ब्राहम्णों पर बड़ी घोषणा: अब मायावती को आई याद, चल रही अखिलेश की राह पर
यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर जातियों की खेमेबंदी शुरू हो गई है।
लखनऊ: यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर जातियों की खेमेबंदी शुरू हो गई है। राज्य में ब्राहम्ण वोट साधने के लिए जहां समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को भगवान परशुराम की 108 फीट ऊंची मूर्ति लगाने का पांसा फेका तो अब रविवार को बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने भी ब्राहम्णों को रिझाने के लिए अपना दांव चल दिया है।
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बसपा सुप्रीमों ने ब्राह्मण को लेकर कहा ये
बसपा सुप्रीमों ने कहा कि अगर वर्ष 2022 में यूपी में बसपा की सरकार बनती है तो ब्राह्मण समाज की आस्था के प्रतीक परशुराम और सभी जातियों के महान संतों के नाम पर अस्पतालों व सुविधायुक्त ठहरने के स्थानों का निर्माण कराया जाएगा। मायावती इतने पर ही नहीं रूकी उन्होंने शनिवार को सपा पर ब्राहम्णों के नाम पर राजनीति का आरोप लगाते हुए सपा अध्यक्ष की घोषणा पर सवाल भी उठाया और कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार में ब्राहम्णों के लिए क्या किया गया।
ब्राहम्णों की पैरवी करने से दलित वोटों पर पड़ने वाले किसी भी विपरीत प्रभाव से बचने के लिए बसपा सुप्रीमों ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को दलित राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद को भी रामजन्मभूमि के शिलान्यास में ले जाना चाहिए था। मायावती ने कहा कि यूपी में बसपा की चार बार सरकार बनीं और हर बार बसपा की सरकार में सभी वर्गों के महान संतों के नाम पर अनेक जनहित योजनाएं शुरू की गई थी।
बाद में आई सपा सरकार ने इन योजनाओं को जातिवादी मानसिकता व द्वेष की भावना के चलते बदल दिया। मायावती ने कहा कि समाजवादी पार्टी से भव्य परशुराम की मूर्ति उनकी सरकार लगवायेंगी। उन्होंने ये भी कहा कि कोरोना के खिलाफ केंद्र व राज्य की सरकारें पूरी तरह से कामयाब नहीं रही हैं। उनके प्रयासों में कमी रही है।
सपा और बसपा के अलावा कांग्रेस भी यूपी में ब्राहम्णों को साधने में लगी हुई है
सपा और बसपा के अलावा कांग्रेस भी यूपी में ब्राहम्णों को साधने में लगी हुई है। बीते काफी समय से कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ब्राहम्ण चेतना संवाद के नाम से अभियान छेड़े हुए है। यूपी में ब्राहम्णों के खिलाफ होने वाली हर घटना में कांग्रेस न सिर्फ मुखर होती है बल्कि कांग्रेस नेता पीड़ित ब्राहम्ण परिवार से मुलाकात कर उन्हे न्याय दिलाने का आश्वासन भी देते है।
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दरअसल, यूपी मे काफी समय से यह चर्चा है कि योगी सरकार में ब्राहम्णों का उत्पीड़न किया जा रहा है। लेकिन बीते दिनो कानपुर के विकास दुबे एनकाउंटर के बाद से विपक्षी दलों ने अंदरखाने योगी सरकार को ब्राहम्ण विरोधी करार देना शुरू कर दिया है। विपक्षी दलों का मानना है कि विकास दुबे एनकाउंटर के बाद से राज्य के ब्राहम्णों में भी योगी सरकार के खिलाफ नाराजगी है। विपक्षी दल इस नाराजगी को भुना कर ब्राहम्णों को अपने पाले में लाना चाहते है।
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