HC: मुकदमा दर्ज होने के कारण नहीं रोका जा सकता निलंबन अवधि का वेतन, भुगतान का आदेश

कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मुकदमा दर्ज होने से ही वैधानिक भुगतान नहीं रोके जा सकते। वह भी तब, जब निलंबन के बाद कोई विभागीय जांच न की गयी हो। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सेवानिवृत्त दरोगा को निलंबन अवधि के बकाया वेतन का एक माह में भुगतान करे।

Update: 2016-12-16 14:23 GMT

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल आपराधिक मुकदमा कायम होने के कारण कर्मचारी को मिलने वाले वैधानिक भुगतान नहीं रोके जा सकते। कोर्ट ने दरोगा पद से सेवानिवृत्त याची को बकाया वेतन का एक माह में भुगतान करने का आदेश दिया है।

निलंबन का बकाया देने के आदेश

-कोर्ट ने आपराधिक केस दर्ज होने के आधार पर निलंबन अवधि का बकाया वेतन न देने के सरकारी आदेश को रद्द कर दिया।

-यह आदेश सेवानिवृत्त दरोगा के बकाया वेतन को रोकने के लिए 21 सितम्बर 16 को एसपी भदोही ने जारी किया था।

-कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मुकदमा दर्ज होने से ही वैधानिक भुगतान नहीं रोके जा सकते।

-वह भी तब, जब निलंबन के बाद कोई विभागीय जांच न की गयी हो।

-कोर्ट ने एसपी भदोही को निर्देश दिया है कि सेवानिवृत्त याची को निलंबन अवधि के बकाया वेतन का भुगतान करे।

बिना जांच हुए थे बहाल

-यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल ने राजाराम वर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

-याचिका में निलंबन काल के बकाया वेतन भुगतान की मांग की गयी थी।

-याची के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज होने के कारण निलंबित कर दिया गया किन्तु विभागीय जांच नहीं की गयी थी।

-बाद में निलंबन वापस लेते हुए याची को सेवा में बहाल कर दिया गया था, जो 31 जुलाई 13 को सेवानिवृत्त हो गए थे।

-लेकिन विभाग ने निलंबन काल का वेतन देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था, कि उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा चल रहा है।

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