अखिलेश बोले- UP में संवैधानिक संकट, लगे राष्ट्रपति शासन
अखिलेश ने कहा कि भाजपा सरकार में किसी का भी जीवन सुरक्षित नहीं है। मुख्यमंत्री के नियंत्रण में अब प्रशासन नहीं रह गया है। खाकी पर अपराधी हावी हो गए हैं।
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी में संवैधानिक संकट का हवाला देते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। अखिलेश ने कहा कि भाजपा सरकार में किसी का भी जीवन सुरक्षित नहीं है। मुख्यमंत्री के नियंत्रण में अब प्रशासन नहीं रह गया है। खाकी पर अपराधी हावी हो गए हैं। उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था पूरी तरह तहस नहस है। अराजकता की स्थिति के कारण राज्य में संवैधानिक संकट है।
प्रदेश में नहीं रह गया कानून का राज- अखिलेश
सपा अध्यक्ष ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश में अपराधियों का खूनी खेल जारी है। सत्ता संरक्षित अवांछित समाज विरोधी तत्वों को किसी का डर नहीं है। कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के विभिन्न जनपदों से हत्या, लूट, अपहरण, दुष्कर्म की घटनाओं की सूचनाएं न आती हों। प्रदेश में कानून का राज नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि कानपुर में 22 जून को अपहृत युवक संजीत यादव की हत्या समूची कानून व्यवस्था की हत्या है।
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अभी तक उसकी लाश का बरामद न हो पाना पुलिस की अकर्मण्यता और घोर लापरवाही का नतीजा है। उन्होंने बताया कि सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने संजीत के बर्रा स्थित घर जाकर उनकी मां श्रीमती सुषमा को सपा की ओर से 5 लाख रुपये का चेक दिया। उन्होंने प्रदेश सरकार से पीड़ित परिजनों को 50 लाख रुपये की सहायता देने की मांग की है।
माफियाओं-गुंडो की सत्तारूढ़ नेताओं से सांठगांठ- अखिलेश यादव
सपा मुखिया ने कहा कि पुलिस मुख्यालय और यूपी डायल 100 पुलिस व्यवस्था सपा सरकार में की गई थी। भाजपा सरकार ने इस सबको चैपट कर दिया है। अखिलेश ने कहा कि पिछले साढ़े तीन वर्षों में प्रदेश में अपराधों की बढ़ोत्तरी ही भाजपा शासन की एक मात्र उपलब्धि रही है। माफियाओं, गुंडो की साठगांठ सत्तारूढ़ दल के नेताओं से है, पुलिस भी उनसे अपनी भागीदारी निभाती है।
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अभी कानपुर नगर के बिकरू गांव में जो भयानक काण्ड हुआ उससे तो इसी तथ्य की पुष्टि होती है। संजीत यादव के अपहरण के बाद फिरौती की रकम 30 लाख रुपए भी बदमाश पुलिस के सामने से ही लेकर फरार हो गए। उन्होंने सवाल किया कि खाकी के लिए क्या यह शर्म की बात नहीं?