कार्य प्रगति पर है- विकास कार्यों में खूब हुआ गोलमाल

Update: 2019-07-19 07:27 GMT

पूर्णिमा श्रीवास्तव

गोरखपुर: गोरखपुर में इन दिनों जिधर नजर दौड़ाएंगे उधर ‘कार्य प्रगति पर’ का बोर्ड दिख जाएगा। वर्षों बाद शहर में विकास के कार्य हो रहे हैं लेकिन हद यह है कि शीर्ष स्तर पर निगरानी के बाद भी कदम-दर-कदम भ्रष्टाचार की परतें दिख रही हैं। घटिया निर्माण से करोड़ों की बर्बादी ही नहीं, रोजमर्रा की जिंदगी भी प्रभावित हो रही है। अरबों खर्च करके हो रहे अधिकतर काम भाजपा से जुड़े ठेकेदार कर रहे हैं, लिहाजा कोई जुबान नहीं खोल रहा। हालांकि नगर विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल भ्रष्टाचार की कलई खोलने के अभियान में लगे हुए हैं। पीडब्ल्यूडी, जीडीए, नगर निगम, जलनिगम या फिर रेलवे, सभी विभागों के कार्यों के पोस्टमार्टम का नतीजा है कि अधिकारियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई करनी पड़ी। पार्टी के अंदर कुछ लोग नगर विधायक की सक्रियता को सियासी चश्मे से देख रहे हैं।

गोरखपुर में फोरलेन, स्ट्रीट लाइट, सीवर लाइन, अंडरपास, ओवरब्रिज आदि के काम हो रहे हैं। वहीं करोड़ों की योजनाएं पाइप लाइन में हैं। मुख्यमंत्री के कड़े तेवर के बाद भी अफसर गुणवत्ता को लेकर बेखौफ हैं। जिस नंदानगर अंडरपास को अधिकारी समीक्षा बैठक में शानदार बता रहे थे, उसमें दूसरे ही दिन 10 फिट पानी था। घटिया निर्माण का आलम यह है कि कहीं नई सडक़ उखड़ रही है तो कहीं नालियां ही धंस रही हैं।

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अरबों की लागत से बन रही गोरखपुर-महराजगंज फोरलेन पर कंक्रीट की सडक़ लोकार्पण से पहले ही टूट रही है। दरअसल, भाजपा नेताओं या फिर उनके करीबियों द्वारा बिलो टेंडर पर निर्माण कार्य छीने जा रहे हैं। बिजली का काम जहां बरहज विधायक सुरेश तिवारी के बेटे की फर्म कर रही है, तो सडक़ निर्माण पर भाजपा नेता अजय सिंह टप्पू का कब्जा है। ठेकेदारी में विधायकी गंवाने वाले उमाशंकर सिंह और फरेंदा विधायक बजरंग बहादुर सिंह के करीबियों की फर्म को भी अरबों का काम मिला हुआ है।

कांग्रेस नेता सैयद जमाल कहते हैं, ‘अफसरों और भाजपा से जुड़े ठेकेदारों के गठजोड़ का नतीजा सडक़ पर दिख रहा है। कोई भी विभाग घटिया निर्माण के आरोपों से बरी नहीं है।’ बिजली निगम, गोरखपुर विकास प्राधिकरण, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम, जलनिगम कमोबेश सभी के दामन घटिया निर्माण के आरोप में दागदार दिख रहा है। घटिया निर्माण का मामला पिछले दिनों तब सुखिर्यों में आ गया जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में समीक्षा बैठक के दौरान बिजली विभाग के जेई अरुण चौधरी, एसडीओ प्रत्यूष बल्लभ और एक्सईएन एके सिंह को निलंबित करने का आदेश दिया।

मुख्यमंत्री के सख्त तेवर के बाद शहर में अंडरग्राउंड केबिल बिछा रही एसटी इलेक्ट्रिकल्स के जिम्मेदारों के खिलाफ मुकदमा तो दर्ज करा दिया गया लेकिन ठेकेदारों के रसूख के कारण मुकदमे में विवेचना ठंडे बस्ते में है। यही नहीं, मुख्यमंत्री द्वारा निलंबित अफसरों को सप्ताह भर के अंदर ही बहाल कर वाराणसी संबंद्ध कर दिया गया। दरअसल, देवरिया के बरहज विधानसभा से भाजपा विधायक के बेटे की फर्म एसटी इलेक्ट्रिकल्स प्राइवेट लिमिटेड ने गोलघर क्षेत्र में अंडरग्राउंड केबिल डालने का काम शुरू कराया था।

