RBI के सकुर्लर के खिलाफ बिजली कंपनियों ने डाली थी याचिका, अब 20 अगस्‍त को होगी सुनवाई

Update:2018-08-14 19:32 IST

इलाहाबाद: विद्युत उत्पादन कंपनियों की रिजर्व बैंक आफ इण्डिया के सर्कुलर की वैधता की चुनौती याचिकाओं की सुनवाई जारी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ प्रयागराज पावर जनरेशन कंपनी सहित 26 कंपनियों के एसोसिएशन की तरफ से दाखिल याचिकाओं की सुनवाई कर रही है। याचिका में आर.बी.आई. के सर्कुलर पर रोक लगाने की मांग की गयी है। 12 फरवरी 18 को जारी सर्कुलर से बैंकों व कंपनियों को 27 अगस्त तक लोन अदायगी की कार्यवाही की छूट दी गयी है और कहा गया है कि 27 अगस्त के बाद 200 करोड़ से अधिक बकाये वाली कंपनियों को दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही की जायेगी। कंपनियों का कहना है कि रेलवे, एनटीपीस व अन्य विभागों से उन्हें विद्युत मूल्य का भुगतान न मिल पाने के कारण लोन वापसी नहीं हो पा रही है। पार्लियामेंट्री कमेटी की सुधारात्मक संस्तुति पर भारत सरकार की उच्च स्तरीय कमेटी में विचार होना है अभी तक कोई निर्णय नहीं हो सका है। सर्कुलर को लागू किया गया तो विद्युत उत्पादन कंपनियों की सिविल मृत्यु हो जायेगी। आरबीआई का कहना है कि बैंकों की खस्ता हालत व लोन खातों के एनपीए होने के संकट को देखते हुए बड़े बकायेदारों को मौका दिया गया है। बैंकों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। हालांकि आरबीआई की तरफ से कंपनियों के एसोसिएशन की तरफ से दाखिल याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की गयी है। इनका कहना है कि 26 सदस्य कंपनियों में से केवल तीन इलाहाबाद व अनपरा की कंपनियां ही उत्तर प्रदेश की है। शेष 23 कंपनियां प्रदेश के बाहर की है। साथ ही बैंकों व रेलवे आदि विभागों को भी पक्षकार नहीं बनाया गया है। कार्यालयों पर बैंकों का 14 हजार करोड़ बकाया है। सुनवाई बीस अगस्त को होगी।

कोर्ट की अन्‍य खबरें:

अभिरक्षा में मौत की विवेचना ठप होने पर कोर्ट सख्त, एसपी.व आईओ तलब

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भदोही में पुलिस अभिरक्षा में राम जी मिश्र की मौत की विवेचना उच्च अधिकारियों के निर्देश के अभाव में रूकी होने को गंभीरता से लिया है और विवेचनाधिकारी नवीन कुमार तिवारी के साथ भदोही के एसपी को 16 अगस्त को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह से जानकारी मांगी है कि पुलिस अभिरक्षा में मौत मामले में सरकार क्या कार्यवाही होनी चाहिए थी, की रिपोर्ट मांगी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति ओम प्रकाश सप्तम की खण्डपीठ ने रेनू मिश्रा की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता लोकेश कुमार द्विवेदी ने बहस की। मालूम हो कि पुलिस अभिरक्षा में मौत की घटना की प्राथमिकी एक जुलाई 18 को दर्ज की गयी। कोर्ट ने कहा कि मृत्यु के कारण का पता लगाया जाना चाहिए जिस पर कोर्ट ने विवेचनाधिकारी को तलब किया। कोर्ट में रिकार्ड के साथ विवेचनाधिकारी हाजिर हुए और एजीएम ने कोर्ट को बताया कि कानून के विपरीत मृतक को अभिरक्षा में लिया गया और हत्या के दोषियों की गिरफ्तारी का कोई प्रयास नहीं किया गया। विवेचना की कोई प्रगति नहीं हो सकी क्योंकि उच्च अधिकारियों के लिप्त होने के कारण विवेचनाधिकारी कड़े कदम नहीं उठा सकता। सीनियर अधिकारियों ने दिशा निर्देश नहीं दिये इसलिए बिना भय व पक्षपात रहित विवेचना नहीं हो सकी है। पुलिस अभिरक्षा में मौत मामले में उच्च अधिकारियों की गाइडलाइन के बगैर विवेचना नहीं हो पा रही है। कोर्ट ने एसपी भदोही से पूछा है कि क्यों कोई कार्यवाही नहीं की गयी। यहां तक कि आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की गयी। मामले की सुनवाई 16 अगस्त को होगी।

हत्यारोपी को संदेह का लाभ देते हुए हाईकोर्ट ने किया बरी

इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इलाहाबाद के धूमनगंज थाना क्षेत्र में दो नवम्बर 2005 को राम विशाल पाल की गोली मारकर हत्या करने के आरोपी राजा भईया उर्फ कन्हैया लाल पंडा को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। सत्र न्यायालय इलाहाबाद द्वारा हत्या के आरोप में सुनाई गयी आजीवन कारावास की सजा रद्द कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि जिन्हें घटना का चश्मदीद गवाह बताया गया है उनकी घटना स्थल पर मौजूदगी संदेहास्पद है। अभियोजन पक्ष संदेह से परे हत्या के आरोप को सिद्ध करने में नाकाम रहा है। साथ ही गवाहों के बयान व मेडिकल रिपोर्ट में विरोधाभास होने के नाते वे अभियोजन पक्ष का समर्थन नहीं करते। कोर्ट ने अन्य केस में वांछित न होने पर अपीलार्थी को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति बी.के नारायण तथा न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता की खण्डपीठ ने राजा भईया उर्फ कन्हैया लाल पंडा की सजा के खिलाफ आपराधिक अपील को स्वीकार करते हुए दिया है। सत्र न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा के साथ दस हजार रूपये का हर्जाना लगाया था। जिसे अपील में चुनौती दी गयी थी। अपीलार्थी के अधिवक्ता अजातशत्रु पांण्डेय व प्रदीप कुमार राय का कहना था कि मष्तक की आरोपी के पिता ध्रुव पंडा से दुश्मनी थी। दो नवम्बर 2005 को दो लोग आए और मष्तक को प्लाट दिखाने के लिए ले गये। मोटर साइकिल पर आए दो लोगों ने राइफल से फायर किया। जिसमें राम विशाल पाल की मौत हो गयी। चश्मदीद गवाहों के बावजूद मोटर साइकिल ड्राइवर का नाम प्राथमिकी में नहीं दिया गया और बयान चैबीस दिन बाद दर्ज किया गया। सह अभियुक्त हनुमान प्रसाद फतेहपुर घाट कौशाम्बी घटनास्थल से मात्र 18 किमी. दूरी का निवासी है। शिकायतकर्ता भी इसी गांव का है। नाम न देने का मतलब वे मौके पर मौजूद नहीं थे। जो प्लाट दिखाने ले गये थे उनका बयान नहीं लिया, जिससे संदेह पैदा होता है।

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