विवादों में काशी-मथुरा: अयोध्या के बाद इन धार्मिक स्थलों पर सुनवाई, ये है मामला

यूपी के काशी-मथुरा विवाद को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गयी है। दायर याचिका में 29 साल पुराने कानून को रद्द करने की मांग की गयी है। बता दें कि ये याचिका एक हिंदू संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की है।

Update: 2020-06-12 06:08 GMT

लखनऊ: अयोध्या के राम मंदिर विवाद के दशकों बाद सुलझने और ऐतिहासिक फैसला आने के बाद अब यूपी के काशी-मथुरा विवाद को भी शीर्ष अदालत में चुनौती दी गयी है। दायर याचिका में 29 साल पुराने कानून को रद्द करने की मांग की गयी है। बता दें कि ये याचिका एक हिंदू संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की है।

काशी-मथुरा विवाद पर भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका

दरअसल, उत्तर प्रदेश के काशी-मथुरा को लेकर कई सालों से विवाद चल रहा है। ये विवाद 29 साल पहले बनाये गए कानून पर हैं। इसके तहत प्लेसेज़ ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न) एक्ट, 1991 के अंतर्गत कहा गया कि आजादी के बाद धार्मिक जगहों की यथास्थिति बरकरार रहेगी। ऐसा कोर्ट के दखल के बाद भी होगा। वहीं अब इस नियम को सुप्रीम कोर्ट में सुनौती दी गयी।

29 साल पुराने कानून को चुनौती, रद्द करने की मांग

बता दें कि काशी-मथुरा विवाद, अयोध्या के राम जन्म भूमि विवाद से कुछ हद तक समान है। हालाँकि लम्बे अरसे से बाबरी- राम जन्म भूमी विवाद पर चल रही कानूनी प्रक्रिया के बाद आखिरकार पिछले साल सीजेआई रंजन गोगोई ने नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया।

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वहीं इसके बाद वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद और मथुरा में मस्जिद विवाद को भी सुलझाने की मांग उठने लगी।

क्या है काशी-मथुरा विवाद:

दरअसल, साल 1991 में प्लेसेज़ ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न) एक्ट लागू हुआ। इस एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने 1,045 पेज का फैसले सुनाया। जिसके तहत स्पष्ट किया गया कि काशी स्थित विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद और मथुरा के मस्जिद विवाद के संदर्भ में यथास्थिति बरकरार रहेगी।

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