हजारों घड़ियालों ने चम्बल में खोली आंखें

चम्बल नदी में इस बार फिर बड़ी संख्या में घड़ियालों के कुनबे में हुई वृद्धि है।

Report :  Uvaish Choudhari
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-06-20 16:46 GMT

चंबल नदी में घड़ियालों की संख्या बढ़ी (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Etawa News: उत्तर प्रदेश के इटावा में घड़ियालों के एकमात्र प्राकृतिक वास के लिए जानी जाने वाली चम्बल नदी में इस बार फिर बड़ी संख्या में घड़ियालों के कुनबे में हुई वृद्धि है। चम्बल सेंचुरी के वन्य जीव अधिकारियों के अनुसार इस बार घड़ियालों के 55 नेस्ट में से जून माह में 2500 से ज़्यादा बच्चे अंडों में से निकले हैं। 1 नेस्ट से 40 से 50 के बीच बच्चे निकलते हैं। वहीं आगरा के बाह से लेकर इटावा तक करीब घड़ियालों के बच्चों की संख्या 4500 से ज़्यादा है। जानकारी के मुताबिक घड़ियाल का जीवन काफी संघर्ष भरा होता है और इन्हें जीने के लिये काफी मशक्कत करनी पड़ती है। हालांकि घड़ियाल जिस पानी में रहते हैं, वह पानी काफी शुद्ध हो जाता है इसे घड़ियाल की विशेषता मानी जाती है।

इटावा में 2 जगह सेंचुरी इलाके में बड़ी संख्या में घड़ियालों के बच्चे निकलने से वाइल्ड लाइफ में रुचि रखने वाले लोगों में बड़ा उत्साह देखने को मिल रहा है। 1975 से चम्बल नदी में घड़ियालों की संख्या बढ़ाने के लिए चंबल नदी को सेंचुरी इलाके में लाकर राजस्थान के पाली से इटावा के पचनदा तक बहने वाली चंबल नदी में घड़ियालों का संरक्षण किया जा रहा है इटावा के चंबल के बीहड़ इलाकों से बहने वाली चंबल नदी में लोगों की कम आवाजाही होने की वजह से घड़ियालों को नेस्टिंग करने के लिए सुरक्षित माहौल मिलता है। यही वजह है कि इटावा एवं आगरा के बाह तक बड़ी संख्या में जून के माह में घड़ियाल के अंडे देखने को मिलते हैं। एक नेस्ट में 40 से लेकर 50 तक बच्चे निकलते हैं। घड़ियाल मार्च माह में अंडे देता है और 60 दिन बाद जून के पहले हफ्ते में अंडों से बच्चे निकलते हैं। इटावा में खेड़ा अजब सिंह इलाके में नदी किनारे रेत के नीचे बड़ी संख्या में अंडे देखने को मिल जाते हैं।

घड़ियाल की बात की जाए तो देश भर का 90 प्रतिशत घड़ियाल चंबल नदी में पाए जाते हैं। अंडों से बच्चे निकलने के बाद बच्चों की सुरक्षा के लिए नर घड़ियाल नदी में पूरी तरह से मुस्तैद रहते हैं। हालांकि बरसात का पानी जब चंबल में बढ़ जाता है तो पानी के तेज बहाव से केवल 5% बच्चे ही जिंदा बच पाते हैं।

Tags:    

Similar News