ब्यूरो, मेरठ: प्रदेश की सरकार बदलने के बाद भी मेरठ शहर के विकास को रफ्तार नहीं मिल सकी है। आलम यह है कि मेरठ एक्सप्रेस-वे, मेट्रो, आइटी पार्क व इनर रिंग रोड समेत तमाम प्रोजेक्ट अटके पड़े हैं। यह कब शुरू होंगे और कब पूरे होंगे, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
प्रदेश की सरकार बदलने के बाद औपचारिकता के नाम पर इन प्रोजेक्टों की समीक्षा हुई थी, लेकिन अभी तक ये फाइलों तक सीमित हैं।
महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट मेट्रो रेल
मेरठ शहर के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट मेट्रो रेल का है। इसका इन्तजार मेरठ ही नहीं आसपास के जिलों के लोगों को भी कई सालों से है। इसमें दो कॉरीडोर प्रस्तावित हैं। करीब एक साल पहले तत्कालीन प्रमुख सचिव द्वारा इस प्रोजेक्ट के परीक्षण के निर्देश देने के बाद मेट्रो की कार्ययोजना घोषित की गई थी। अब केंद्र द्वारा मेट्रो की नीति बनाए जाने के बाद स्थिति बदलने की उम्मीद है।
'रैपिड ट्रेन' भी धरातल से कोसों दूर
इसी तरह रैपिड ट्रेन प्रोजेक्ट भी धरातल से कोसों दूर दिख रहा है। आरआरटीएस की फाइनल डीपीआर को मंजूरी देने के बाद पिछले साल दिसंबर में एनसीआर प्लानिंग कमीशन बोर्ड की बैठक में इस पर मुहर लगा दी गई थी। इसके बाद से स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। 2011 के अंत में 15,500 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट तैयार किया गया था, जिसे चार साल में पूरा किया जाना था।
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मेरठ एक्सप्रेस-वे उपेक्षा का शिकार
उपेक्षा का शिकार मेरठ एक्सप्रेस-वे भी है। इसमें आखिरी चरण में मेरठ में निर्माण होना है। चौथे चरण में 32 किमी की लंबाई वाले छह लेन ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे, जो डासना से मेरठ तक है, के संबंध में करीब पांच महीने पहले मेरठ आयुक्त द्वारा जमीन अधिग्रहण के निर्देश दिए गए थे। इसी महीने बिड होनी थी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। इसमें पहले चरण में 6 लेन एक्सप्रेस-वे और 8 लेन नेशनल हाईवे- 24 दिल्ली से गाजीपुर तक है। दूसरे चरण में 6 लेन एक्सप्रेस-वे व 8 लेन एनएच-24 गाजीपुर से डासना है। किसानों की जमीन विवाद के चलते यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट में विचाराधीन है। तीसरे चरण में 6 लेन एक्सप्रेस-वे व 2 लेन सर्विस रोड जो डासना से हापुड़ तक है।
आईटी पार्क का तो काम भी शुरू नहीं हुआ
वेदव्यासपुरी में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया (एसटीपीआई) के लिए मेरठ विकास प्राधिकरण द्वारा ढाई एकड़ जमीन तीस साल की लीज पर दी गई थी। एमओयू हस्ताक्षर के करीब डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी अभी तक काम अधर में लटका पड़ा है। हालत यह है, कि मेरठ विकास प्राधिकरण को एसटीपीआई ने पत्र लिखकर कहा है कि या तो जल्द ही निर्माण शुरू हो या जमीन वापस कर दें। नवंबर 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा मेरठ में कन्या विद्याधन वितरण के दौरान आईटी पार्क की स्थापना की घोषणा की गई थी। तीन साल बाद मेरठ प्राधिकरण उपाध्यक्ष राजेश कुमार व एसटीपीआई ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे। एमओयू के तहत 18 महीने के अंदर आइटी पार्क बनकर तैयार होना था। लेकिन, तैयार तो तब होगा जब काम शुरू होगा। यहां तो अभी तक काम शुरू भी नहीं हुआ है।
इनर रिंग रोड का हाल तो और बुरा
यही स्थिति इनर रिंग रोड प्रोजेक्ट और न्यू ट्रांसपोर्ट नगर प्रोजेक्ट की है। इनर रिंग रोड प्रोजेक्ट को मेरठ विकास प्राधिकरण ने महायोजना 2021 के तहत 11 साल पहले तैयार किया था। 34 किमी लंबाई वाले इनर रिंग रोड का निर्माण दो फेज में होना है और इसमें 10 मुख्य मार्ग जोड़े जाने हैं। कई साल तक निर्माण कार्य को अटकाए रखने के बाद आर्थिक हालत का हवाला देकर मेरठ विकास प्राधिकरण द्वारा निर्माण करने से इंकार कर दिया गया। जिसके बाद शासन ने पीडब्ल्य़ूडी को मार्ग निर्माण की जिम्मेदारी दी है। लेकिन निर्माण कार्य की शुरुआत का अभी भी लोगों को इंतजार है।
ट्रांसपोर्ट नगर प्रोजेक्ट पर भी विराम
शहर से सटे पांचली के पास न्यू ट्रांसपोर्ट नगर बसाने का प्रोजेक्ट तैयार किया गया था। शहर की घनी आबादी वाले क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट नगर होने के कारण स्थानीय लोगों को रोजाना जाम की समस्या से जूझना पड़ता है। न्यू ट्रांसपोर्ट नगर बसाने के लिए प्राधिकरण को हडको से 200 करोड़ रुपए का ऋण लेना था, लेकिन इस प्रोजेक्ट पर भी फिलहाल विराम लगा है। थमे पड़े प्रोजेक्टों के बारे में कोई भी सरकारी अफसर अपनी जुबान खोलने को तैयार नहीं है। काफी कुरेदने पर मेरठ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष सीताराम यादव इतना ही कहते हैं,इंतजार कीजिए।