कानपुर देहात: अनोखा मंदिर, जो बता देता है पहले ही मानसून का हाल
Amazing: कानपुर देहात में बौद्ध स्तूप शैली के बने इस जगन्नाथ मंदिर में मानसून आने के 15 दिन पहले ही मंदिर में गुम्बद के नीचे पानी की बूंदे दिखने लगती हैं। बूंदों से अंदाजा हो जाता है कि इस बार का मानसून कैसा होगा
लखनऊ। मानसून का हाल जानने के लिए भले ही मौसम वैज्ञानिक कड़ी मेहनत करते हों पर भीतरगांव (कानपुर देहात) में एक ऐसा मंदिर है जहां मई महीने के अंतिम दिनों में ही पता चल जाता है कि इस साल बरसात कैसी होगी। मानसून आने के 15 दिन पहले ही यहां मंदिर में गुम्बद के नीचे पानी की बूंदे दिखने लगती हैं।
शहर से पचास किलोमीटर दूर कानपुर देहात में बौद्ध स्तूप शैली के बने इस जगन्नाथ मंदिर में वर्षो से लोग यहां मानसून का हाल जानते आ रहे हैं। इतिहासकार इसे 11वीं सदी का मंदिर मानते है। मंदिर के अन्दर भगवान जगन्नाथ बलदाऊ और सुभद्रा की मूर्तियां हैं। कलाकृतियों से बने इस मंदिर को हर्षवर्धन के काल का मंदिर माना जाता है। पुरातत्व विभाग के संरक्षण में आ चुके इस मंदिर की एक और खासियत है इसके अंदर का भाग बेहद नक्काशीदार है जिसे कुछ लोग दूसरी और तीसरी सदी का भी मानते हैं।
सात पीढ़ी से यहां पर एक ही परिवार मंदिर की देखरेख करता आ रहा है। यहां के पुजारी शुक्ला जी बताते हैं कि इस मंदिर में बिन बादल मानसून के पहले बूंदों के टपकने का राज जानने के लिए न जाने कहां से कहां से वैज्ञानिक आ चुके हैं पर आज तक इसका राज नहीं पता कर सके कि जब आसमान में एक भी बादल नहीं है तो बरसात के पहले ही गुम्बद के पत्थर की छतों में कैसे बूंदे आ जाती हैं। पुजारी जी का कहना है कि कम बूंदो से पता चल जाता है कि इस बार मानसून कमजोर रहेगा और यदि बूंदे अधिक टपकती है तो मालूम पड़ जाता है कि इस बार अधिक वर्षा होगी भीतरगांव के बेहटा स्थित मोहल्ले में बने इस मंदिर का रहस्य वर्षो से जस का तस बना हुआ है। इस बार मई के अंत कुछ ही बूंदे दिखाई दी जिससे अनुमान है कि इस बार मानसून कुछ कमजोर रहेगा।