BTC छात्रों के प्रवेश रद्द होने का मामला, कोर्ट ने सरकार से समायोजन पर मांगा जवाब
सरकार की तरफ से मुख्य स्थाई अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट के एकल जज के आदेश से जिन 196 छात्रों का बीटीसी में इस वर्ष दाखिला लिया गया था उनका दाखिला निरस्त कर दिया गया है। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी है।
इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि प्रदेश में सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में बीटीसी कोर्स में कुल कितनी सीटें हैं और कितनी खाली रह गई हैं। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि उसके अंतरिम आदेश से प्रवेश पाए जिन 196 छात्रों का दाखिला निरस्त किया गया है, क्या उन्हें दूसरे कालेजों में शिफ्ट किया जा सकता है। सरकार ने कहा कि दाखिलों की प्रक्रिया 21 सितंबर तक पूरी की जा चुकी है।
प्रवेश से वंचित हैं 196 छात्र
-प्रदेश सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पूरी यूपी में कुल 75, 600 सीटों पर छात्रों का दाखिला 21 सितम्बर 2016 तक ही लिया जाना था।
-उत्तर प्रदेश में सरकारी कालेजों में बीटीसी की कुल 10,500 सीटें हैं, जो वर्तमान में भर चुकी हैं।
-सरकार की तरफ से मुख्य स्थाई अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने कोर्ट को यह भी बताया कि हाईकोर्ट के एकल जज के आदेश से जिन 196 छात्रों का बीटीसी में इस वर्ष दाखिला लिया गया था उनका दाखिला अभी हाल में निरस्त कर दिया गया है।
-बताया गया कि निरस्तीकरण का कारण हाईकोर्ट द्वारा उनकी याचिका का खारिज होना था।
कोर्ट ने ली समायोजन की जानकारी
-मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने सरकार से पूछा कि क्या उन 196 छात्रों का प्राइवेट कालेजों में समायोजन नहीं किया जा सकता।
-इस पर कहा गया कि सुप्रीमकोर्ट के आदेश से 21 सितम्बर के बाद दाखिले बंद हो चुके हैं। ऐसे में इनका दाखिला नहीं हो सकता।
-इस पर कोर्ट ने खाली सीटों की जानकारी मांगी। 72 जिलों से जानकारी प्राप्त कर सरकार द्वारा हलफनामा दाखिल किया जाएगा।
-याचियों का कहना था कि विज्ञापन के समय उनकी अर्हता नहीं थी, लेकिन प्रवेश के समय वे अर्ह थे।
-अगली सुनवाई 30 सितम्बर को होगी।