Meerut News: कभी रामपुर पर राजा की तरह राज करने वाले आज़म ख़ान अस्तित्व के संकट से निकल पाएंगे भी या नहीं, लगी सबकी नजरें
Meerut News: रामपुर पर राजा की तरह राज करने वाले आज़म ख़ान अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं। वैसे,अपने राजनीतिक अस्तित्व के संकट से जूझने वाले प्रदेश के वें अकेले मुस्लिम नेता नहीं हैं।
Meerut News: कभी रामपुर पर राजा की तरह राज करने वाले आज़म ख़ान अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं। वैसे, अपने राजनीतिक अस्तित्व के संकट से जूझने वाले प्रदेश के वें अकेले मुस्लिम नेता नहीं हैं। उनके अलावा पूर्व मंत्री एवं सा नेता हाजी याकूब कुरैशी,हाजी शाहिद अखलाक समेत कई बड़े मुस्लिम नेता अपने राजनीतिक अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं। लेकिन, इन सब में प्रदेश में मुसलमानों के बड़े नेता आजम खान ही मानें जाते हैं। इसलिए राजनीतिक हलकों में उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर अधिक नजरें लगी हैं।
जानकारों के अनुसार 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से आज़म ख़ान लगातार भाजपा के निशाने पर रहे। उन पर कई मुक़दमे दर्ज होते गए और उन्होंने काफ़ी समय जेल में भी बिताया। अपनी लोकसभा सीट के साथ ही पारंपरिक विधानसभा सीट भी गंवा चुके आजम खान के लिए अब अपने ध्वस्त होते राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए ले-देकर अब परिवार की दूसरी पारंपरिक विधानसभा सीट स्वार का ही सहारा बचा है।
आजम खान और समाजवादी पार्टी
बता दें कि आजम खान 2019 में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद रामपुर लोकसभा सीट जीते थे। बाद में 2022 में वे रामपुर सदर सीट से विधानसभा चुनाव लड़े और जीते। जीतने के बाद उन्होंने अखिलेश यादव के साथ साथ लोकसभा की सीट छोड़ दी। अखिलेश की आजमगढ़ और आजम की रामपुर सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें दोनों सीटों पर भाजपा जीत गई। इसके कुछ ही दिन बाद एक मामले में आजम खान को सजा होने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म कर दी गई। इसके बाद रामपुर विधानसभा सीट पर उप चुनाव हुआ और उसमें भी भाजपा जीत गई।
पिछले दिनों रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से विधायक रहे अब्दुल्ला आजम की सदस्यता भी समाप्त हो गई। स्वार विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक अब्दुल्ला आजम को तीन साल में दो बार अपनी विधायकी से दो बार हाथ धोना पड़ा है। तीन साल पहले भी उम्र के फर्जी प्रमाणपत्र मामले में हाईकोर्ट में अब्दुल्ला की विधायकी को रद्द कर दिया था। फिलहाल, ताजा मामले में 15 साल पहले हरिद्वार हाइवे पर जाम करने के एक मामले में कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई है। इसी सजा के बाद अब्दुल्ला आजम की विधायकी चली गई है।
आजम खान और विवाद
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पहली बार अब्दुल्ला आजम ने इस सीट से चुनाव लड़ा और बड़े अंतर से जीत दर्ज की। वर्ष 2019 में फर्जी प्रमाण पत्र मामले में उनकी विधायकी चली गई। मामला कोर्ट में खिंचता रहा। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर अब्दुल्ला ने इस सीट पर कब्जा जमाया। अब अब्दुल्ला की विधायकी जाने के बाद इस सीट पर उपचुनाव होगा। वें 15 साल पहले सड़क जाम करने के एक मामले में वे दोषी ठहराए गए थे जिसके बाद उनकी सदस्यता खत्म हो गई है।
हालांकि उपचुनाव की तिथि का एलान नहीं किया गया है, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि कर्नाटक विधानसभा के चुनाव के साथ यहां उपचुनाव कराया जा रहा है। कर्नाटक विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल मई माह में समाप्त हो रहा है। ऐसे में यहां पर अप्रैल-मई माह में विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं। इसके साथ ही स्वार सीट पर उपचुनाव का एलान हो सकता है। इस सीट पर हारने के बाद आजम खान का ही नहीं उनके परिवार का राजनीतिक अस्तित्व संकट और बढ़ जाएगा। यानी,आजम खान के साथ ही परिवार जिसमें उनका बेटा शामिल हैं की राजनीति हाशिए पर जाएगी।
आजम खान की प्रतिष्ठा लगी दांव पर
आजम परिवार की सबसे सुरक्षित सीट माने जाने वाली इस सीट को आजम खान के लिए हर हाल में जीतना होगा। पहले रामपुर लोकसभा और रामपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में आजम ने परिवार के किसी सदस्य को नहीं उतारा था और दोनों सीट हार गए थे। स्वार में उनको परिवार के किसी सदस्य को उतार कर किला बचाना होगा।
बहरहाल,एक तरफ रामपुर में आजम खान की प्रतिष्ठा एक बार फिर दांव पर लग गई है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी आजम खान की साख को रामपुर में खत्म करने की कोशिशों में जुट गई है। अब देखना दिलचस्प होगा कि यहां बाजी किसके हाथ लगेगी।