Mamta Kulkarni: महामंडलेश्वर पद से हटाई गई ममता कुलकर्णी, लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी पर भी गिरी गाज

Mamta Kulkarni: अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से हटा दिया गया है।;

Newstrack :  Network
Update:2025-01-31 12:29 IST

Mamta Kulkarni

Mamta Kulkarni: एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी पर बड़ी खबर सामने आई है। उन्हें किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर पद से हटा दिया गया है। यह फैसला अखाड़े के संस्थापक अजय दास ने लिया है। अपने फैसले में उन्होंने यह भी कहा कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी आचार्य महामंडलेश्वर पद से हटाया जा रहा है। अजय दास ने शुक्रवार को ऐलान किया कि अब नए सिरे से किन्नर अखाड़े का पुनर्गठन होगा। साथ ही जल्द ही नए आचार्य महामंडलेश्वर का ऐलान होगा बता दे कि अजय दास ने अपने फैसले को लेकर एक प्रेस विज्ञप्ति भी रिलीज की है। जिसमें उन्होंने यह साफ़ तौर पर लिखा कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी जिन्हे आचार्य महामंडलेश्वर की पदवी दी गई है उन्होंने इसका गलत इस्तेमाल किया है।

अजय दास ने क्या कहा 

बड़ा फैसला लेते हुए उन्होंने कहा कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने धार्मिक उद्देश्यों के विपरीत कार्य किए हैं और बिना उनकी सहमति के जूना अखाड़े से अनुबंध किया, जो कि अनैतिक और असंवैधानिक है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि त्रिपाठी ने किन्नर अखाड़े के सिद्धांतों और परंपराओं का उल्लंघन किया और देश हित व सनातन धर्म को नज़रअंदाज़ करते हुए ममता कुलकर्णी जैसी विवादित हस्तियों को महामंडलेश्वर की उपाधि दी। इसके साथ ही उन्होंने किन्नर अखाड़े के प्रतीक चिन्हों को भी क्षत-विक्षत किया।

 लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने वैजन्ती माला का किया त्याग

फैसले में यह भी कहा गया कि किन्नर अखाड़े के नाम का अवैधानिक अनुबंध जो जूना अखाड़े के साथ कर किन्नर अखाड़े के सभी प्रतीक चिन्हो को भी क्षत-विक्षत किया गया है। ये लोग ना तो जूना अखाड़े के सिद्धांतों को के अनुसार चल रहे हैं, ना किन्नर अखाड़े के सिद्धांतों के। उदाहरण के लिए किन्नर अखाड़े के गठन के साथ ही वैजन्ती माला गले में धारण कराई गई थी, जो की श्रृंगार की प्रतीकात्मक है, परंतु इन्होंने उसे त्याग कर रुद्राक्ष की माला धारण कर ली। जो कि संन्यास का प्रतीक है और सन्यास बिना मुंडन संस्कार के मान्य नहीं होता। इस प्रकार यह सनातन धर्म प्रेमी व समाज के साथ एक प्रकार का छलावा कर रहे हैं। अतः आज मेरे द्वारा प्रेस वार्ता के माध्यम से यह सब जानकारी जनहित में व धर्महित में देना आवश्यक था।

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