Etah News: एटा महोत्सव: तहसीलदार और पुलिस में नोकझोंक, VIP पास बंटवारे पर फिर उठे सवाल
Eta Mahotsav News: आज एटा महोत्सव में हरियाणवी नाइट्स का आयोजन किया गया जहां पर रेणुका पंवार व अमन जाजी हरियाणवी गायकों द्वारा आयोजन किया जाना था।;
Eta Mahotsav News ( Pic- Social- Media)
Eta Mahotsav News: एटा महोत्सव 2025 एक बार फिर VIP पास और प्रशासन की मनमानी को लेकर चर्चा में है। हमेशा की तरह इस बार भी आरोप लग रहे हैं कि यह महोत्सव केवल प्रशासन और उनके परिवारों के लिए आयोजित किया जा रहा है। जनता को तो बस तमाशबीन बनाकर बाहर छोड़ दिया जाता है, जबकि VIP पास अधिकारियों, उनके करीबी लोगों और नेताओं के परिवारों के बीच बंट जाते हैं।आज एटा महोत्सव में हरियाणवी नाइट्स का आयोजन किया गया जहां पर रेणुका पंवार व अमन जाजी हरियाणवी गायकों द्वारा आयोजन किया जाना था।इस पूरे मामले को तब और हवा मिली जब तहसीलदार और पुलिस के बीच कार्यक्रम में प्रवेश को लेकर तीखी बहस हो गई।
तहसीलदार-पुलिस आमने-सामने, फिर चुप्पी क्यों?
घटना तब हुई जब तहसीलदार अपनी 50 लोगों की टीम के साथ महोत्सव में पहुंचे। पुलिस ने जब उन्हें रोका तो एक जवान ने कहा, "यह 50 आदमी लेकर आए हैं," जिस पर तहसीलदार ने जवाब दिया, "मेरी व्यवस्था है, मैं जितने भी लोग लाऊं, मैं जिम्मेदार हूँ।"
इसके बाद पुलिस प्रशासन थोड़ी देर तक तो विरोध करता रहा, लेकिन अंत में मात्र दर्शक बनकर साइड में खड़ा हो गया और तहसीलदार के लोगों को अंदर जाने दिया। यह घटना इस बात को साबित करती दिख रही है कि महोत्सव में अधिकारी अपने पद का फायदा उठाते हुए अपनी सुविधा के हिसाब से नियमों को लागू और निरस्त कर सकते हैं।
VIP पास का खेल: प्रशासन और नेताओं के करीबियों की मौज
हर बार की तरह इस बार भी महोत्सव में VIP पास के बंटवारे को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। आम जनता और आयोजकों को दरकिनार कर अधिकारियों और उनके परिवारों को विशेष पास दिए जा रहे हैं।पहले प्रदर्शनी कमेटी सभी जनप्रतिनिधियों, पत्रकारों और आयोजनकर्ताओं को VIP पास देती थी, लेकिन अब ये पास सिर्फ प्रशासनिक अधिकारियों, उनके परिवारों, नेताओं के करीबियों और कुछ खास लोगों के बीच ही सिमट गए हैं।जनता का मनोरंजन और उनके लिए सुविधाएं बस नाम मात्र की रह गई हैं, जबकि बड़े कार्यक्रमों में खास लोगों के लिए अलग से व्यवस्था की जा रही है।
प्रशासन पर लगे पुराने आरोप फिर हुए सच साबित?
समय-समय पर एटा महोत्सव को लेकर यह आरोप लगते रहे हैं कि इसे केवल अधिकारियों और उनके परिवारों के लिए आयोजित किया जाता है। इस साल भी VIP पास और प्रशासनिक दबदबे को लेकर जनता के बीच असंतोष है।तहसीलदार और पुलिस के बीच हुई नोकझोंक ने यह भी साफ कर दिया कि जब कोई अधिकारी अपने पद का इस्तेमाल करता है, तो नियमों की धज्जियां उड़ने लगती हैं। तहसीलदार बिना किसी रोक-टोक के जितने भी लोगों को अंदर ले जाने के लिए स्वतंत्र रहे, और पुलिस प्रशासन थोड़े से विरोध के बाद बस तमाशबीन बनकर खड़ा रह गया।इस पूरे घटनाक्रम से साफ हो गया कि एटा महोत्सव अब जनता के लिए नहीं, बल्कि प्रशासन, उनके परिवारों और कुछ खास नेताओं के लिए रह गया है। आम लोग बाहर खड़े इंतजार करते रह जाते हैं, जबकि भीतर अधिकारी और उनके करीबी महोत्सव का पूरा मजा लेते हैं। अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन VIP पास के बंटवारे को लेकर कोई पारदर्शिता लाएगा, या फिर जनता हर साल की तरह सिर्फ तमाशबीन बनी रहेगी?