चेतावनी के साथ आईएएस अधिकारियों को हाईकोर्ट ने दी माफी

Update:2018-01-23 21:04 IST

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि प्रदेश के सभी विभागों को आदेश जारी करें कि वे कोर्ट आदेश का समय से पालन सुनिश्चित करें ताकि मुकदमों की सुनवाई में अनावश्यक बाधा न हो।

कोर्ट ने कहा कि जवाबी हलफनामा समय से न आने पर सुनवाई में बाधा पैदा होती है। कोर्ट ने अधिकारियों द्वारा माफी मांगने पर उनके खिलाफ जारी वारंट वापस ले लिया और भविष्य में सतर्क रहने की चेतावनी देते हुए उन्हें माफी दे दी। कोर्ट ने याचिका पर बार बार समय देने पर जवाब न लगाने पर बरेली के डीएम, सीडीओ व सचिव वित्त को तलब किया था। हाजिर न होने पर उनके खिलाफ वारंट जारी किया था।

कोर्ट ने बीडीओ अनुज कुमार को निलंबन तथा विभागीय कार्रवाई करने का भी आदेश दिया है। कनिष्ठ लेखा लिपिक संतोष कृष्ण और सुधीर को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। इन दोनों अधिकारियों को 2016 में हलफनामा दाखिल करने के लिए भेजा गया था किन्तु हलफनामा तैयार होेने के बाद दाखिल नहीं किया गया। जिस पर कोर्ट को कड़ा रूख अपनाना पड़ा। उक्त आदेश के साथ याचिका निस्तारित कर दी गयी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति इरशाद अली की खण्डपीठ ने राजेन्द्र शैक्षिक समिति स्प्रिं्र्रग डेल महिला महाविद्यालय की याचिका पर दिया है। याचिका में 57 लाख 60 हजार की सीडीओ द्वारा जारी वसूली नोटिस को चुनौती दी गयी थी। विधायक निधि से ली गयी सहायता के दुरूपयोग के आरोप में वसूली नोटिस जारी की गयी थी। कोर्ट ने वसूली पर रोक लगाते हुए सरकार से जवाब मांगा था। इस मामले में बार बार समय दिये जाने पर भी अधिकारियों की तरफ से कोई जवाब दाखिल नहीं हुआ था।

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5 वर्ष से कम सेवा वाले टीचरों से भी आवेदन स्वीकार करने का आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग और प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि पांच वर्ष से कम वाले शिक्षकों से भी अन्तरजनपदीय तबादले के लिए आन लाइन आवेदन स्वीकार किये जाए।

कोर्ट ने पूछा है कि इस संबंध में विभाग कब तक ट्रांसफर नीति संशोधन करेगा। प्राची सिंह और कई अन्य अध्यापकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति एम.सी.त्रिपाठी ने दिया है। याचिका में 13 जून 2017 को जारी तबादला नीति की अधिसूचना को चुनौती दी गयी है।

याचिका पर अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी, विभू राय ने पक्ष रखा। अधिवक्ताओं की दलील थी कि 2008 के सर्विस रूल में दिये प्रावधान के तहत 5 वर्ष से कम सेवा वाले अध्यापकों का अन्तरजनपदीय तबादला नहीं हो सकता। इस प्रावधान के तहत 13 जून 2017 को अधिसूचना जारी कर सभी तबादले रोक दिये गये। बाद में इसे शिथिल कर कहा गया कि सिर्फ सुरक्षा बलों, कर्मियों की पत्नी को 5 वर्ष से कम सेवा पर तबादला किया जायेगा। 12 जनवरी 2018 को फिर एक अधिसूचना जारी कर विशेष परिस्थिति का लाभ देकर सिर्फ महिला अध्यापिकाओं को इस नियम में छूट दे दी गयी।

इसका विरोध करते हुए वकीलों का कहना था कि सरकार ने विशेष परिस्थिति की गलत व्याख्या कर सिर्फ महिलाओं को छूट दी है जबकि विशेष परिस्थिति का क्लाज सभी टीचरों पर लागू होता है। कोर्ट ने इस मामले पर प्रदेश सरकार व बेसिक शिक्षा विभाग से जवाब तलब किया है।

62 ग्राम विकास अधिकारियों को नियुक्ति पत्र देने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मिर्जापुर के 62 ग्राम विकास अधिकारियों की भर्ती परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एस.आर.एस.मौर्य ने दिया है।

याचिका में राज्य सरकार द्वारा चयन में धांधली और अनियमितता की शिकायत पर भर्ती रद्द कर दी गयी थी। धर्मेन्द्र पाण्डेय व 20अन्य चयनित अभ्यर्थियों ने इसे चुनौती दी थी। कोर्ट ने बिना ठोस साक्ष्य व तथ्य के परीक्षा रद्द करने के सरकारी फैसले को सही नहीं माना और परीक्षा निरस्त करने के आदेश को रद्द कर दिया है।

उप्र वाॅलीबाल एसोसिएशन ने इलाहाबाद इकाई के पंजीकरण पर की आपत्ति

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उप निबन्धक सोसायटी फर्म एवं चिट्स इलाहाबाद को याची एसोसिएशन की आपत्ति पर छह माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। याची ने डिस्ट्रिक्ट वालीबाल एसोसिएशन इलाहाबाद के पंजीकरण को निरस्त करने की मांग में याचिका दाखिल की थी।

