बहू को जलाकर मारने की आरोपी सास का आजीवन कारावास रद्द
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहू को जलाकर हत्या के आरोप में सत्र न्यायालय मथुरा द्वारा सास को सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा रद्द कर दी है। पिछले 11 साल से जेल में कैद सास विद्यादेवी को तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने यह आदेश बहू को जलाकर मार डालने का पर्याप्त साक्ष्य न होने व दो मृत्युकालिक बयानों में विरोधाभास होने के आधार पर आरोप से बरी कर दिया।
प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहू को जलाकर हत्या के आरोप में सत्र न्यायालय मथुरा द्वारा सास को सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा रद्द कर दी है। पिछले 11 साल से जेल में कैद सास विद्यादेवी को तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने यह आदेश बहू को जलाकर मार डालने का पर्याप्त साक्ष्य न होने व दो मृत्युकालिक बयानों में विरोधाभास होने के आधार पर आरोप से बरी कर दिया।
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कोर्ट ने मृत्युकालिक बयान को सजा के लिए पर्याप्त नहीं माना और कहा कि सत्र न्यायालय ने साक्ष्यों का परीक्षण करने में कानूनी गलती की है।
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति राजवीर सिंह की खण्डपीठ ने सास विद्या देवी की सजा के खिलाफ अपील को स्वीकार करते हुए दिया है।
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अपील पर अधिवक्ता का कहना था कि राल गांव में अपने घर में 15 अगस्त 07 को खाना बनाते समय आग लगने से बहू मीना की जलने से मौत हो गयी। 96 फीसदी जली हालत में उसके दो बयान पुलिस ने पेश किए। एक में सास पर जलाने तथा दूसरे में पूरे परिवार को मिलकर जलाने का बयान दिया। अभियोजन द्वारा पेश अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्य भी सिद्ध नहीं हुए।
पति मुकेश व ससुर हरि सिंह को सत्र न्यायालय ने ही बरी कर दिया था। कोर्ट ने मृत्युकालिक दो बयानों में विरोधाभास व अन्य साक्ष्य न होने के कारण आरोपी को सुनायी गयी सजा सही नहीं माना और कहा कि सत्र न्यायालय ने सजा देने में कानूनी गलती की है। कोर्ट ने हत्या के आरोप में सुनायी गयी आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया है।