Gorakhpur News: क्यों टूटा मस्जिद का हिस्सा और क्या है अधिवक्ता की लिखित बहस की पूरी जानकारी

Gorakhpur News: गोरखपुर में धर्मिक सहजता और अधिवक्ता की लिखित बहस;

Update:2025-03-12 08:50 IST
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Gorakhpur News खुद तोड़ा मस्जिद का बढ़ा हिस्सा (Image From Social Media)

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Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में गोरखपुर विकास प्राधिकरण के नोटिस के बाद सुर्खियों में आए अबू हुरैरा मस्जिद प्रकरण में अब निर्णय की बारी है। मस्जिद का बड़ा हिस्सा खुद तोड़ कर कमेटी के प्रतिनिधि अधिवक्ता ने कमिश्नर कोर्ट में लिखित बहस दाखिल कर दिया है। प्राधिकरण की तरफ से 12 मार्च को बहस दाखिल होने की उम्मीद है। होली के बाद 18 मार्च को कमिश्नर कोर्ट का निर्णय आने की उम्मीद है।

अबू हुरैरा मस्जिद मामले में कमेटी की ओर से मस्जिद के अवैध निर्माण का पूरा हिस्सा तोड़ा जा चुका है। अब टूटे हुए हिस्से की मरम्मत और पेंटिंग आदि का काम चल रहा है। इस मामले में जीडीए के ध्वस्तीकरण के आदेश के खिलाफ मस्जिद के दिवंगत मुतवल्ली के पुत्र की ओर से दाखिल अपील पर मंगलवार को कमिश्नर कोर्ट में सुनवाई की तिथि तय थी। कमिश्नर ने दोनों पक्षों को लिखित बहस दाखिल करने का निर्देश देते हुए आश्वस्त किया कि वह 18 तक मामले में फैसला सुना देंगे। इसपर मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता ने लिखित बहस दाखिल कर दी जबकि जीडीए के अधिवक्ता ने बुधवार को अपना पक्ष दाखिल कर देने का भरोसा दिलाया। वहीं प्राधिकरण की ओर से निर्माणकर्ता को 15 दिन के भीतर खुद ही अवैध निर्माण तोड़ने के लिए दी गई मोहलत की अवधि रविवार यानी दो मार्च को पूरी हो गई लेकिन, इसके एक दिन पहले शनिवार को ही मस्जिद कमेटी के सदस्यों ने आपसी सहमति से सुबह ही मजदूर लगाकर मस्जिद के सबसे ऊपर तीसरे तल पर हुए अवैध निर्माण को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इसे तोड़ने के बाद कमेटी ने दूसरे तल पर हुए निर्माण को भी तोड़ दिया।

मुतवल्ली के बेटे ने दाखिल की अपील

मामले में तीन मार्च को ही अपील पर सुनवाई होनी थी लेकिन, उसी दिन राज्यपाल के आगमन की वजह से कमिश्नर के व्यस्त होने की वजह से कोर्ट ही नहीं संचालित हो सकी। जीडीए की ओर से 15 फरवरी को जारी ध्वस्तीकरण आदेश के विरुद्ध मस्जिद के दिवंगत मुतवल्ली के बेटे शुऐब अहमद ने 18 फरवरी को मंडलायुक्त न्यायालय में अपील दाखिल की थी, जिसमें 19 फरवरी को सुनवाई होनी थी। लेकिन, प्रशासनिक वजहों से मंडलायुक्त, न्यायालय में नहीं बैठ सके। इसके बाद 25 फरवरी की सुनवाई हड़ताल के चलते नहीं हो सकी। जिससे मामले में तीन मार्च को अगली तारीख पड़ गई।

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