Gorakhpur News: झांसी से भी बड़ी घटना गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में होने का अंदेशा, शो पीस हैं सभी विंग का स्मोक अलार्म सिस्टम
Gorakhpur News: झांसी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में आग लगने की घटना के बाद शासन ने मेडिकल कॉलेज में अग्निशमन के उपायों की जांच का निर्णय लिया था। इसी क्रम में टीम ने पाया कि सभी प्रमुख भवनों में स्मोक अलार्म सिस्टम खराब है।
Gorakhpur News: झांसी में आग लगने से बच्चों की मौत के बाद भी गोरखपुर का बीआरडी मेडिकल कॉलेज सबक लेने को तैयार नहीं है। कॉलेज में लगे अग्निशमन के उपाय सिर्फ दिखावे के लिए हैं। मेडिकल कॉलेज के सभी विंग का स्मोक अलार्म सिस्टम खराब है। नेहरू अस्पताल, सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक के साथ ही अत्याधुनिक 500 बेड वाले बाल रोग संस्थान में भी स्मोक सिस्टम फेल हो चुका है।
अग्निशमन विभाग की जांच में चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है। झांसी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में आग लगने की घटना के बाद शासन ने मेडिकल कॉलेज में अग्निशमन के उपायों की जांच का निर्णय लिया था। इसी क्रम में अग्निशमन विभाग की टीम ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के सभी विभागों की सरसरी जांच की है। टीम ने पाया कि सभी प्रमुख भवनों में स्मोक अलार्म सिस्टम खराब है। इसमें नेहरू अस्पताल और 500 बेड वाला बाल रोग संस्थान भी शामिल है। इससे खतरा यह है कि आग लगने के बाद प्रशासन को देर से सूचना मिलेगी।
इस स्मोक अलार्म सिस्टम में ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर लगे हुए हैं। वे भी काम नहीं कर रहे हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रामकुमार जायसवाल ने बताया कि फायर सेफ्टी ऑडिट से अलार्म सिस्टम खराब होने की जानकारी मिली है। यह गंभीर मामला है। इसमें किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बुधवार से ही इसे दुरुस्त करने का प्रयास किया जाएगा। अग्निशमन विभाग को जहां भी खामियां मिलेंगी, उन्हें दुरुस्त किया जाएगा।
फायर हाइड्रेट सिस्टम के लिए भी पंप ऑपरेटर
बीते छह साल में यहां आग लगने की दर्जन भर अधिक घटनाएं हो चुकी हैं, इसके बावजूद लापरवाही बदस्तूर जारी है। अग्निशमन विभाग ने इसको लेकर बीआरडी प्रशासन को कड़ा पत्र लिखा है। कॉलेज में तमाम उपकरण बिजली की वायरिंग से जुड़े हैं। बिजली की वायरिंग में फॉल्ट होने से आए दिन परेशानियां होती है। बिजली आपूर्ति के साथ सर्वर ठप हो जाता है। ऐसे में संस्थान में बिजली वायरिंग, उपकरणों के संरक्षण के लिए कोई अवर अभियंता नहीं है। जबकि कॉलेज में इसका पद सृजित है। वहीं फायर हाइड्रेट सिस्टम के लिए भी पंप ऑपरेटर व कर्मचारी नहीं है। बीआरडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. रामकुमार जायसवाल ने बताया कि मेडिकल कालेज में करीब 500 फायर एक्सटिंग्विशर को रिफिल कराया जा रहा है। इसमें 350 फायर एक्सटिंग्विशर को रिफिल कराया जा चुका है। आईसीयू में आग लगने का खतरा होता है। वहां आग को बुझाने के लिए धुआं वाले फायर एक्सटिंग्विशर का उपयोग नहीं हो सकता। ऐसे में आईसीयू के लिए 40 धुआ रहित फायर एक्सटिंग्विशर खरीदे गए हैं।