BJP विधायक ने CM योगी को भेजा पत्र, उच्च-स्तरीय टीम गठित कर जांच की उठाई मांग
रूधौली विधायक संजय प्रताप जायसवाल द्वारा कोरोना संकट काल में मरीजों और उनकेे तीमारदारों को सुविधा उपलब्ध कराने हेतु मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर समस्याओं को निस्तारित कराए जाने का क्रम लगातार जारी है।
बस्ती: रूधौली विधायक संजय प्रताप जायसवाल (Rudhauli MLA Sanjay Pratap Jaiswal) द्वारा कोरोना संकट काल (corona pandemic) में मरीजों और उनकेे तीमारदारों को सुविधा उपलब्ध कराने हेतु मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर समस्याओं को निस्तारित कराए जाने का क्रम लगातार जारी है।
उन्होने पुनः मुख्यमंत्री (CM Yogi ) को तीसरा पत्र भेजकर जिला चिकित्सालय बस्ती में कोविड-19 गाइडलाइन (Corona Guidlines) का अनुपालन न किए जाने पर कार्यवाही और महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज प्राचार्य द्वारा किये गये अनियमितता का उच्च स्तरीय टीम गठित कर जांच कराए जाने की मांग की है।
जिला चिकित्सालय बस्ती में कोविड-19 गाइड लाइन का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। महामारी को देखते हुए ओपीडी बंद किये जाने का निर्देश जारी किया गया था जिससे आपातकालीन स्थिति में भर्ती किये गए मरीजों को डॉक्टरों द्वारा बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराया जा सके, किन्तु जिला अस्पताल के इमरजेंसी के एक शिफ्ट में केवल एक ईएमओ एवं दो फार्मासिस्टों द्वारा कार्य किये जाने के कारण मरीजों को समुचित स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
ओपीडी के कुछ अन्य डाक्टर अस्पताल में सेवा देने की जगह अपने घर पर निजी नर्सिंग होम, प्राइवेट अस्पतालों में 500 से 800 रूपये तक की फीस से लेकर मरीज देख रहे हैं और जिला अस्पताल में उपेक्षा के कारण मरीज दम तोड़ने को मजबूर हैं। बीजेपी विधायक संजय प्रताप जायसवाल ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में यह मांग किया गया है कि जिला अस्पताल में इमरजेंसी सेवा की चिकित्सा बेहतर बनाने के साथ ही डॉक्टर , ऑक्सीजन, जीवन रक्षक दवायें उपलब्ध करायी जाए।
उच्च स्तरीय टीम गठित कर जांच की मांग
भाजपा विधायक संजय प्रताप जायसवाल ने महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज प्राचार्य द्वारा लगातार मनमानी की जा रही है। उनके मनमाने कार्यशैली से मरीज, तीमारदार परेशान है और कोरोना से मौतों का दुःखद सिलसिला जारी है। जन प्रतिनिधियों के प्रति भी उनकी भाषा ठीक नहीं है। विधायक संजय ने मांग किया है कि महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज प्राचार्य द्वारा किये गये अनियमितता का उच्च स्तरीय टीम गठित कर जांच कराया जाय।