BSP Mission 2024: मायावती ने यूपी में 40 लाख कार्यकर्ताओं को जोड़ने का रखा लक्ष्य, इन नेताओं को सौंपी जिम्मेदारी
BSP Mission 2024: मायावती ने नेताओं को नया टास्क दिया है. 2024 के चुनाव से पहले यूपी की सभी 403 विधानसभा में प्रत्येक में 10,000 नए कार्यकर्ता जोड़े जाएगे।
BSP Mission 2024: बसपा सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है. उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को नया टास्क दिया है. 2024 के चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो ने यूपी की सभी 403 विधानसभा में 10,000 नए कार्यकर्ताओं को जोड़ने का लक्ष्य रखा है. इस तरह चुनाव से पहले 40 लाख नए सदस्यों को जोड़ने का टारगेट विधानसभा प्रभारी और सेक्टर प्रभारियों को सौंपा गया है. इसके साथ ही विधानसभा, लोकसभा के पूर्व प्रत्याशियों, पूर्व विधायक और सांसदों को भी इसमें लगाया गया है. यह सभी मिलाकर अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में 10,000 नए कार्यकर्ताओं को पार्टी से जोड़ेंगे.
मायावती की नये कार्यकर्ताओं को जोड़ने पर पूरी नजर रहेगी और 2024 के लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण में भी इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा कि किस नेता ने कितने नए सदस्य बनाए हैं. आपको बता दें बसपा ने 2019 का लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था. ढाई दशक बाद सपा और बसपा एक साथ मिलकर लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरे. हालांकि इसका ज्यादा फायदा दोनों दलों को नहीं मिला. भाजपा (एनडीए) को 63 सीटें मिली. जबकि बहुजन समाज पार्टी को 10 और समाजवादी पार्टी 5 सीट पर ही सिमट कर रह गई थी.
चुनाव के बाद मायावती ने सपा से अपना गठबंधन तोड़ लिया. हालांकि बहुजन समाज पार्टी को 2014 के मुकाबले सीधे 10 सीटों का फायदा हुआ था. 2014 में मायावती की पार्टी का खाता भी नहीं खुला था. वहीं इस साल के शुरुआत में हुए विधानसभा चुनाव 2022 में वह अकेले दम पर फिर से मैदान में उतरी लेकिन इसमें उनकी करारी हार हुई और सिर्फ एक विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचा. यही वजह है की मायावती 2024 के चुनाव से पहले एक बार फिर पार्टी को मजबूत कर चुनावी अखाड़े में उतरने की रणनीतियां बनाने में लगी हुई हैं.
अपने नेताओं को नया टास्क दे दिया है पूरे उत्तर प्रदेश में 40 लाख नए कार्यकर्ता जोड़े जाएं. हालांकि 2024 के चुनाव में मायावती किसी दल के साथ गठबंधन करेंगी या फिर अकेले दम पर मैदान में उतरेंगी अभी इस पर उनकी कोई भी राय सामने नहीं आई है. लेकिन सियासी जानकारों का मानना है कि मायावती को पहले अपनी पार्टी और संगठन को मजबूत करना होगा. क्योंकि उत्तर प्रदेश में उनका जनाधार लगातार गिरा है और इसे वापस पाने के लिए उन्हें कड़ी मशक्कत करनी होगी. जिससे आने वाले चुनावो में वह भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी को चुनौती दे सकें.