World Cancer Day Special: ब्रेन कैंसर भी नहीं डिगा सका शैलेंद्र का हौसला, पिता की गत वर्ष हो गई थी कैंसर से मौत

Hamirpur News: वकील शैलेंद्र कुमार सचान ने बताया कि वर्ष 2015 में उन्हें ब्रेन कैंसर की पुष्टि हुई थी। यह सुनकर उन्हें झटका तो लगा था, लेकिन बाद में उन्होंने खुद को संभाला और तय किया कि कभी भी इस बीमारी को अपने ऊपर हावी नहीं होने देंगे।

Report :  Ravindra Singh
Published By :  Deepak Kumar
Update:2022-02-03 19:59 IST

वकील शैलेंद्र सचान। 

Hamirpur News: कोर्ट-कचहरी की दौड़भाग और कानूनी दांव-पेंच में उलझे रहने वाले 42 साल के वकील शैलेंद्र सचान ब्रेन कैंसर से ग्रसित हैं, लेकिन इन्होंने कभी इस बीमारी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। सात साल से लगातार मुंबई के टाटा कैंसर हॉस्पिटल (Tata Cancer Hospital in Mumbai) से इलाज करा रहे हैं। वर्ष 2020 में पिता की कैंसर से मौत हो गई थी, वह कोरोना से भी ग्रसित हुए थे। उस वक्त उनकी उम्र 80 वर्ष के पार थी। घातक बीमारी से ग्रसित शैलेंद्र ऐसी बीमारियों से ग्रसित होने वालों को जिंदादिली से जीने की सलाह देते हैं।

शहर के रमेड़ी डांडा निवासी शैलेंद्र कुमार सचान ने बताया कि वर्ष 2015 में उन्हें ब्रेन कैंसर की पुष्टि हुई थी। यह सुनकर उन्हें झटका तो लगा था, लेकिन बाद में उन्होंने खुद को संभाला और तय किया कि कभी भी इस बीमारी को अपने ऊपर हावी नहीं होने देंगे। इसी फार्मूले को अपनाकर वह सामान्य जीवन जी रहे हैं। पेशे से वकील शैलेंद्र वर्ष 2005 से नियमित प्रैक्टिस कर रहे हैं। उनके पास मुकदमों का भी अच्छा-खासा बोझ है। सुबह कचहरी आने के बाद शाम तक वह मुकदमों की पैरवी में उलझे रहते हैं। तनाव भरा काम होने के बावजूद शांत रहते हैं।

शैलेंद्र ने बताया कि उनका मुंबई के टाटा कैंसर हॉस्पिटल (Tata Cancer Hospital in Mumbai) में इलाज चल रहा है। इसके लिए समय-समय पर वह मुंबई जाते रहते हैं। दो बच्चों के पिता शैलेंद्र ने कैंसर जैसी घातक बीमारियों का सामना करने वाले मरीजों को यही सलाह दी है कि वह इससे घबराएं नहीं है। इलाज कराएं और जिंदादिली के साथ जिएं। बीमारी को लेकर चिंता में पड़े रहने से कुछ नहीं होने वाला।

शैलेंद्र ने बताया कि उनके पिता सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य मेवालाल को वर्ष 2019 में मुंह के कैंसर की शिकायत हुई। इलाज भी हुआ, लेकिन वर्ष 2020 में उनकी मृत्यु हो गई, हालांकि कोरोना से भी ग्रसित थे , लेकिन उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी थी।

गांव-गांव कराई जाती है स्क्रीनिंग

गैरसंचारी रोगों के नोडल अधिकारी डॉ. महेश चंद्रा ने बताया कि पांच तरह के गैरसंचारी रोगों को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। इसमें तीन प्रकार के कैंसर सर्वाइकल, ब्रेस्ट और ओरल भी शामिल हैं । एएनएम के माध्यम से गांव-गांव स्क्रीनिंग भी कराई जाती है। इससे समय रहते किसी मरीज में कैंसर के लक्षण अगर मिलते हैं तो उसका समय से उपचार हो जाएगा। इस क्षेत्र में ज्यादातर मामले ओरल कैंसर के आते हैं। अगर लोग नशे से दूर हो जाएं तो कैंसर से बच सकते हैं।

कैंसर से कैसे बचें

  • नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम करें
  • वसायुक्त भोजन कम मात्रा में लें। ध्रूमपान से परहेज करें।
  • महिलाएं 50 वर्ष की उम्र के पश्चात गर्भाशय-ग्रीवा का नियमित परीक्षण किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से तीन-पांच वर्ष में अवश्य कराएं।
  • महिलाएं सर्वाइकल, स्तन तथा अंडाशय कैंसर से बचाव के लिए कम से कम दो साल तक अपने बच्चों को स्तनपान अवश्य कराएं। ऐसा करने से स्तन कैंसर की संभावना पचास फीसदी तक कम हो जाती है।
  • अधिक पानी पिया करें, जिससे मूत्राशय के कैंसर की संभावना कम हो जाती है। कम से कम दो लीटर पानी रोज पीना चाहिए।

कैंसर के लक्षण

स्किन में बदलाव, निगलने में दिक्कत, सीने में जलन, मुंह में बदलाव जैसे कुछ लक्षण हैं जो कैंसर रोग का कारण हो सकते हैं। ऐसे लक्षणों को हल्के में न लें।

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