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नगर विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल ने जांच कराई तो केबिल मानक के अनुरूप नहीं बिछाए गए थे। मुख्यमंत्री के निर्देश पर एसटी इलेक्ट्रिकल्स, कार्य की मॉनीटरिंग करने वाली फर्म मेसर्स मेधज टेक्नो कॉनसेप्ट प्राइवेट लिमिटेड लखनऊ के खिलाफ कैंट थाने में एफआइआर कराई गई।

सीवर लाइन बिछाने में भी मनमानी

गोरखपुर शहर कूड़ाघाट क्षेत्र में करीब 78 करोड़ की लागत से 140 किमी लंबाई में सीवर लाइन बिछाने का कार्य चल रहा है। ठेकेदार को रोड कटिंग की अनुमति इस शर्त पर दी गई कि वह जैसी सडक़ पहले थी वैसी ही छोड़ कर जाएगा लेकिन कूड़ाघाट, सैनिक विहार, नंदानगर, गिरधरगंज, आवास विकास कालोनी आदि में पूरी सडक़ को उखाड़ दिया।

नगर विधायक ने फिलहाल इंजीनियरिंग कॉलेज और गिरधरगंज वार्ड में सीवर लाइन बिछाने के काम को रोक दिया है और जलनिगम के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार वाजपेयी से आगे का काम ट्रेंचलेस सीवरिंग सिस्टम से कराने की मांग की। अब ट्रेंचलेस पद्धति से करीब 86 किलोमीटर सीवर लाइन डाली जाएगी।

पहले चरण में शहर में कुल 140 किलोमीटर सीवर लाइन बिछाई जानी है। इसमें 54 किमी तक सीवर लाइन सडक़ें खोदकर डाली जा चुकी है। जलनिगम अब बचे हुए 86 किलोमीटर सीवर लाइन के कार्य को ट्रेंचलेस पद्धति से करने को लेकर रिवाइज इस्टीमेट तैयार कर रहा है।

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खैर, सीवर लाइन की खुदाई के दौरान पहले चरण में ही करीब 140 किलोमीटर सडक़ खस्ताहाल हो चुकी हैं। जिसे दोबारा बनवाने में करीब 98 करोड़ रुपए की लागत आएगी। पूरे शहर में अनुमानित रूप से 6500 किलोमीटर सडक़ें हैं। जिनको बनवाने में ही सैकड़ों करोड़ खर्च हो जाएंगे।

100 करोड़ से अधिक के प्रोजेक्ट में लूट-खसोट

गोरखपुर के शहरी इलाके में आईपीडीएस योजना के तहत 104 करोड़ खर्च कर अंडरग्राउंड केबिल बिछाया जा रहा है। मुख्यमंत्री के निवास स्थान गोरखनाथ से लेकर बक्शीपुर क्षेत्र में केबिल बिछाने में खूब गोलमाल हुआ। कहीं केबिल को नाली में डाल दिया गया तो कहीं सडक़ उखाडक़र दबा दिया गया है। शिकायत के बाद मुख्य अभियंता ने दो इंजीनियरों से केबिल बिछाने में अनिमियतता की जांच कराई। जांच रिपोर्ट में साफ हुआ कि गोरखनाथ क्षेत्र में 47 स्थानों व बक्शीपुर क्षेत्र में 26 स्थानों पर मानक के विपरीत केबिल डाला गया है। जांच कमेटी ने जो रिपोर्ट दी, उसके मुताबिक उपभोक्ताओं के परिसर में केबल बिना पीवीसी पाइप के ऐसे ही इधर-उधर लटके केबिल से कनेक्ट कर दिया गया था। अव्यवस्थित तरीके से नाली के किनारे लगभग सतह पर एवं नाली के बीचोंबीच ऊपर पीवीसी पाइप को अस्थाई सहारा देकर अथवा आसपास की पाइप से रस्सी बांध कर डाला गया। भूमिगत केबिल लगाने को उखाड़ी गई इंटरलाकिंग ब्रिक की भी मानक के मुताबिक मरम्मत नहीं की गई। आधी-अधूरी पाइप डालकर स्पेयर केबिल को भविष्य में संयोजन के लिए छोड़ दिया गया। मुख्य अभियंता ने जांच कमेटी की कड़ी संस्तुति को दरकिनार कर फर्म को नोटिस भेजकर खानापूर्ति कर दी। वह कड़ी कार्रवाई से बचते रहे।

