राम मंदिर निर्माण के लिए संगम नगरी में हो रही धर्मसंसद, भागवत से मिले योगी
परमधर्म संसद की अगुआई कर रहे शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा, 'हम अयोध्या में 21 फरवरी 2019 को राम मंदिर की नींव रखेंगे। हम कोर्ट के किसी भी आदेश का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। जब तक सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के आदेश को खारिज नहीं कर देता, तब तक यह लागू है। वहां रामलला विराजमान हैं, वह जन्मभूमि है।'
प्रयागराज: प्रयागराज में चल रहे कुंभ के दौरान राम मंदिर निर्माण का मुद्दा गरमाया हुआ है। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की तरफ से आज से शुरू हो रही दो दिवसीय धर्म संसद में संगम नगरी से साधु-संत एक सुर में मंदिर की आवाज बुलंद कर रहे हैं।
बता दें कि प्रयागराज में आज सीएम योगी की आरएसएस प्रमुख की प्रयागराज संघ कार्यालय में एक घंटे तक मुलाकात हुई। जानकारी के अनुसार साधु संतों के 21 फरवरी से अयोध्या कूच के एलान पर चर्चा हुई।
धर्म संसद से पहले मोहन भागवत और सीएम योगी की मुलाकात के कई मायने बताये जा रहे हैं। इसके बाद वह कई प्रमुख साधु संतों से मुलाकात करेंगे। बताया जा रहा है कि अयोध्या में विवादित जमीन को छोड़कर मंदिर निर्माण पर होगी साधु संतों से सीएम चर्चा करेंगे।
सीएम योगी धर्म संसद से पहले सीएम आरएसएस चीफ की बातों को साधु-संतों तक पहुंचाएंगे। सीएम योगी आदि शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती और जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी से मुलाकात करेंगे।
दो दिन तक चलने वाली धर्म संसद में देशभर के तकरीबन 5,000 साधु-संत जुट रहे हैं। वीएचपी ने इसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां की हैं। इस आयोजन में वीएचपी और संघ के बड़े पदाधिकारी भी पहुंच रहे हैं। वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार और अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे समेत वीएचपी की पूरी कार्यकारिणी कुंभ में मौजूद है। आरएसएस प्रमुख के अलावा भैयाजी जोशी और दत्तात्रेय होसबोले भी धर्म संसद में शिरकत कर रहे हैं।
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इस धर्म संसद के दौरान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद होंगे। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ भी इस धर्म संसद में शिरकत कर सकते हैं। यहां उनकी मुलाकात मोहन भागवत से हो सकती है। इसके अलावा मुख्यमंत्री की मुलाकात पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद से भी हो सकती है
इससे पहले प्रयागराज में संतों ने घोषणा की थी कि वे अयोध्या में 21 फरवरी से राम मंदिर का निर्माण शुरू कर देंगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि तीन दिन तक प्रयागराज में चली संतों की धर्मसंसद में निर्णय लिया गया कि 21 फरवरी को मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि गिरफ्तार या इस प्रकार की अन्य किसी कार्रवाई से संतों के इस अभियान पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
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ध्यान रहे कि इससे एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित जमीन के आसपास की जगह को राम जन्मभूमि न्यास को सौंपने के लिए अर्जी दाखिल की है। इस अर्जी में केंद्र सरकार ने करीब ढाई दशक पहले अधिग्रहित की गई 67 एकड़ जमीन को न्यास को वापस करने की मांग की है। 0.313 एकड़ जमीन विवादित है।
'मंदिर निर्माण के 21 फरवरी की तारीख तय'
वीएचपी की धर्म संसद से इतर प्रयागराज में संतों की धर्म संसद के दौरान ऐलान किया गया है कि संत समाज के लोग अगले महीने प्रयाग से अयोध्या के लिए कूच करेंगे। 'परमधर्म संसद' की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मंदिर निर्माण के लिए 21 फरवरी की तारीख तय की गई है। कोर्ट के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा गया है कि खेद का विषय है कि कुत्ते तक को तत्काल न्याय दिलाने वाले राम के देश में रामजन्मभूमि के मुकदमे को न्याय नहीं मिल रहा है।
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हम कोर्ट के किसी भी आदेश का उल्लंघन नहीं कर रहे: स्वरूपानंद
परमधर्म संसद की अगुआई कर रहे शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा, 'हम अयोध्या में 21 फरवरी 2019 को राम मंदिर की नींव रखेंगे। हम कोर्ट के किसी भी आदेश का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। जब तक सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के आदेश को खारिज नहीं कर देता, तब तक यह लागू है। वहां रामलला विराजमान हैं, वह जन्मभूमि है।'