DDU News: डीडीयू में लगेगा विदेशी छात्रों का जमावड़ा, त्रिभुवन यूनिवर्सिटी के साथ साइन होगा एमओयू

Gorakhpur News: कुलपति प्रो.पूनम टंडन ने बताया कि एमओयू के अंतर्गत जॉइंट डिग्री प्रोग्राम तथा स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम को शुरू करने पर सहमति बनेगी। त्रिभुवन यूनिवर्सिटी ने इसके लिए सहमति जताई है।

Written By :  Durgesh Sharma
Update:2023-09-19 18:43 IST

DDU University Gorakhpur(Pic:Social Media)

Gorakhpur News: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय जल्द ही त्रिभुवन यूनिवर्सिटी के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करेगा। कुलपति प्रो.पूनम टंडन ने बताया कि एमओयू के अंतर्गत जॉइंट डिग्री प्रोग्राम तथा स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम को शुरू करने पर सहमति बनेगी। त्रिभुवन यूनिवर्सिटी ने इसके लिए सहमति जताई है। गोरखपुर विश्वविद्यालय में हमेशा से पड़ोसी देश नेपाल से विद्यार्थी अध्ययन के लिए आते रहे है। विश्विविद्यालय का प्रयास इसे और बढ़ावा देना का है। दीक्षांत समारोह में भी तीन नेपाल के शोधकर्ताओं को उपाधि महामहिम ने दी।

द्विपक्षीय संबंध होंगे मजबूत

कुलपति प्रो टंडन के दिशानिर्देशन में गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय सेल की दो प्राथमिकताएँ निर्धारित की गई हैं। जिसमें पड़ोसी देशों जैसे नेपाल, भूटान, श्रीलंकाई और मालदीव के साथ मजबूत सहयोग (छात्र-संकाय आदान-प्रदान) बनाने की है। इसके साथ डीडीयू का अंतर्राष्ट्रीय सेल भारतवंशियों के लिए विशेष रूप से गिरमिटिया देशों फिजी, सूरीनाम, गुयाना, मॉरीशस, त्रिनिदाद-और टोबैगो के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। इन देशों के शिक्षण संस्थानों से एमओयू के लिए बातचीत किया जा रहा है। इन देशों में भारी मात्रा में भारतवंशी अंग्रेजी शासन के दौरान गिरमिटिया मजदूर के रूप में गए थे और वो आज काफी प्रभावशाली है तथा भारत से सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं भावनात्मक रूप से लगाव रखते है और भारत के शिक्षण संस्थानों से जुड़ना चाहते हैं।

'नो इंडिया प्रोग्राम' में भाग लेगा गोरखपुर विश्वविद्यालय

इसके साथ ही गोरखपुर विश्वविद्यालय विदेश मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए 'नो इंडिया प्रोग्राम' (भारत को जानिए) कार्यक्रम (केआईपी) में भाग लेगा जिसमें प्रवासी भारतीय छात्र गौरवशाली भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में जानने के लिए भारत आते हैं।

रैंकिंग में विकासशील देशों की महत्वपूर्ण भूमिका

कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय रैंकिंग जैसे एनआईआरएफ रैंकिंग तथा क्यूएस रैंकिंग में बेहतर प्रदर्शन के लिए परसेप्शन (धारणा) की महत्वपूर्ण भूमिका है। क्यूएस रैंकिंग में करीब 50-60% मूल्यांकन परसेप्शन पर निर्भर करता है। जिसमें विकासशील देशों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इसलिए इंटरनेशनल सेल विकासशील देशों के छात्रों/संकायों को आकर्षित करने के लिए एक विंडो खोलने के लिए अग्रसर है।

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