Chitrakoot : अनुसुइया आश्रम में मंदाकिनी की साफ-सफाई कर जलस्रोतों को खोला

UP Latest News : अनुसुइया आश्रम में उत्तर प्रदेश तथा मध्यप्रदेश के क्षेत्र में से सफाई अभियान चलाया जा रहा है। इस साफ-सफाई के बाद बंद चल रहे 10 जलस्रोत खुल गए।

Update: 2022-05-22 09:08 GMT

Chitrakoot Anusuiya Ashram (Image Credit : Social Media)

Chitrakoot News : भगवान राम की तपोभूमि धर्मनगरी चित्रकूट में लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र पतित पावनी मंदाकिनी की साफ-सफाई के लिए यूपी-एमपी दोनों ही क्षेत्रों में लगातार अभियान चल रहा है। गायत्री परिवार के सदस्यों ने मंदाकिनी के उद्गम स्थल अनुसुइया आश्रम के समीप सफाई अभियान चलाकर कचरा बाहर निकाला। जिससे बंद चल रहे 10 जलस्रोत खुल गए। इससे नदी में अब पानी बढ़ने की संभावना है।

चलाया गया साफ-सफाई अभियान

सती अनुसुइया आश्रम से प्रवाहित होने वाली मंदाकिनी में यहां पानी बहुत ही कम बचा है। जलस्रोत बंद होने से गर्मी के दिनों में मंदाकिनी दम तोड़ती दिख रही हैं। रविवार को गायत्री शक्तिपीठ चित्रकूट के संचालक डा. रामनारायण त्रिपाठी के साथ एमपी के मझगवां एसडीएम पीएस त्रिपाठी, नगर पंचायत परिषद सीएमओ विशाल सिंह व स्वच्छता प्रभारी प्रभात सिंह, पटवारी आशीष सिंह पूरी टीम के साथ अनुसुइया आश्रम के पास पहुंचे।

मंदाकिनी स्वच्छता समिति गायत्री शक्तिपीठ तथा नगर परिषद के स्वच्छता प्रहरी, गायत्री परिवार की युवा मंडल के कार्यकर्ताओं की सैकड़ों की टीम ने मंदाकिनी में साफ-सफाई अभियान चलाया। नदी के अंदर उतरकर यंत्रों के माध्यम से कचरा एकत्र किया। करीब आधा किमी. में मंदाकिनी को साफ किया गया। जिसमें विलुप्त हो चुके 10 स्रोतों से फिर जल प्रवाहित होने लगा। गायत्री परिवार उप जोन समन्वयक रमाशंकर द्विवेदी, जिला समन्वयक युवा प्रणव त्रिपाठी, अभिषेक गर्ग, विष्णु गर्ग, अनंत पांडेय, मनोज गुप्ता, रंजीत पटेल, डॉ उदय, राजेश सिंह आदि समेत समेत सैकड़ों लोगों ने श्रमदान किया।

एसडीएम ने कही ये बात

सबसे महत्वपूर्ण कार्य श्रोतों को तलाशने तथा उनको साफ कर जल प्रवाहित करने का किया गया। एसडीएम ने इस दौरान कहा कि श्रमदान के जरिए हजारों जलस्रोतों को जीवित किया जा सकता है। निर्माण कार्यों ने इन सब धाराओं को नष्ट कर दिया है। गायत्री शक्तिपीठ के संचालक ने बताया कि हजारों जलस्रोतोंं से प्रवाहित होने वाली मंदाकिनी मात्र दो-चार श्रोतों से चल रही है। इनको भी लोहे के पाइपों से जकड़ा गया है। फिर भी धाराएं जीवित है। कहा कि मंदाकिनी माता अनुसुइया द्वारा चित्रकूट को दिया पावन उपहार है। इसे सुरक्षित, संरक्षित रखना हर चित्रकूटवासी का नैतिक और धर्म कर्तव्य है। कम से कम हर व्यक्ति इतना संकल्प करे कि स्वच्छता में सहयोगी बने या न बने, पर गंदा न करे।

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