UP Politics: हारी हुई लोकसभा सीटों पर पूरी ताकत लगाएगी भाजपा, अमित शाह और नड्डा का दौरा तय, इन इलाकों में करेंगे जनसभा

UP Politics: विपक्षी दलों की ओर से की जा रही घेरेबंदी को तोड़ने के लिए भाजपा ने प्रदेश की उन सीटों पर विशेष रूप से फोकस करने का फैसला किया है जिन सीटों पर पिछले चुनाव में पार्टी को कामयाबी नहीं मिली थी।

Update: 2023-06-12 08:19 GMT
अमित शाह और जेपी नड्डा (फोटो: सोशल मीडिया )

UP Politics: देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा का उत्तर प्रदेश पर विशेष फोकस है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली की सत्ता पर नरेंद्र मोदी को काबिज करने में उत्तर प्रदेश ने बड़ी भूमिका निभाई थी। ऐसे में पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में भी उत्तर प्रदेश में पूरी ताकत लगाने की कोशिश में जुट गई है।

विपक्षी दलों की ओर से की जा रही घेरेबंदी को तोड़ने के लिए भाजपा ने प्रदेश की उन सीटों पर विशेष रूप से फोकस करने का फैसला किया है जिन सीटों पर पिछले चुनाव में पार्टी को कामयाबी नहीं मिली थी। पार्टी के इस अभियान को ताकत देने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा जल्द उत्तर प्रदेश के दौरे पर पहुंचने वाले हैं। गृह मंत्री शाह बिजनौर का दौरा करेंगे जबकि नड्डा श्रावस्ती में पार्टी की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने की कोशिश करेंगे।

शाह पहुंचेंगे बिजनौर,नड्डा करेंगे श्रावस्ती का दौरा

भाजपा की ओर से 2024 में प्रदेश की सभी 80 सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए पार्टी की मशीनरी को पहले ही सक्रिय बनाया जा चुका है। इस कड़ी में पार्टी की ओर से उन लोकसभा क्षेत्रों को ज्यादा तरजीह दी जा रही है जिन चुनाव क्षेत्रों में पार्टी को 2019 में हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी की ओर से पहले ही ऐसे लोकसभा क्षेत्रों में दिग्गज नेताओं के लगातार कार्यक्रम आयोजित करने की योजना तैयार की गई थी।

श्रावस्ती और बिजनौर दोनों लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां 2019 में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा था। ऐसे में गृह मंत्री शाह और नड्डा का कार्यक्रम इन दोनों लोकसभा क्षेत्रों में अलग-अलग तय किया गया है। भाजपा अध्यक्ष नड्डा 27 जून को श्रावस्ती के दौरे पर पहुंचेंगे। गृह मंत्री शाह का 29 जून को बिजनौर दौरे का कार्यक्रम तय किया गया है। भाजपा के ये दोनों महत्वपूर्ण नेता दोनों क्षेत्रों में जनसभा के जरिए लोकसभा के चुनाव अभियान की शुरुआत करेंगे। दोनों नेता पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करके उनमें उत्साह का संचार करने की कोशिश भी करेंगे।

हारी हुई सीटों पर भाजपा का विशेष फोकस

देश की सियासत में उत्तर प्रदेश की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण मानी जाती रही है क्योंकि यहां पर लोकसभा की 80 सीटें हैं। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने उत्तर प्रदेश में बड़ी जीत हासिल की थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा का गठबंधन भी भाजपा को बड़ी जीत हासिल करने से नहीं रोक सका था। भाजपा एक बार फिर उत्तर प्रदेश में बड़ी जीत हासिल करने की कोशिश में जुट गई है।

मौजूदा समय में राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, संभल, रायबरेली, घोसी, लालगंज, जौनपुर, अंबेडकर नगर, गाजीपुर, श्रावस्ती, मैनपुरी, सहारनपुर और नगीना सीटों पर गैर भाजपाई दलों का कब्जा है।

गाज़ीपुर सीट पर 2019 में बसपा के अफजाल अंसारी ने जीत हासिल की थी मगर गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट की ओर से सजा सुनाए जाने के बाद उनकी संसद सदस्यता रद्द की जा चुकी है। ऐसे में 9 सीटें बहुजन समाज पार्टी के पास हैं जबकि 3 सीटों पर सपा काबिज है। आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीटें सपा के हाथ से छिन गई हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली सीट पर सोनिया गांधी ने जीत हासिल की थी। इनमें से दो सीटों श्रावस्ती और बिजनौर का दौरा करने के लिए शाह और नड्डा जल्दी ही पहुंचने वाले हैं।

यूपी में अभी से पूरी ताकत लगाएगी भाजपा

भाजपा सूत्रों का कहना है कि प्रदेश की हारी हुई लोकसभा सीटों पर भाजपा अपनी कमजोरियों, ताकत, चुनौतियों और खतरो का आकलन पहले ही कर चुकी है। इसके लिए चार केंद्रीय मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी और इन मंत्रियों ने इन क्षेत्रों का दौरा करने के बाद केंद्रीय नेतृत्व को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। अब इन सीटों पर पार्टी की ओर से पूरी ताकत लगाने का फैसला किया गया है। जानकारों का कहना है कि श्रावस्ती और बिजनौर का दौरा करने के बाद भाजपा के शीर्ष नेता जल्द ही उन इलाकों का भी दौरा करेंगे जहां पार्टी को 2019 में हार का सामना करना पड़ा था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उत्तर प्रदेश की वाराणसी संसदीय सीट से सांसद है। उन्होंने 2014 और 2019 में इस सीट पर बड़ी जीत हासिल की थी। माना जा रहा है कि पीएम मोदी भी जल्द ही उत्तर प्रदेश के चुनावी रण में उतरेंगे और भाजपा के चुनाव अभियान को गति प्रदान करने की कोशिश करेंगे। विपक्षी दलों के बीच चल रही एकजुटता की कवायद के कारण भाजपा सतर्क हो गई है और इसी कारण पार्टी की ओर से अभी से ही पूरी ताकत लगाने का फैसला किया गया है।

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