कांग्रेस मुख्यालय: इंदिरा-राजीव के युग सा नजारा है नेहरू भवन का

इन दिनों बदला-बदला नजारा है, देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय नेहरू भवन का। कभी सन्नाटे में रहने वाला कांग्रेस का प्रदेश मुख्यालय इन दिनों देखते ही बनता है। इसके हर कमरें में रंग रोगन होने और कार्यालय की लिपाई-पुताई के अलावा दूरदराज से आये कार्यकर्ताओं का हुजूम यहां 24 घंटे मौजूद रहता है।

Update: 2019-02-19 09:26 GMT

लखनऊ: इन दिनों बदला-बदला नजारा है, देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय नेहरू भवन का। कभी सन्नाटे में रहने वाला कांग्रेस का प्रदेश मुख्यालय इन दिनों देखते ही बनता है। इसके हर कमरें में रंग रोगन होने और कार्यालय की लिपाई-पुताई के अलावा दूरदराज से आये कार्यकर्ताओं का हुजूम यहां 24 घंटे मौजूद रहता है।

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पिछले महीने 23 जनवरी को प्रियंका गांधी को पार्टी का महासचिव बनने के बाद मानों कांग्रेस में नई जान आ गयी हो। यही कारण है कि इन दिनों नेहरू भवन (कांग्रेस मुख्यालय) में चहल-पहल देखते ही बन रही है।

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जनवरी 1979 के बाद जब इस भवन को नीलामी में खरीदा गया था, तब इसका पूरा रंग रोगन हुआ था। पुराने कांग्रेसी कहते हैं कि जब इस भवन का उद्घाटन करने स्व इंदिरा जी दिसम्बर 1979 यहां आई थी, उसके बाद वैसा नजारा दिख रहा है। तब प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष मोहसिना किदवई हुआ करती थी।

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कांग्रेस के नेता ब्रजेन्द्र सिंह बताते है कि इस भवन की खास बात यह है कि इसको तब खरीदा गया था जब कांग्रेस सत्ता में नहीं थी। कांग्रेस विचारधारा से जुडे बुजुर्ग बताते हैं कि इस भवन को नीलामी में लिया गया था।

कांग्रेस के पुराने लोग बताते हैं कि तबके बाद अब स्व इंदिरा गांधी की पौत्री (प्रियंका गांधी) के सक्रिय राजनीति में कदम रखने क बाद अब जाकर पूरे भवन का अब इसका रंग रोगन हुआ है। अत्याधुनिक मीडिया कक्ष से लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाधी के कक्ष को बहुत ही बेहतरी से तैयार किया गया है। इस मीडिया कक्ष का उद्घाटन प्रियंका गांधी के हाल के दौरे में किया गया।

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बदलाव के बारे में बातचीत करते हुए कांग्रेस के पूर्व युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नदीम अशरफ जायसी बताते हैं कि वाकई प्रियंका जी के आने के बाद कांग्रेस में जान आ गयी है। कार्यकर्ताओं के मन की बात सुनने वाला अबतक कोई नहीं था अब कार्यकर्ताओं को लगने लगा है कि कोई तो है जो उनके दर्द और जरूरतों को समझने के लिए है। नदीम बताते है कि ‘‘ प्रियकां जी के काम-काज के तरीके से कार्यकर्ताओं में भी काम करने का जज्बा पैदा हुआ है। जिस तरह से उन्होंने तीन दिन लगातार 45 घंटे काम किया, वह काबिले तारीफ है। देखिए अपने नेता की कार्यशैली को देखकर ही कार्यकर्ता काम करता है। प्रियंका जी के इस अंदाज को देखकर युवा कार्यकर्ताओं ने अपने- अपने क्षेत्र में उन्ही की शैली में बूथ स्तर पर कामकाज करना शुरू कर दिया है।

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नेहरू भवन के मुख्य द्वार पर प्रवेश करते ही भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू का एक बडा सा तैल चित्र लगा है। जिसे कांग्रेस की महिला विधायक और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी की पुत्री आराधना शुक्ला ने लगवाया है। दूसरे जिलों से आए कार्यकर्ता गेट से प्रवेश करते ही अपने नेता को नमन कर कांग्रेस के अतीत को याद करते हैं।

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यही हाल बाहर चाय और पान की दुकानों का है। वह कहते है ‘‘भइया.....पूछों नहीं, अब जरा दुकानदारी में मजा आ रहा है। पूरे दिन चहल पहल रहने से दुकानदारी में इजाफा हुआ है वर्ना पूरे दिन में 200 से 300 रुपए की ही बचत होती है। यह पूछने पर कि अब क्या प्रिंयका के सक्रिय राजनीति में आने और उनके दौरे का असर हुआ है ? तो पान दुकानदार पप्पू मुस्कराते हुए बताते हैं कि भइया सही बात है, अब मसाला पान की बिक्री बढ़ी है जिसके कारण रोज 500 रुपये की बचत हो रही है।

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नेहरू भवन के बाहर 50 साल से दुकान सजाए सदानन्द बताते हैं कि 1984 में जब स्व इंदिराजी की हत्या के बाद लोकसभा के चुनाव हुए थें तो उस जमाने में खूब झण्डे- बैनरों की बिक्री के अलावा इंदिराजी के अंतिम भाषण के कैसेट की बिक्री ‘‘मै जीवित रहूं या न रहूं पर मेरे ,खून का एक एक कतरा इस देश के काम आएगा। ’’ खूब हुयी थी।

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