बिजली की बचत, पर्यावरण संरक्षण कैसे करें सीखें लखनऊ मेट्रो से

Update: 2019-02-26 13:59 GMT

लखनऊ। लखनऊवासियों को यातायात की निर्बाध सुविधा मुहैया कराने के साथ-साथ लखनऊ मेट्रो शहर में पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन में भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ट्रेनों में लगाए गए रिजनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक से 30 से 35 प्रतिशत तक ट्रैक्शन ऊर्जा की बचत हो रही है। इस तकनीक का प्रयोग मेट्रो की सभी लिफ्टों में भी किया गया है।

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एलएमआरसी ने स्टेशन क्षेत्रों और ट्रेनों में या़त्रियों की संख्या के आधार पर कार्य करने वाले नियंत्रित एयर कंडिशनिंग सिस्टम का प्रयोग किया है, खासकर अगर ट्रेन में लोगों की संख्या कम हो तो कूलिंग का स्तर भी ऑटोमैटिक रूप से कम हो जाता है। एयर कंडिशनिंग कूलिंग सिस्टम में वेरियेबल फ्रिक्वेंसी ड्राइव (वीएफडी) वाले चिलर्स के अतिरिक्त चिलर प्लान्ट मैनेजर भी लगाए गए हैं जिनसे ऊर्जा के बेहतर संरक्षण में मदद मिलती है।

ऊर्जा बचाने वाले मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के रूप में उभरने के अपने विजन को पूरा करने के लिए लखनऊ मेट्रो ने स्टेशनों, लिफ्ट और एस्कलेटरों की लाइटिंग व्यवस्था में भी बदलाव किया है, और इन सभी जगहों पर एलईडी लाइट्स का प्रयोग किया जा रहा है। भूमिगत स्टेशनों में ऊर्जा बचाने वाले इन्वायरमेंट कंट्रोल सिस्टम (इसीएस) और टनल वेंटिलेशन सिस्टम (टीवीएस) का भी प्रयोग किया गया है।

लखनऊ मेट्रो को इस बार सुगम और मजबूत यातायात सिस्टम देने के लिए अवार्ड

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए मेट्रो स्टेशनों में स्क्रबरयुक्त डिजिसेट स्थापित किए गए हैं। भूमिगत स्टेशनों के प्रवेश एवं प्रस्थान द्वारों की छतों पर ग्लास का प्रयोग किया गया है, जिससे सूर्य की रोशनी आसानी से अंदर आ सकेगी और बिजली का कम से कम इस्तेमाल होगा। स्टेशनों के बाहर हरितिमा बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में पौधे भी लगाए गए हैं जो मेट्रो स्टेशनों की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं।

मेट्रो के भूमिगत सेक्शनों में वर्षा जल के संरक्षण के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। इस संचित जल का उपयोग स्टेशन परिसर के द्वारों पर लगाए गए पौधों की सिंचाई के लिए किया जाता है। मेट्रो डिपो एवं प्रशासनिक भवन की छतों पर सोलर पैनल के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन कर एलएमआरसी दूसरी ऐसी परियोजनाओं के लिए भी रोल मॉडल बनकर उभरा है।

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