याची ने विपक्षी संस्था पर याची संस्था के नाम का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया है। तीन जुलाई 2017 को दाखिल याची की आपत्ति को उपनिबन्धक निर्णीत नहीं कर रहे हैं। इस पर कोर्ट ने छह माह में निर्णय लेने के निर्देश के साथ याचिका निस्तारित कर दी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक बिड़ला ने कानपुर की प्रबंध समिति उ.प्र वालीबाल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रणदीप सिंह गिल की याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता सुधीर दीक्षित का कहना था कि डिस्ट्रिक्ट वालीबाल एसोसिएशन याची से सम्बद्ध है। कुछ लोगों ने इस संस्था का नाम इलाहाबाद ग्रामीण वालीबाल एसोसिएशन के नाम से पंजीकरण करा लिया है। यह डिस्ट्रिक्ट वालीबाल एसोसिएशन के नाम से गलत तरीके से संस्था का दुरूपयोग कर रही है।

इस संस्था का याची संस्था से कोई संबंध नहीं है और न ही वह जिला इकाई है। हालांकि याची ने हर जिले में वालीबाल एसोसिएशन गठित किया है। किन्तु इलाहाबाद में अनधिकष्त तौर पर जिला इकाई का गठन कर पंजीकरण करा लिया है। जो कानून के विपरीत है। पंजीकरण निरस्त किया जाय। उप निबंधक पर निर्णय में देरी लगाने का आरोप लगाते हुए समयबद्ध तरीके से निर्णय लेने की याचिका में मांग की गयी थी।

अधिग्रहित भूमि का बैनामा लेने वाले को केवल मुआवजा पाने का हक

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि अधिग्रहण के बाद जमीन खरीदने वाले को अधिग्रहण की वैधता को चुनौती देने का अधिकार नहीं है। जमीन का स्वामित्व मिलने के कारण खरीददार को केवल मुआवजा पाने का ही अधिकार है। कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम के तहत अपर जिला मजिस्ट्रेट वित्त एवं राजस्व गाजीपुर द्वारा खरीददार को मुआवजा देने से इंकार करने को प्रथम दष्ष्टया सही नहीं माना और चार हफ्ते में स्पष्टीकरण के साथ जवाबी हलफनामा मांगा है कि क्यों न उनका आदेश रद्द किया जाय और याची को मुआवजे के भुगतान करने का समादेश जारी किया जाय। याचिका की अगली सुनवाई 26 फरवरी को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति कष्ष्ण मुरारी तथा न्यायमूर्ति अजय भनोट की खण्डपीठ ने गाजीपुर की श्रीमती नीलम सिंह व दो अन्य की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने वी.चन्द्रशेखरन केस में स्पष्ट किया है कि अधिगष्हीत जमीन को खरीदने वाले को अधिग्रहण को चुनौती देने का हक नहीं है। किन्तु जमीन पर पूरा अधिकार हासिल करने के नाते उसे मुआवजा पाने का अधिकार है। मुआवजा देने से इंकार करना प्रथमदष्ष्टया कानून के तहत कायम रहने योग्य नहीं है। ऐसे ही एक सुरेन्द्र नाथ सिंह यादव को भी अधिगष्हीत जमीन का मुआवजा देने के प्रत्यावेदन को एडीएम वित्त एवं राजस्व गाजीपुर को दो माह में निर्णीत करने का निर्देश दिया है।

याची ने गाजीपुर के महमूदपुर पाली गांव की अधिगष्हीत जमीन खरीदी और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहीत जमीन के मुआवजे की मांग में प्रत्यावेदन दिया। प्राधिकरण के अधिवक्ता ने कहा कि याची का प्रत्यावेदन यथाशीघ्र निर्णीत होगा। याची को अधिग्रहण को चुनौती देने का अधिकार नहीं है। केवल वह मुआवजा पा सकता है। कोर्ट ने कहा जमीन खरीदने वाले को जमीन का मुआवजा पाने का अधिकार है। कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए सुनवाई का मौका देकर सकारण आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।

हाईकोर्ट बार में लगा तीन दिनी नेत्र चिकित्सा शिविर

इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष स्व. कन्दर्प नारायण मिश्र की स्मृति में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में तीन दिवसीय निःशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर का उद्घाटन मंगलवार को न्यायमूर्ति तरूण अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह ने किया। शिविर के पहले दिन लगभग 950 अधिवक्ताओं ने अपनी आंखों की जांच करायी। जिसमें नेत्र चिकित्सकों की टीम में शामिल डा. मयंक श्रीवास्तव, डा. आनन्द शुक्ला, डा. ए के कौल, डा. अवनय कुमार सोनी, डा. अरूण सिंह, डा. राजेश पटेल, डा. शीतांशु शुक्ला, डा. बृजेश यादव एवं डा. दीपक शर्मा ने अधिवक्ताओं की आंखों की जांच के साथ ही उन्हें निःशुल्क परामर्श भी दिया।

चिकित्सा शिविर के संयोजक एवं हाईकोर्ट बार के पूर्व संयुक्त सचिव प्रशासन अजय कुमार मिश्र और सह संयोजक तथा बार के उपाध्यक्ष श्रीराम पाण्डेय ने बताया कि यह शिविर 25 जनवरी तक रहेगा। जिसमें अधिक से अधिक अधिवक्ता अपनी आंखों की जांच करा सकते हैं। इस मौके पर हाईकोर्ट बार के महासचिव अविनाश चन्द्र तिवारी, उपाध्यक्ष श्रीराम पाण्डेय, संयुक्त सचिव प्रशासन प्रशांत कुमार सिंह, कार्यकारिणी सदस्य विवेक पाण्डेय, ओम आनन्द आदि रहे।

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