अब माकूल जवाब देने में देर नहीं हो, बहुत लंबा हो गया फिदायीन हमलों का इतिहास

गुरुवार को पुलवामा में हुए एक बड़े फिदायीन हमले में करीब 40 जवान शहीद हो गए और लगभग पैंतीस घायल हो गए हैं। हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने ली है।

Update:2019-02-14 21:04 IST

रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ: काफी लंबे समय की खामोशी के बाद कश्मीर में आतंकवादी हमलों में एक बार फिर तेजी आ गयी है। गुरुवार को पुलवामा में हुए एक बड़े फिदायीन हमले में करीब 40 जवान शहीद हो गए और लगभग पैंतीस घायल हो गए हैं। हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने ली है।

फिदायीन या आत्मघाती हमले को आदिल अहमद डार द्वारा अंजाम दिया जाना बताया गया है। गौरतलब है कि खुफिया तंत्र ने करीब एक सप्ताह पहले ही आतंकवादी अफजल गुरु और मकबूल बट को फांसी दिये जाने की तिथि करीब आते ही आतंकी हमले के प्रति अलर्ट किया था। जिसमें कहा गया था कि जैश ए मोहम्मद व हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बड़ी आतंकी घटना को अंजाम देने की फिराक में हैं।

पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश के आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी लिए जाने से यह साफ हो गया है कि पड़ोसी मुल्क एक बार फिर छद्म युद्ध पर उतर आया है। आम चुनाव से पहले देश का माहौल खराब कर उन्माद फैलाने के नापाक मंसूबे देश के सब्र को सीधी ललकार हैं। सरकार को इसका माकूल जवाब देना चाहिए।

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इस हमले में जिस आतंकवादी आदिल अहमद डार का नाम आ रहा है। पिछले दिनों उसका एक वीडियो भी जारी हुआ था जिसमें उसने बाबरी मस्जिद आदि मुद्दों को उठाया था। कहा यह जा रहा है कि इस हमले की साजिश भी आदिल ने ही रची थी और वह पुलवामा के काकीपोरा का रहने वाला है। पुलवामा में जो कुछ हुआ वह फ़िदायीन हमला था। और पाकिस्तानी मंसूबे एक बार फिर उजागर हुए हैं। देखा जाए तो हाल के सालों में यह बड़ा हमला है जिसे पाकपरस्त आतंकी संगठन ने अंजाम दिया है।

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आखिर फिदायीन हमला होता क्या है तो यह आतंकवादियों द्वारा प्रयोग की जाने वाली एक आत्मघाती रणनीति है। जिसमें हमलावर की मौत निश्चित होती है। सामान्य: इस तरह के हमलों को जम्मू और कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा अंजाम दिया जाता हैं। फ़िदायीन हमले मे एक फ़िदायीन (उग्रवादी, जो सामान्यः एक पुरुष होता है) खुद को हथियारों और गोला बारूद से लैस करता है, फिर वो एक सैन्य आधार, सुरक्षा चौकी या एक सैन्य संस्थापन मे प्रवेश करता है और फिर वो इन कानून के रखवाले, सैन्य अधिकारियों और जवानों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरु कर देता है।

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इस गोलीबारी को वो तब तक जारी रखता है जब तक उसका सारा असलहा खत्म नहीं हो जाता और इसके बाद उसे लगभग हमेशा ही सुरक्षा बलों द्वारा मार गिराया जाता है। या फिर विस्फोटकों से भरी गाड़ी को ले जाकर सीधे अपने टारगेट पर भिड़ा देता है जैसा पुलवामा में हुआ इसमें भी उसका मरना निश्चित होता है। फ़िदायीन आतंकवादी अधिकांश मामलों में सुरक्षा बलों द्वारा मार गिराये जाते हैं क्योंकि यह उग्रवादी कभी भी हमले के बाद भागते नहीं।

यह आतंकवादी, आत्मघाती हमलावरों (मानव बम) की तरह, हमले के निष्पादन के दौरान मरने के लिए तैयार रहते हैं। 1981 से 2006 के बीच दुनिया भर में लगभग 1200 आत्मघाती हमले हुए हैं जो कुल आतंकवादी हमलों का चार फीसद थे लेकिन इसमें मारे गए लोगों की संख्या कुल आहत लोगों का 32 प्रतिशत थी। एक जानकारी के अनुसार आत्मघाती हमलों में पंद्रह हजार से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है।

