Hamirpur News: कुरारा में गौर वंश के विजय प्रतीक गरुण ध्वज की यात्रा निकली
Hamirpur News: यात्रा में महापुरुषों की झांकियां सजाई गईं, इसे देखने के लिए कस्बा सहित आसपास के गांवों के हजारों लोग एकत्र होते हैं तथा रात्रि में रामलीला व नौटंकी का आयोजन किया जाता है।
Hamirpur News: जनपद के कुरारा में गौर वंश के विजय प्रतीक गरुण धवज यात्रा को शान से निकाला गया। वहीं ध्वज निकाले जाने के दौरान बैंड बाजा व महापुरुषों की झांकियां सजाई गई थी। लोगों की भीड़ लगी रही। कस्बा कुरारा में प्रतिवर्ष होली पर्व के दूज के दिन प्राचीन व ऐतिहासिक झंडा गौर वंश के द्वारा निकाला जाता है।
इतिहास
इसके इतिहास पर नजर डालें तो जब हमीरपुर में राजा हमीरदेव का शासन था तब किसी राजा ने इनके ऊपर चढ़ाई कर दी। तब राजा हमीरदेव ने राजस्थान के राजगढ़ स्टेट से सहयोग मांगा तब वहां के युवराज सिंहलदेव व बीसलदेव अपनी सेना के साथ राजस्थान से हमीरदेव का साथ देने आए। विजय उपरांत दोनों को विजय निशान गरुण ध्वज दिया गया। तब भीषण युद्ध में हमीरदेव ने विजय प्राप्त की और दोनों युवराज को सम्मानित करते हुए बीसल देव को विजय निशान गरुणध्वज, सिंहल देव को विजय निशान नगाड़ा सम्मान सहित दिया और हमीरदेव ने अपनी पुत्री रामकुंवर की शादी बीसल देव के साथ की। 12 गांव दान में दिए। जिसमें कुमहुपुर को अपना जागीर बनाया और 9 पीढ़ी तक एक-एक संतान हुई।
नवी पीढ़ी में हरिहर देव के 9 पुत्र हुए। जिसमें कोणर्क देव को कुरारा, तथा रिठारी, जल्ला, चकोठी, पारा, कंडौर, पतारा, झलोखर, टीकापुर, बहदीना, कुम्हुपुर, बेजेइस्लामपुर, हरेहठा गांव में नौ भाइयों का परिवार बस गया। इसके बाद होली के बाद दूज को सभी लोग हरेहटा गांव में जलसा करते थे। होली के बाद हुरहठा होता था। जिसमें सभी गांव के गौर वंश के लोग प्राथमिकता से सहभाग करते थे।
कोणार्क देव के नाम पर कुरारा बसाया गया था। जिनके दो संतान थी। महल देव व खान देव जिनके वंशज आज भी विजय निशान गरुण धवज को शान से निकलते हैं।
इसको देखने के लिए कस्बा सहित आसपास के गांवों के हजारों लोग एकत्र होते हैं तथा रात्रि में रामलीला व नौटंकी का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर जसवंत सिंह, गोविद सिंह, राजकुमार सिंह, महेंद्र सिंह, अनिल सिंह, धर्मेंद्र सिंह, बच्चू सिंह, सत्यपाल सिंह, रज्जन सिंह, अखिलेश सिंह गौर आदि मौजूद रहे।