उमा भारती बोलीं- मां गंगा से नहीं होने दूंगी खिलवाड़, मैं करूं गलती तो पकड़ लेना कान

Update: 2016-08-20 13:20 GMT

इलाहाबाद: देश में गंगा किनारे बसे 1561 गांवों की खुले में शौच से मुक्ति के लिए इलाहबाद में एक बड़ी शुरुआत हुई है। केंद्रीय जलसंसाधन मंत्री उमा भारती ने आज शहीद चन्द्रशेखर आजाद की मूर्ति के नीचे इन गांवों के प्रधानों और अधिकारियों को खुले में शौच से मुक्ति की शपथ दिलाई। उमा भारती ने जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ''मैं गंगा की एक्टिविस्ट थी और मुझे गंगा का ही मंत्रालय मिल गया। इसलिए मेरी जिम्मेदारी ज्यादा है। मैं गंगा की स्वच्छता के लिए हर संभव प्रयास करूंगी, लेकिन आप सबके प्रयास के बिना यह लक्ष्य अधूरा रहेगा। गंगा मां सबकी है और आस्था से किसी को खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा। यदि मैं भी कहीं गलती करूं तो कान पकड़कर आप लोग मुझे याद दिला देना।''

और क्या बोलीं उमा भारती ?

-2013 के प्रयाग कुंभ को याद करते हुए उन्होंने कहा सभी पांच पर्वों पर संगम में डुबकी लगाई थी और शपथ ली थी कि गंगा को निर्मल बनाने के लिए कुछ भी करूंगी।

-वह शपथ मुझे आज भी याद है। सभी गंगा सेवकों की मदद से मैं यह काम हर हाल में पूरा करूंगी।

-सचिव पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय परमेश्वरन अय्यर ने कहा कि गंगा के किनारे स्थित 1651 ग्राम पंचायतों के साढ़े चार हजार गांवों में से 1300 को खुले शौच से मुक्त कर लिया गया है।

- इनमें सबसे बेहतर स्थिति उत्तराखंड की है, जबकि सबसे खराब स्थिति यूपी और बिहार की है।

-उत्तराखंड में 80 फीसदी जबकि यूपी और बिहार में सिर्फ 2 फीसदी गांव ओडीएफ मुक्त हैं।

-कार्यक्रम में ओडीएफ मुक्त गांवों के सरपंचों का सम्मान भी किया गया।

पूरा होने जा रहा है सपना

केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग और ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों की इच्छा शक्ति के चलते इन गांवों में एक साल के अंदर खुले में शौच जाने के मुक्ति का सौ फीसदी लक्ष्य हासिल करने का सपना पूरा होने जा रहा है। आधे से ज्यादा गांवों के लोगों ने अपने संकल्प और प्रशासन के सहयोग से अपने गांव पर लगे उस कलंक को मिटाकर अपना नाम खुले में शौच मुक्त गांवो में दर्ज करा लिया है। इलाहाबाद के चन्द्रशेखर आज़ाद पार्क में जुटे इन गांवों के प्रधानों और यहां के लोगों के चहरे में खुशी साफ झलक रही है।

लोगों को समझाने में लगा थोड़ा वक्त

लोगों की खुले में शौच की इस आदत को बदलने और समझाने में कई तरह के पापड़ बेलने पड़े। गांव के लोगों को बताया गया कि खुले में शौच में जाने से हर घर में बीमारियां फैलती हैं। गांव के लोगों को यह बात समझ में आई और उन्होंने शौचालय बनवाना शुरू कर दिया। नतीजा यह हुआ कि एक साल के अंदर ही इन गांवों में खुले में शौच जाने से यहां के लोगो को आजादी मिल गई।

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