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यद्यपि आत्मघाती हमले इतिहास में पहले भी हुए हैं और द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापानी हवाई दस्ते के कमिकाजी उढ़ाके तो इसके लिए प्रसिद्ध हैं किन्तु यह 1980 के दशक के बाद हुए विशेष हमलों के लिए प्रचलित हो गया है जिसमें व्यक्ति जानबूझकर अपने शरीर या वाहन आदि में विस्फोटक भरकर अप्रत्याशित रूप से उसका विस्फोट सार्वजनिक स्थलों या सरकारी प्रतिष्ठानों पर करता है।

भारत में हुए प्रमुख आतंकी हमले

* मुंबई सीरियल ब्लास्ट : 12 मार्च 1993 को पूरे मुंबई में सीरियल धमाके हुए। इन धमाकों के पीछे डी कंपनी का हाथ था। इस हमले में 257 लोग मारे गए थे, जबकि 713 लोग घायल हुए थे।

* कोयम्बटूर धमाका : 14 फरवरी 1998 में इस्लामिक ग्रुप अल उम्माह ने कोयंबटूर में 11 अलग-अलग जगहों पर 12 बम धमाके किए। इसमें 60 लोगों की मौत हो गई, जबकि 200 लोग घायल हुए थे।

* 3 नवंबर, 1999 को श्रीनगर के बादामबाग में हुए आतंकवादी हमले में 10 जवान शहीद हो गए।

* जम्मू कश्मीर विधानसभा पर हमला : 1 अक्टूबर 2001 को भवन जैश ए मोहम्मद ने 3 आत्मघाती हमलावरों ने विधानसभा भवन पर कार बम हमला किया। इसमें 38 लोग मारे गए।

* भारतीय संसद पर हमला : 13 दिसंबर 2001 में लश्करे तैयबा और जैश मोहम्मद के 5 आतंकवादी भारत के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले संसद भवन परिसर में घुस गए। हालांकि सुरक्षा बलों ने आतंकियों को मार गिराया और आतंकी अपने मंसूबे में नाकाम हो गए। हमले के समय संसद भवन में 100 राजनेता मौजूद थे। इस हमले में 6 पुलिसकर्मी और 3 संसद भवन कर्मी मारे गए।

* 14 मई, 2002 को जम्मू कश्मीर के कालूचक में हुए हमले में 21 जवान शहीद गए और जबकि 36 अन्य लोगों की मौत हो गई।

* अक्षरधाम मंदिर पर हमला : 24 सितंबर 2002 में लश्कर और जैश ए मोहम्मद के 2 आतंकी मुर्तजा हाफिज यासिन और अशरफ अली मोहम्मद फारूख दोपहर 3 बजे अक्षरधाम मंदिर में घुस गए। इनके हमले में 31 लोग मारे गए जबकि 80 लोग घायल हो गए थे।

* 22 जुलाई, 2003 को जम्मू कश्मीर के अखनूर में हुए आतंकी हमले में 8 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए।

* दिल्ली सीरियल बम ब्लास्ट: 29 अक्टूबर 2005 में दीवाली से 2 दिन पहले आतंकियों ने 3 बम धमाके किए। 2 धमाके सरोजनी नगर और पहाड़गंज जैसे मुख्य बाजारों में हुए। तीसरा धमाका गोविंदपुरी में एक बस में हुआ। इसमें कुल 63 लोग मारे गए जबकि 210 लोग घायल हुए थे।

* मुंबई ट्रेन धमाका : 11 जुलाई 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में अलग-अलग 7 बम विस्फोट हुए। सभी विस्फोटक फर्स्ट क्लास कोच में बम रखे गए थे। इन धमाकों में इंडियन मुजाहिदीन का हाथ था। इसमें कुल 210 लोग मारे गए थे और 715 लोग जख्मी हुए थे।

* महाराष्ट्र के मालेगांव में 8 सितंबर, 2006 को हुए तीन धमाकों में 32 लोग मारे गए और सौ से अधिक घायल हुए।

* 5 अक्टूबर 2006 श्रीनगर में हुए हमले 7 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए।

* भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 19 फरवरी, 2007 को हुए धमाके में 66 यात्री मारे गए।

