BJP की जिलाध्यक्ष लिस्ट में OBC-ब्राह्मणों को मिली प्राथमिकता, PDA को मजबूत तरीके से चुनौती देने की तैयारी
बीजेपी ने नई जिलाध्यक्ष लिस्ट जारी की, जिसमें OBC और ब्राह्मणों को प्रमुख स्थान दिया गया है। पार्टी ने 2027 के चुनाव में अखिलेश यादव के PDA फॉर्मूले को काउंटर करने की रणनीति तैयार की है।;
Delhi Election Result 2025 BJP running top who is candidate next CM (Photo: Social Media)
BJP Jiladhyaksh: भारतीय जनता पार्टी ने रविवार को उत्तर प्रदेश के 69 जिलाध्यक्षों की सूची जारी कर दी है, जो आगामी 2027 विधानसभा चुनावों में पार्टी की रणनीति का अहम हिस्सा बनेंगे। इन जिलाध्यक्षों को पार्टी के भीतर मजबूत कड़ी के रूप में देखा जा रहा है, जिनकी भूमिका चुनाव परिणामों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण होगी। इस सूची को देखकर यह स्पष्ट हो रहा है कि भाजपा ने अपनी रणनीति को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों पर ध्यान केंद्रित किया है, खासकर ओबीसी और ब्राह्मण समुदाय पर।
भाजपा की चुनौती
उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 312 सीटों पर जीत हासिल की थी। यह जीत पार्टी के लिए ऐतिहासिक थी, लेकिन 2022 में यह संख्या घटकर 255 हो गई। 2017 में मिली इस शानदार जीत के बाद 2022 में सीटों में गिरावट ने पार्टी को एक नई चुनौती दी। भाजपा के लिए यह चुनौती इसलिए और भी महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि अगले चुनाव में पार्टी को फिर से सत्ता में बनाए रखने के लिए अपनी कार्यकर्ताओं और नेताओं के चयन में ताजा रणनीतियों को अपनाना होगा। इस घटते ग्राफ को पुनः सुधारने के लिए भाजपा ने ब्राह्मण और ओबीसी वर्ग पर ज्यादा ध्यान दिया है, जो समाज के महत्वपूर्ण हिस्से हैं।
ओबीसी और ब्राह्मण चेहरों पर दांव
भाजपा ने अपनी नई सूची में ओबीसी और ब्राह्मण समुदाय के चेहरों को प्रमुख स्थान दिया है। इस बार पार्टी ने सबसे अधिक 22 ओबीसी जिलाध्यक्षों को चुना है, जो पार्टी की ओबीसी समुदाय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को स्पष्ट करते हैं। ओबीसी के नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाकर भाजपा ने उन क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास किया है जहां इस समुदाय का प्रभाव है।
ब्राह्मणों को भी भाजपा ने प्राथमिकता दी है, और इस सूची में 14 ब्राह्मण चेहरों को जिलाध्यक्ष के रूप में शामिल किया गया है। उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में ब्राह्मणों की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है और भाजपा ने इन चेहरों को शामिल करके इस वर्ग को अपने साथ जोड़े रखने की कोशिश की है।
अखिलेश यादव के पीडीए फॉर्मूले को जवाब
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2024 के चुनाव में अपने पीडीए फॉर्मूले (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) को मजबूत किया था, जिसके तहत उन्होंने इन वर्गों को अपने साथ जोड़ा था। भाजपा ने इस बार के जिलाध्यक्षों की सूची में ओबीसी और दलित वर्गों को भी अहम स्थान दिया है। पार्टी ने 5 एससी एसटी नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाया है, जो स्पष्ट रूप से अखिलेश यादव के पीडीए फॉर्मूले को काउंटर करने की दिशा में एक कदम है।
भाजपा ने इस बार यह संदेश देने का प्रयास किया है कि वह समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करती है, विशेष रूप से उन वर्गों का जो सत्ता में हिस्सेदारी की आकांक्षा रखते हैं। भाजपा के इस कदम का उद्देश्य समाजवादी पार्टी के वोट बैंक को चुनौती देना और उन वर्गों को भाजपा के साथ जोड़ना है जिन्हें पहले सपा का समर्थन था।
परफॉर्मेंस के आधार पर चयन
भाजपा ने अपनी सूची में 44 नए चेहरों को जगह दी है, जिनमें से कुछ को पार्टी की कार्यशैली और प्रभावशाली प्रदर्शन के आधार पर जिलाध्यक्ष चुना गया है। यह पार्टी के लिए एक अहम रणनीति है क्योंकि नए चेहरों को पार्टी में लाकर वह न केवल अपने पारंपरिक वोटरों को आकर्षित कर रही है, बल्कि नए युवा वोटरों को भी अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही है।
इसके अलावा, 25 पुराने जिलाध्यक्षों को उनके प्रदर्शन के आधार पर फिर से मौका दिया गया है, जो पार्टी के भीतर उनके योगदान को मान्यता देने की दिशा में एक कदम है। यह पार्टी का संकेत है कि वह अपने सशक्त कार्यकर्ताओं और नेताओं को भी सम्मानित करती है और उनके अनुभव का लाभ आगामी चुनावों में उठाना चाहती है।
भारतीय जनता पार्टी की नई जिलाध्यक्षों की सूची में ओबीसी, ब्राह्मण और दलित वर्गों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो आगामी विधानसभा चुनाव के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण कदम है। भाजपा ने न केवल अखिलेश यादव के पीडीए फॉर्मूले का मुकाबला करने के लिए इन वर्गों को प्राथमिकता दी है, बल्कि अपनी कार्यशैली के आधार पर नए चेहरों को भी मौका दिया है। इन जिलाध्यक्षों के चुनाव से भाजपा ने यह संदेश दिया है कि वह समाज के सभी वर्गों को समान रूप से प्रतिनिधित्व देने में विश्वास करती है और अगले चुनावों में अपनी पकड़ को और मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।
महिला आरक्षण पर सवाल: 33% का वादा पूरा नहीं हुआ
जहां पार्टी ने ओबीसी, ब्राह्मण और दलित वर्गों को प्राथमिकता दी है, वहीं एक महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि भाजपा ने महिलाओं के लिए कितनी जगह दी है। भाजपा ने केवल 5 महिलाओं को जिलाध्यक्ष पद पर नियुक्त किया है, जो 33% महिला आरक्षण से कहीं कम है। पिछले चुनावों में भाजपा ने महिला सशक्तिकरण और 33% आरक्षण का वादा किया था, लेकिन इस बार सिर्फ 5 महिला जिलाध्यक्षों को स्थान दिया गया है।