CAG Report: विश्वविद्यालयों में वर्षों से नहीं बदले कोर्स, कैसे मिलेगा रोजगार- कैग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

CAG Report: रिपोर्ट में कहा गया कि ज्यादातर कोर्स में वर्षों से कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसका नतीजा है कि इन संस्थानों से निकलने वाले विद्यार्थियों को रोजगार मिलने की स्थिति बहुत खराब है।

Written By :  Durgesh Sharma
Update: 2023-02-25 13:01 GMT

CAG Report (Pic: Social Media)

Prayagraj News: नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की ओर से पहली बार किए गए ऑडिट में प्रदेश के विश्वविद्यालय और कॉलेज किसी भी मानक पर खरे नहीं उतरे। ऑडिट रिपोर्ट में वर्षों पुराने पाठ्यक्रमों पर आपत्ति जताई गई। रिपोर्ट में कहा गया कि ज्यादातर कोर्स में वर्षों से कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसका नतीजा है कि इन संस्थानों से निकलने वाले विद्यार्थियों को रोजगार मिलने की स्थिति बहुत खराब है। प्रधान महालेखाकार बीके मोहंती ने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय एवं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से हर साल करीब 60 हजार विद्यार्थी निकलते हैं लेकिन, रोजगार सिर्फ एक हजार को ही मिल सका। संस्थानों के पास इसकी जानकारी भी नहीं है कि पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्र-छात्राएं क्या कर रहे हैं।

रिपोर्ट में कॉलेजों की स्थिति चिंताजनक

प्रधान महालेखाकार ने बताया कि 2014 से 2020 के बीच उच्च शिक्षा के परिणामों का ऑडिट किया गया है। हालांकि, अफसरों से पिछले वर्ष नवंबर तक रिपोर्ट ली गई है। दो वर्ष बाद भी स्थिति में बहुत बदलाव नहीं हुआ है। ऑडिट के लिए लखनऊ विवि एवं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के साथ इनसे संबद्ध 10 कॉलेजों को नमूने के तौर पर चुना गया था। ऑडिट के दौरान पाया गया कि कॉलेजों को मान्यता देने, प्रयोगशाला, शिक्षक छात्र अनुपात आदि मानक पर भी स्थिति संतोषजनक नहीं है।

निजी स्कूल वसूल रहे मनमानी फीस

महालेखाकार की रिपोर्ट में फीस स्ट्रक्चर पर भी आपत्ति जताई गई है। प्रधान महालेखाकार का कहना है कि कॉलेजों में एक ही पाठ्यक्रम के लिए अलग-अलग फीस ली जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार विश्वविद्यालयों के पास फीस को लेकर कोई ठोस गाइडलाइन ही नहीं है।

बिना नतीजा ही बंद हो गए 30 फीसदी रिसर्च प्रोजेक्ट

रिपोर्ट के अनुसार विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों में रिसर्च प्रोजेक्ट की स्थिति भी बेहद चिंताजनक है। ज्यादातर रिसर्च प्रोजेक्ट वर्षों देरी से चल रहे हैं। 30 फीसदी रिसर्च प्रोजेक्ट तो बिना परिणाम के ही समय से पहले बंद हो गए।

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