Hamirpur News: इस गांव में सास पढ़ाती हैं बहू को परिवार नियोजन का पाठ, नसबंदी कराने वालों की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी
Hamirpur News: जनपद हमीरपुर में परिवार नियोजन को लेकर बिरहट गांव (Birhat Village) की संपतरानी ने अपनी बहू संतोषरानी को परिवार नियोजन का फायदा बताया और लोगों को जागरूक करती हैं।
Hamirpur News: परिवार कल्याण (family Welfare) कार्यक्रमों के प्रति ऐसी जागरूकता कम ही दिखाई देती है, जैसी सरीला तहसील (Sarila Tehsil) के बिरहट गांव (Birhat Village) में देखने को मिल रही है। इस गांव में बहू को कोई और नहीं बल्कि सास ही परिवार नियोजन (family planning) का पाठ पढ़ाती हैं । पहली संतान के बाद दूसरी संतान में तीन वर्ष का अंतराल (three years gap between two children) हो और दो बच्चों के बाद जितनी जल्दी हो सके नसबंदी (vasectomy) को अपना लें, इसके लिए वह खुद ही आशा कार्यकर्ता (ASHA worker) के संपर्क में भी रहती हैं ।
आबादी और विकास (population and development) की बात की जाए तो सरीला तहसील (Sarila Tehsil) की गिनती पिछड़ी तहसीलों में होती है, मगर यहां के ग्रामीणों में स्वास्थ्य कार्यक्रमों के प्रति जागरूकता में कोई कमी नहीं है। इसी तहसील का बिरहट (Birhat Village) एक ऐसा गांव है, जहां परिवार नियोजन से जुड़े कार्यक्रम काफी सफल हो रहे हैं। इसकी वजह इस गांव की बुजुर्ग महिलाओं का जागरूक होना है। यहां लड़के की चाहत में परिवार को नहीं बढ़ाया जाता। कोई भी परिवार नहीं चाहता कि उसका परिवार इतना बड़ा हो जाए कि जिसका भरण-पोषण और आगे की शिक्षा-दीक्षा कराना मुश्किल हो जाए।
सास संपतरानी ने अपनी बहू संतोषरानी को बताया परिवार नियोजन के बारे में
बिरहट गांव (Birhat Village) की संपतरानी बताती हैं कि उन्होंने अपनी बहू संतोषरानी का दूसरे बच्चे की मां बनने के फौरन बाद ही नसबंदी करा दिया। इसके साथ ही उसे शुरू से ही इस बात को लेकर आगाह भी करती रही कि बड़े परिवार से भविष्य में क्या दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं। आज उसकी बहू और बेटा दोनों दो बच्चों के परिवार से खुश हैं और हंसी-खुशी जीवन बिता रहे हैं।
छोटा परिवार सुखी परिवार
मुलिया भी ऐसी सास है जो शुरू से ही बहू को परिवार नियोजन के फायदे बताती रही। उनकी बहू विमलेश का भी नसबंदी हो चुका है। गेंदारानी की दो बहुओं राजकुमारी और सुखदेवी भी छोटे परिवारों के साथ जीवन-यापन कर रही हैं। गेंदारानी कहती हैं कि बड़े परिवारों को पालना आज के दौर में मुश्किल हो चुका है। पहले जब इतने साधन नहीं थे, तब लोगों के परिवार बड़े होते थे, लेकिन अब इसे नियंत्रित किया जा सकता है। अपनी और अपने परिवार की भलाई के लिए इसे परिवार को नियोजित करना चाहिए।
किसी ने दो तो किसी ने तीसरे बच्चे के बाद अपनाई नसबंदी
गांव की आशा कार्यकर्ता मानकुंवर बताती हैं कि यहां की बुजुर्ग महिलाएं परिवार नियोजन के कार्यक्रमों को लेकर जागरूक हैं। जैसे ही किसी घर में दूसरे बच्चे का जन्म होता है वैसे ही नसबंदी कराने को लेकर सूचनाएं आने लगती हैं। आशा संगिनी नीतू बताती हैं कि इस गांव की आबादी 1370 है। यहां 228 घर हैं और 231 ऐसे योग दंपति हैं। करीब एक सैकड़ा से अधिक महिलाएं नसबंदी करा चुकी हैं। दो बच्चों के बाद नसबंदी कराने वालों की संख्या तीन दर्जन से अधिक हैं और ऐसे भी परिवार हैं, जहां दो से अधिक बच्चे हैं लेकिन उन्होंने भी ऑपरेशन करा लिए हैं।
बिरहट से सीखें
परिवार नियोजन कार्यक्रम (family planning program) के नोडल अधिकारी डॉ.पीके सिंह (Nodal Officer Dr.PK Singh) का कहना है कि सरीला तहसील का बिरहट गांव अच्छा उदाहरण पेश कर रहा है। इसी तरह की जागरूकता अन्य इलाकों में भी होनी चाहिए तभी जनसंख्या स्थिरीकरण की बात सोची जा सकती है। लोग स्वयं से ही परिवार नियोजन को अपनाएं ताकि छोटे परिवारों के साथ अच्छा जीवन व्यतीत कर सकें।
15 पुरुषों ने कराई नसबंदी
हमीरपुर। जनपद में मार्च से लेकर 20 नवंबर तक कुल 15 पुरुषों ने नसबंदी ऑपरेशन करवाए हैं। जबकि इसी अवधि में 630 महिलाओं की नसबंदी हुई है। 7888 महिलाओं ने कॉपर टी को अपनाया है। जबकि प्रसव पश्चात 3712 महिलाओं ने कॉपर टी का चुनाव किया है। 3483 महिलाओं ने अंतरा इंजेक्शन और 9787 ने गर्भनिरोधक छाया टेबलेट का प्रयोग करना शुरू किया है। माला ए के लाभार्थियों की संख्या 4160 है।
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