Sitapur News: आम और इमली की हुई शादी, उपहार में मिला खुरपा और खाद

सीतापुर में कठिना नदी को बचाने के लिए आम-इमली की अनोखी शादी देखने को मिली है।

Report :  Sami Ahmed
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-09-19 15:18 GMT

आम और इमली की शादी कराते लोग (फोटो-न्यूजट्रैक)

Sitapur News: आपने शादी तो बहुत देखी होंगी, लेकिन आम और इमली नहीं देखी होगी। प्रदेश के जनपद सीतापुर (Sitapur) में इसी तरह की अनोखी शादी संपन्न कराई गई है। इस शादी में बाकायदा शादी का कार्ड छपवा कर इलाके में बंटवाया गया और लोगों को बारात (baaraat) के लिए आमंत्रित किया गया। आम और इमली (aam aur imli) की शादी में 400 से अधिक जनाती बराती पहुंचे और दिव्य भोजन किया। इतना ही नहीं जब बारात की विदाई की गई तो उसे उपहार स्वरूप खुरपा और खाद दिया गया।

इस शादी में अधिकारी से लेकर इलाके के किसान भी पहुंचे। आपको बता दें कि पिसावा इलाके के मुल्ला भीरी बाबा स्मृति वाटिका मुस्तफाबाद में आम और इमली (aam aur imli) के विवाह के साथ 51 बाग स्थापित किए गए। आम और इमली की बारात (baaraat) में मनोरंजन का भी इंतजाम किया गया। बारात बैल गाड़ियों से पहुंची और बारातियों को दिव्य भोजन कराया गया। इस बारात में जिले के सीडीओ अक्षत वर्मा सहित तमाम अधिकारी मौजूद रहे। इस आयोजन में कठिना नदी को बचाने के लिए उसके इर्द-गिर्द 1500 पौधों का रोपण किया गया।


कार्ड पर चिरंजीव रसाल (आम) और आयुष्मति (इमली) का विवाह कराया गया। यह विवाह आज अनंत चतुर्दशी के शुभ मुहूर्त पर दोनों का विवाह संपन्न कराया गया। इस कार्ड में दर्शनाभिलाषी सरकारी विभाग और स्वागत के लिए कठिना संरक्षण समिति का नाम छपवाया गया था। कठिना नदी को बचाने के लिए एक मुहिम के तहत वैदिक रीति रिवाज से होने वाली यह शादी संस्कृति सभ्यता और विज्ञान का अद्भुत संगम साबित होगी। कठिना नदी को पुनर्जीवित करने के मकसद से शुरू हुआ यह अभियान अब अपने पड़ाव पर पहुंच चुका है। इस अभियान में कठिना संरक्षण समिति और लोक भारती सीतापुर ने इसकी शुरुआत की थी कई पड़ाव को पार करते हुए यह कारवां काफी विशाल हो चुका है।कठिना के आसपास बसे गांवों के साथ ही जुड़ा हुआ है।


बैलगाड़ी से पहुंची बारात

इस बारात में 400 जानती बराती बैल गाड़ियों से कार्यक्रम स्थल तक पहुंचें। 51 दंपत्ति ने विवाह की रस्में पूरी की। वही मनोरंजन के लिए भी इंतजामात किए गए। अंत में इमली को विदा कर बाग में रोपा गया। उपहार में खुरपा खाद के अलावा स्प्रेयर मशीन दी गयी।


क्या कहा जिला संयोजक ने

जिला संयोजक लोक भारती कमलेश सिंह ने बताया कि कठिना नदी के किनारे फल पट्टी विकसित होने से कई फायदे होंगे। बाग लगने से पानी का खर्च कम होगा फलदार पेड़ों से किसान समृद्ध होंगे और कठिना नदी पुनर्जीवित हो जाएगी पहले गांव में 51 भागों में 11 हजार पौधे लग चुके हैं हमारी योजना कठिना के आसपास 1500 सौ भाग लगाने की है वहीं कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर डीएस श्रीवास्तव अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र कटिया का कहना है आम और इमली के आसपास होने से पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती मिलेगी इससे पर्यावरण संतुलित बना रहे रहेगा।


 


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