Gorakhpur News: आयुष्मान योजना का बुरा हाल, 100 करोड़ बकाया, मरीजों का इलाज खौफ में या बकाए में बड़ी उम्मीद

Gorakhpur News:गोरखपुर में आयुष्मान योजना का बुरा हाल है। इलाज के नाम पर गली-गली खड़े अस्पतालों में करोड़ों रुपये का इलाज हो रहा है। आकड़ों की माने तो गोरखपुर के निजी अस्पतालों का आयुष्मान योजना में 110 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है।;

Update:2025-02-05 08:28 IST

Ayushman Scheme News (Photo Social Media)

Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में आयुष्मान योजना का बुरा हाल है। इलाज के नाम पर गली-गली खड़े अस्पतालों में करोड़ों रुपये का इलाज हो रहा है। आकड़ों की माने तो गोरखपुर के निजी अस्पतालों का आयुष्मान योजना में 110 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। लेकिन दिलचस्प यह है कि अस्पतालों की सेहत पर खास असर नहीं है। अस्पताल रस्मी ई-मेल कर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि उधारी के 100 करोड़ के बाद भी अस्पताल सरकार के खौफ में इलाज कर रहे हैं, या फिर बकाया में भी बड़ी उम्मीद छिपी हुई है।

निजी अस्पतालों का भुगतान करने में लापरवाही

जिन अस्पतालों ने करोड़ों का इलाज किया है, उनमें कई कस्बाई इलाकों में हैं। बड़हलगंज के एक निजी अस्पताल में औसतन पांच से छह आयुष्मान मरीजों की सर्जरी होती है। इसमें हड्डीरोग, जनरल सर्जरी, यूरोलॉजी सर्जरी से लेकर न्यूरो सर्जरी शामिल हैं। इस अस्पताल का पिछले चार महीने से आयुष्मान मरीजों के इलाज के बकाए का भुगतान स्वास्थ्य विभाग ने नहीं किया है। जबकि यहां हुए मरीजों के इलाज व कागजातों का वेरिफिकेशन हो चुका है। इस अस्पताल का करीब छह करोड़ रुपये बकाया हो गया है। अस्पताल प्रबंधन अब आयुष्मान मरीजों के इलाज से कतरा रहा है। संचालकों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा निजी अस्पतालों के भुगतान में लापरवाही कर रहा है। पिछले 4 महीने से आयुष्मान के भुगतान में लापरवाही हो रही है। अस्पतालों के 90% क्लेम में भुगतान अब तक नहीं हो सका है। सिर्फ गोरखपुर में प्राइवेट अस्पतालों का भुगतान करीब 110 करोड़ रुपये का बकाया हो गया है। लगातार बढ़ रहे बकाया की राशि से अस्पताल संचालक हलकान है। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि आयुष्मान मरीजों का इलाज कैसे करें। अब घर से पूंजी लग रही है।

पास क्लेम का भी भुगतान नहीं

यूपी नर्सिंग होम एसोसिएशन गोरखपुर के सचिव डॉ. अजय शुक्ला ने बताया कि आईसीयू में मरीज का प्रतिदिन का साचीज से अप्रूवल लेना होता है। लखनऊ में बैठे लोग अप्रूवल देने के बाद डिस्चार्ज के समय का देते हैं। वही तय करते हैं कि मरीज को आईसीयू की दरकार है या नहीं। पेमेंट पूरा नहीं मिल रहा। कभी-कभी तो पेमेंट काट कर दे रहे हैं। बकाए भुगतान को लेकर एसोसिएशन चेतावनी देने जा रहा है। आयुष्मान मरीजों के इलाज के कलेम के निस्तारण के लिए स्टेट हेल्थ एजेंसी (साचीज) है। यहीं पर सबसे ज्यादा अवरोध है। आईएमए के पूर्व सचिव व यूपी नर्सिंग होम एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. अमित मिश्रा ने बताया कि जिन क्लेम को पास किया जा चुका है। उनका भुगतान भी विभाग नहीं कर रहा है। आईएमए के जरिए इस मामले को सीएमओ से लेकर प्रमुख सचिव तक तक रखा गया। आईएमए ने चार ईमेल साचीज को भेजा है। सीएमओ डॉ.आशुतोष कुमार दूबे का कहना है कि भुगतान में देरी की जिम्मदारी साचीज की है। आईएमए और नर्सिंग होम एसोसिएशन के अलावा दर्जनभर अस्पतालों से भुगतान को लेकर चेतावनी पत्र मिला है। हमने साचीज को इसकी जानकारी देकर भुगतान का आग्रह किया है। भुगतान साचीज ही करेगा।

पूर्वांचल के मरीजों के उम्मीद का केन्द्र है गोरखपुर

पूर्वी यूपी में आयुष्मान के इलाज का सबसे बड़ा केंद्र गोरखपुर है। यहां गोरखपुर, बस्ती, आजमगढ़ और देवीपाटन मंडल के अलावा बिहार से भी आयुष्मान मरीज इलाज के लिए आ जाते हैं। आयुष्मान कार्डधारक मरीजों का इलाज निशुल्क होता है। लाइफकेयर हॉस्पिटल, गोरखनाथ हॉस्पिटल, शाही ग्लोबल हॉस्पिटल, दुर्गावती हॉस्पिटल, नांगलिया हॉस्पिटल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल समेत 267 अस्पताल आयुष्मान में पंजीकृत हैं। इसमें 187 निजी अस्पताल शामिल हैं। जिले में आयुष्मान योजना के तहत करीब 24 लाख लाभार्थी हैं। इनमें से 14 लाख लाभार्थियों के आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं।

-------------------

Tags:    

Similar News