लखनऊ: उत्तर प्रदेश के प्रभारी बनाए जाने के बाद गुलाम नबी आज़ाद पहला बार लखनऊ पहुंचे। लेकिन उनके स्वागत समारोह और पहली मीटिंग से प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री गायब रहे। यूं तो खत्री कमर दर्द की वजह से गायब रहे। लेकिन जानकारों का कहना है कि कमर दर्द तो बहाना है, असल में तो वह नाराज हैं।
गुलाम नबी आज़ाद का पार्टी कार्यकर्ताओं ने इस दौरान उनका जमकर स्वागत किया। स्वागत कार्यक्रम के बाद गुलाम नबी आज़ाद ने गांधी भवन प्रेक्षागृह में आयोजित बैठक में हिस्सा लिया। बैठक की अध्यक्षता यूपी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष निर्मल खत्री और पूर्व सांसद को करनी थी, लेकिन वे नहीं पहुंचे। इसके कारण सभा की अध्यक्षता राम कृष्ण द्विवेदी ने की।
-प्रभारी बनने के बाद आजाद पहली बार लखनऊ पहुंचे और गांधी प्रेक्षागृह में कांग्रेसी नेताओं की एक सभा रखी गयी।
-सबा में प्रदेश के सभी बड़े कांग्रेसी नेताओं को शामिल होना था।
-सभा की अध्यक्षता निर्मल खत्री को करनी थी।लेकिन वह कमर दर्द की बात कहकर नहीं आये।
-सभा की अध्यक्षता पूर्व मंत्री राम कृष्ण द्विवेदी ने की।
-जानकारों का कहना है कि प्रदेश प्रभारी बदलने के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष को भी बदलने की बात चल रही है।
-ऐसे में निर्मल खत्री का जाना तय मना जा रहा है।
-यही बात खत्री को खटक रही है, इसलिए उन्होंने आजाद के कार्यक्रमों से दूरी रखी।
-तय कार्यक्रम के अनुसार खत्री को एअरपोर्ट पहुंच कर प्रदेश प्रभारी को रिसीव करना था, लेकिन वह एअरपोर्ट भी नहीं गए।
-एअरपोर्ट तक महज 20-22 लोग ही पहुंचे, जिनमें प्रमोद तिवारी, जितिन प्रसाद और विकास श्रीवास्तव शामिल थे।
ब्राह्मण-मुस्लिम अध्यक्ष का प्रयोग
-जानकारों का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी जितिन प्रसाद को दी जा सकती है।
-यह पीके फार्मूले की अगली कड़ी होगी, जिसके तहत प्रदेश कांग्रेस में मुस्लिम-ब्राह्मण फार्मूले पर ही प्रयोग किेए जा रहे हैं।
-कांग्रेस आलाकमान इसी फार्मूले के तहत फेरबदल में जुट गई है।