लखनऊ: हर साल बाढ़ से प्रदेश के करीबन 40 जिले प्रभावित होते हैं। प्रभावितों को इस मुसीबत से राहत पहुंचाना सरकार के लिए हमेशा कड़ी चुनौती साबित होती है। हालिया ठंडी ने कमजोर वर्ग के लोगों का जीना दुश्वार कर रखा है। रायबरेली के उंचाहार स्थित एनटीपीसी में घटी दुर्घटना में बचाव उपायों की कमी उजागर हुई। जिसकी वजह से पीडि़तों की संख्या में इजाफा हुआ। ऐसी आपदाओं से बचाव के क्या उपाय किए जा रहे हैं? इस पर
राहत आयुक्त संजय कुमार की अपना भारत के शारिब जाफरी से हुई बातचीत। पेश हैं उसके प्रमुख अंश।
> हर साल आने वाली बाढ़ से कैसे निपटेंगे?
> इस आपदा से निपटने के लिए ‘आपदा मित्रों’ की सहायता ली जाएगी। इस फोर्स में वालंटियर शामिल होंगे, जिन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा। पहले चरण में इसे पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर दो जिलों में लागू किया जा रहा है। इसमें पूर्वांचल के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में शामिल बलिया और मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखरपुर का चयन किया गया है। दोनों जिलों में 200—200 वालंटियर को प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें ‘आपदा मित्र’ नाम दिया गया है जो बाढ़ के समय लोगों की मदद करेंगे। इसमें होमगार्ड, सिविल डिफेंस, युवक मंगल दल और पूर्व सैनिकों को लिया जा रहा है। आपदा मित्रों के चयन के लिए जिलों में चयन समिति बनी है।चयनित वालंटियर को लखनऊ स्थित सिविल डिफेंस के प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम इस महीने के अंतिम सप्ताह में शुरू भी हो जाएगा। उन्हें रिस्पांस किट भी उपलब्ध कराया जाएगा। बाढ़ की विभीषका से निपटने के लिए हम लोग पहले से ही पूरी तैयारी कर रहे हैं।
>उंचाहार सरीखी घटना से निपटने की क्या तैयारी है?
> रासायनिक औद्योगिक आपदाओं से निपटने की तैयारी भी की जा रही है। इसी सिलसिले 15 जनवरी को इण्डियन ऑयल रिफाइनरी मथुरा परिसर में मॉक ड्रिल भी किया गया। इसमें भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र मुम्बई से आए साइंटिफिक ऑफीसर आरके मिश्रा और एनडीएआरएफ की टीम शामिल हुई। विभिन्न जिलों से आए प्रतिनिधियों को ऐसी आपदाओं से निपटने के गुर सिखाए गए हैं। जिन जिलों में ऐसे संस्थान हैं, वहां आपदाओं से निपटने के लिए मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी। अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
>ठंड से बचाव के उपाय?
> ठंड से बचाव के लिए जिलों को अब तक 30.10 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई गई है। हाल ही में आठ जिलों के लिए 1.59 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इनमें बाराबंकी, मथुरा, मऊ, सुल्तानपुर, कुशीनगर, हापुड़, झांसी और हमीरपुर शामिल हैं। कम्बल वितरण, अलाव और शेल्टर होम्स की स्थापना करके लोगों को राहत दी जा रही है। सभी जिलाधिकारियों को इसकी लगातार निगरानी करने निर्देश दिए गए हैं।
>अर्द्धकुंभ मेले में आपदा से निपटने की क्या तैयारी है?
> अर्द्धकुंभ मेला—2019 के दौरान आपदा से बचाव उपकरणों की व्यवस्था के लिए 35.60 करोड़ रुपये दिए गए हैं। यह धनराशि जल पुलिस (8.15 करोड़), फायर सर्विस (3.34 करोड़), संचार उपकरण (18 करोड़) और यातायात व्यवस्था(5.50 करोड़) की पुख्ता व्यवस्था के लिए दी गई है।
>राहत आयुक्त के बारे में बताइये
> राज्य में आपदाओं से निपटने के लिए ‘राज्य आपदा प्रबंधन विभाग’ का गठन किया गया है जो राजस्व विभाग के अधीन काम करता है। इसका मुखिया ‘राहत आयुक्त’ होता है। इसका मकसद आपदा प्रबंधन की योजना तैयार करना और आपदाओं के पीडि़तों को आर्थिक सहायता देना है। आपदाओं से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ‘राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण’ है। ‘जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण’ जिला स्तर पर काम करता है।