भाजपा विधायक के रसूख में जीडीए उपाध्यक्ष ने रद कर दिया था वर्क आर्डर

बरहज के भाजपा विधायक सुरेश तिवारी के रसूख के कारण दो साल पहले गोरखपुर विकास प्राधिकरण के तत्कालीन उपाध्यक्ष वैभव श्रीवास्तव ने नौसढ़ से कालेसर तक एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने के वर्क आर्डर को ही रद कर दिया था। उपाध्यक्ष द्वारा दावा किया गया कि टेंडर में मनमानी की गई है, लिहाजा दोबारा टेंडर की प्रक्रिया होगी। दोबारा टेंडर में विधायक के बेटे की फर्म ने 60 लाख रुपये कम का टेंडर डाल कर काम हथिया लिया। एसटी इलेक्ट्रिकल्स ने तकरीबन साढ़े तीन करोड़ खर्च कर स्ट्रीट लाइट तो लगा दिया लेकिन कभी पोल को जमीन में गाडऩे तो कभी पोल के ऊपर लगे ब्रैकेट की गुणवत्ता पर सवाल उठे। बता दें कि नौसढ़ से कालेसर तक स्ट्रीट लाइट के लिए पैसा गीडा ने दिया और जीडीए की निगरानी में काम हुआ। गीडा ने निर्माण कार्य के बाद अपने इंजीनियरों से कार्य का सर्वे कराया तो भ्रष्टाचार की परतें खुल गईं। गीडा के सीईओ संजीव रंजन ने जीडीए उपाध्यक्ष को इस संस्तुति का पत्र भेजा कि फर्म के भुगतान में 19 लाख की कटौती के साथ उसे ब्लैक लिस्टेड किया जाए। जीडीए के जिम्मेदारों ने पत्र को ही दबा कर रख लिया। इस टेंडर को लेकर जीडीए उपाध्यक्ष वैभव श्रीवास्तव और तत्कालीन एक्सईएन पंकज तिवारी के बीच जमकर नोकझोंक हो गई थी। जिसके बाद एक्सईएन को निलंबित कर दिया गया था।

लोकार्पण के चंद महीने में धंस गया अंडरपास का एप्रोच

करीब 16 करोड़ की लागत से तैयार नंदानगर अंडरपास की रिटेनिंग वॉल लोकार्पण के तीन महीने बाद ही धंस गई। रेलवे लाइन के उपर से पानी टपक रहा है तो सडक़ से भी पानी अंडरपास में घुस रहा है। चंद मिनटों की झमाझम बरिश में अंडरपास तालाब सरीखा नजर आता है। निर्माण के वक्त ही नगर विधायक ने अंडरपास का निरीक्षण कर दावा किया था कि बारिश में अंडरपास में पानी घुसेगा। पानी निकासी का कोई इंतजाम नहीं किया गया है। तब पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने दावा किया था कि अंडरपास में पानी नहीं जमा हो इसके इंतजाम हैं। खैर, अब जलभराव को देखते हुए नगर विधायक ने रेलवे से लेकर पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

विधायक के बेटे की फर्म ने खूब की मनमानी

बरहज विधायक सुरेश तिवारी के बेटे की फर्म एसटी इलेक्ट्रिकल्स ने गोलघर में अंडरग्राउंड केबिल बिछाने को लेकर साल भर पहले बिजली निगम से करार किया था। बीते वर्ष 18 जुलाई को हुए करार के मुताबिक फर्म को अंडरग्राउंड केबिल बिछाने का काम 30 करोड़ 51 लाख में करना था। केबिल बिछाने में मनमानी का आलम यह है कि कहीं नालियों में अंडरग्राउंड केबिल बिछाए गए तो कहीं सीधे पैनल से आपूर्ति दे दी गई। तत्कालीन अधीक्षण अभियंता अवधेश सिंह ने फर्म की रसूख के आगे दर्जनों शिकायतों को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

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