* आंध्रप्रदेश के हैदराबाद में 25 अगस्त, 2007 को हुए धमाके में 35 मारे गए और कई अन्य लोग घायल हो गए। हैदराबाद में ही 18 मई, 2007 को मक्का मस्जिद धमाके में 13 लोगों की मौत हो गई।

* उत्तर प्रदेश में 1 जनवरी, 2008 को रामपुर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के कैंप पर हुए हमले में आठ लोग मारे गए।

* जयपुर विस्फोट : गुलाबी नगरी जयपुर में 13 मई 2008 में 15 मिनट के अंदर 9 बम धमाके हुए। इन धमाकों में कुल 63 लोग मारे गए थे जबकि 210 लोग घायल हुए थे।

* अहमदाबाद में 26 जुलाई, 2008 के दिन दो घंटे के भीतर 20 बम विस्फोट होने से 50 से अधिक लोग मारे गए। इस दौरान सूरत और बड़ौदा से भी बम बरामद हुए थे।

* इंफाल में 21 अक्टूबर, 2008 को मणिपुर पुलिस कमांडो परिसर पर हुए हमले में 17 लोगों की मौत हो गई।

* असम में धमाके : राजधानी गुवाहाटी में 30 अक्टूबर 2008 को विभिन्न जगहों पर कुल 18 धमाके आतंकियों द्वारा किए गए। इन धमाकों में कुल 81 लोग मारे गए जबकि 470 लोग घायल हुए।

* 26/11 मुंबई आतंकी हमला : 26 नवंबर, 2008 को पाकिस्तान से आए 10 आत्मघाती हमलावरों ने सीरियल बम धमाकों के अलावा कई जगहों पर अंधाधुंध फायरिंग की। आतंकियों ने नरीमन हाउस, होटल ताज और होटल ओबेराय को कब्जे में ले लिया था। इस हमले में करीब 180 लोग मारे गए थे और करीब 300 लोग घायल हुए थे। आतंकवादी कसाब पकड़ा गया था, जिसे मुकदमे के बाद फांसी दे दी गई।

* पुणे की जर्मन बेकरी में 10 फरवरी, 2010 को हुए बम धमाके में नौ लोग मारे गए और 45 घायल हुए।

* बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर 17 अप्रैल, 2010 में हुए दो बम धमाकों में 15 लोगों की मौत हो गई।

* 31 मार्च, 2013 में श्रीनगर में हुए आतंकवादी हमले में 5 जवान शहीद हुए।

* 24 जून, 2013 को श्रीनगर में हुए आतंकवादी हमले में 8 जवान शहीद हो गए।

* 26 सितंबर 2013 में हुए एक आत्मघाती हमले में 10 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए। इनमें ले. कर्नल बिक्रमजीतसिंह भी शामिल थे। सुरक्षाबलों ने तीन आतंकियों को भी मार गिराया था।

* 5 दिसंबर 2014 में उड़ी सेक्टर में हुए हमले में 7 सैनिक शहीद हो गए।

* 2 जनवरी को 2015 को पठानकोट एयरबेस पर 7 पाकिस्तानी आतंकवादियों हमला कर कई लोगों को घायल कर दिया जिसमें 7 जवान शहीद हो गए।

* 27 जुलाई 2015 को पाकिस्तान की सीमा से महज 10-20 किलोमीटर दूर पंजाब के गुरदासपुर में बड़ा आतंकी हमला हुआ। हमले में गुरदासपुर के SP डिटेक्टि‍व बलजीत सिंह सहित 4 जवान शहीद हो गए थे। पाकिस्तान से आए आतंकियों ने सबसे पहले जम्मू जा रही बस को निशाना बनाया और फिर दीनानगर पुलिस थाने में घुस गए। वहां उन्होंने अंधाधुध फायरिंग की। 11 घंटे चली लड़ाई में कुल सात लोगों की जान चली गई और 3 आतंकवादी मारे गए।

* 7 दिसंबर 2015 में अनंतनाग में हुए आतंकवादी हमले में 6 जवान शहीद हुए।

* 25 जून 2016 पंपोर में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकवादी हमले में 8 जवान शहीद हुए।

* 18 सितंबर 2016 में उड़ी सेक्टर सेना के कैंप पर हुए एक आतंकवादी हमले में कम से कम 20 जवान शहीद हो गए।

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