अपने मुंह मियां मिटठू बन रहे ये IAS, घपले-घोटालों ने कैडर की खूब कराई है फजीहत
लखनऊ : यूपी कैडर के आईएएस अफसरों की प्रतिष्ठा देश में सबसे ऊपर है। परफार्मेंस की बात करें तो नौकरशाही के गलियारे में सन्नाटा छा जाता है। समय-समय पर इसका खुलासा भी हुआ है। चाहे एनआरएचएम घोटाला रहा हो या हालिया खनन स्कैम। बीते वर्षों पर एक नजर डालें तो घपले-घोटालों की एक लम्बी फेहरिस्त नजर आती है, जिसने यूपी कैडर का मान गिराया है। पर अपने मुंह मिया मिटठू बनने का मौका भी अफसर नहीं छोड़ना चाहते। बीते दिनों हुए आईएएस वीक में अफसरों को जो टाइटिल दिए गए। अब उसी के बिना पर कुछ आईएएस अफसर खुद को चमका रहे हैं।
दिल्ली डेपुटेशन से वापस आए वरिष्ठ आईएएस सजंय भूसरेड्डी ने अपने फेसबुक वाल पर इसका जिक्र करते हुए लिखा है कि डेपुटेशन से वापस आए अफसरों का कुछ इस तरह स्वागत किया गया। “तुम आ गए हो, नूर आ गया है, नहीं तो चिरागों से लौ जा रही थी।” बता दें कि बीते दिनों आईएएस वीक के एक जलसे में इन आईएएस अफसरों को यह टाइटिल दिया गया था। भूसरेड्डी ने अपने फेसबुक वाल पर जिन पांच अफसरों का जिक्र किया है। उनमें संजय के अलावा, प्रशांत त्रिवेदी, आलोक कुमार, आलोक टंडन और मनोज कुमार सिंह शामिल हैं। यह अफसर योगी सरकार बनने के बाद डेपुटेशन से वापस यूपी आए हैं।
बहरहाल राज्य में चाहे सपा की सरकार रही हो या बसपा की दागी अफसर हमेशा चर्चा में रहे हैं। बसपा सरकार में हुए एनआरएचएम घोटाले ने नौकरशाही की अस्मिता को तार-तार कर दिया। सीनियर आईएएस अफसर प्रदीप कुमार शुक्ला घोटाले के आरोप में वर्षों से सलाखों के पीछे आते-जाते रहे हैं। बसपा सरकार के समय वह चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महकमे की कमान संभाल रहे थे।
यूपी की मुख्य सचिव रह चुकी नीरा यादव को प्लाट आंवटन घोटाले में सलाखों के पीछे हैं। आईएएस राजीव कुमार को भी कोर्ट सजा सुना चुका है। बता दें कि नोएडा प्लाट आवंटन घोटाला मुलायम सिंह यादव सरकार में हुआ था।
वरिष्ठ आईएएस सदाकांत यूपी के मलाईदार माने वाले लोक निर्माण विभाग के मुखिया हैं। जब यह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर केंद्र सरकार की सेवा में गए थे, तब उन्हें गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर तैनाती मिली थी। इस दौरान लेह-लद्दाख में 200 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया। इसके बाद उन्हें डेपुटेशन से वापस यूपी भेज दिया गया।
बसपा सरकार में अहम पदों पर काबिज रह चुके वरिष्ठ आईएएस महेश गुप्ता का नाम भी सन 1998 में सूचना विभाग के भर्ती में घोटाले में उछला था। उन्होंने ही मायाराज में आबकारी नीति गढ़ी, इसके बाद पोंटी चडढा ने आबकारी के बाजार पर अपना एकछत्र राज्य कायम रखा जो आज तक जारी हैं
बसपा सरकार में 1978 बैच के आईएएस मोहिंदर सिंह की तूती बोलती थी। वह नोएडा अथारिटी के चेयरमैन थे, उसके बाद ही फार्म हाउस आवंटन घोटाला उजागर हुआ। यह रिटायर हो चुके हैं।
आईएएस के. धनलक्षमी पर यूपीएसआईडीसी घोटाले का दाग लग चुका है।
सपा सरकार में भी राकेश बहादुर नोएडा अथारिटी के चेयरमैन थे। उस समय सन 2006 में होटलों के लिए प्लाट आवंटित हुए थे। इसमें गड़बड़ी सामने आई तो उन्हें माया सरकार ने उन्हें 2009 में सस्पेंड कर दिया। उनके खिलाफ मनीलांड्रिंग का केस भी दर्ज हुआ। पर अखिलेश सरकार बनने के बाद उन्हें एक बार फिर नोएडा अथारिटी का चेयरमैन बना दिया गया। कोर्ट की आपत्ति के बाद उन्हें वहां से हटाया गया।
आईएएस संजीव सरन मुलायम सरकार के दौरान नोएडा के सीईओ थे। सन 2006 में नोएडा के चार हजार करोड़ से अधिक के कथित जमीन घोटाले में उनका नाम आया था। इस आरोप में बसपा सरकार ने उन्हें निलम्बित कर दिया था।