में हुआ था, लेकिन उन्होंने कभी भी खुद को पिछड़ी जाति के नेता के तौर पर प्रदर्शित नहीं किया। उन्होंने कभी किसी को अपनी जाति नहीं बताई। कल्याण सिंह ने हिंदुत्व' के पोस्टर बॉय रूप में अपनी पहचान बनाई और उनको लोग एक हिंदु नेता के तौर पहचानते रहे।

हिंदू हृदय सम्राट थे कल्याण सिंह

कल्याण सिंह की पहचान हिंदू हृदय सम्राट के रूप में थी। उनके चाहने वाले उन्हें हिंदू हृदय सम्राट कहकर पुकारते थे। अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की नींव प्रशस्त करने वालों में कल्याण सिंह गिने जाते हैं।
जब 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी का विध्वंस हुआ तो कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। कल्याण सिंह राम मंदिर आंदोलन के लिए अपनी कुर्सी की कुर्बानी दे दी, लेकिन कल्याण सिंह ने कारसेवकों पर गोली नहीं चलवाई। उन्होंने कहा कि कारसेवकों को पर गोली नहीं चलवाऊंगा। कल्याण सिंह कभी उत्तर प्रदेश की सियासत का केंद्र थे और कई नेता उनका सानिध्य में पले बढ़े। कल्याण सिंह पूरा राजनीतिक सफर कई उतार-चढ़ाव वाला रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

वोटबैंक को मजबूत करने के लिए लाए गए थे कल्याण सिंह
जनसंघ के नेताओं का मानना था कि पार्टी को अगर मजबूत बनाना है, तो पिछड़े वर्ग के कुछ अच्छे लोगों को लाया जाना चाहिए। जनसंघ के कद्दावर नेता रहे हरीशचंद्र श्रीवास्तव को इसकी जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने पता चला कि अलीगढ़ में एक तेज-तर्रार लोध लड़का है जिसका नाम कल्याण सिंह है। कल्याण सिंह पिछड़े वर्ग से आते थे।

यूपी में लोधी जाति की अच्छी आबादी है

माना जाता है कि उत्तर प्रदेश में यादव और कुर्मी के बाद लोधी जाति ही आती है। कल्याण सिंह को उनके व्यक्तित्व का फायदा मिला और वह काम में लग गए। 1962 में सिर्फ 20 साल की उम्र में उन्होंने अतरौली सीट से चुनाव लड़ा। लेकिन कल्याण सिंह ने अपनी पहचान ओबीसी नेता की एक हिंदु नेता के तौर पर बनाई और उन्होंने कभी भी अपनी जाति नहीं बताई।


Tags:    

Similar News