Lucknow News: इन चीजों को खाने से गठिया रोगियों को हो रही ये बीमारियां, आयुर्वेद कॉलेज की रिसर्च में खुलासा

Ayurved College: डॉ. संजीव ने बताया कि गठिया केन्द्र में इलाज करा रहे इन रोगियों से उनके खानपान की वजह से इनके रोग के बढ़ने अथवा घटने के विषय में सवाल पूछे गये। सर्वे में 885 रोगियों को शामिल किया गया।

Report :  Abhishek Mishra
Update: 2024-07-17 12:15 GMT

Lucknow News: राजकीय आयुर्वेद कॉलेज ने गठिया रोगियों पर एक शोध किया है। जिसमें पता चला है कि दही, आइसक्रीम, कोल्डड्रिंक, ठण्डा पानी व चावल खाने वाले रोगियों की बीमारी बेकाबू हो रही है। इस शोध को इंटरनेशनल जरनल आफ आयुर्वेद रिसर्च ने प्रकाशित किया है।

दर्द, सूजन और जकड़न जैसी समस्या हो रही

टुड़ियागंज स्थित राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के गठिया केंद्र के निदेशक डॉ. संजीव रस्तोगी के निर्देशन में डॉ. किरन मौर्य ने गठिया रोगियों पर यह शोध किया है। ठंडे पदार्थों का सेवन करने के बाद ही रोगियों को जोड़ो के दर्द, सूजन और जकड़न जैसी समस्या हो रही है। राजकीय आयुर्वेद कॉलेज में इलाज के लिए आने वाले 885 गठिया रोगियों पर किए गए शोध में यह बातें सामनें आई हैं। शोध के दौरान रोगियों से खान- पान से जुड़े 68 तरह के सवाल किए गए थे। सबसे ज्यादा 77 फीसदी ठंडा पानी, 75 फीसदी दही खाने की बात स्वीकार की। यह भी जानकारी दी कि इन चीजों को खाने के बाद समस्या बढ़ जाती है। निष्कर्ष निकाला गया कि खानपान का सीधा सम्बंध जोड़ों से संबंधित रोगों से है।

885 रोगियों पर हुआ शोध

डॉ. संजीव ने बताया कि गठिया केन्द्र में इलाज करा रहे इन रोगियों से उनके खानपान की वजह से इनके रोग के बढ़ने अथवा घटने के विषय में सवाल पूछे गये। सर्वे में 885 रोगियों को शामिल किया गया। इनमें से सात फीसदी रोगियों ने स्वीकार किया कि कुछ खास चीजें खाने के बाद इनके जोड़ों का दर्द, सूजन और जकड़न बढ़ जाती है।

ठंडे पानी और दही से अधिक नुकसान

डॉ. संजीव रस्तोगी ने बताया कि इन रोगियों से खाने और पीने से जुड़े 68 उत्पादों के बारे में सवाल पूछे गए। इनमें से 77 फीसदी रोगियों ने ठण्डा पानी, 75% ने दही, 70% ने कोल्ड ड्रिंक, 65% ने आइसक्रीम और 61 फीसदी ने चावल के नियमित इस्तेमाल की जानकारी दी। इस आधार पर निष्कर्ष निकाला गया कि इन वस्तुओं का सेवन गठिया और जोड़ों के दर्द का बड़ा कारण है। इनमें 64 फीसदी मरीज रुमेटाइड अर्थराइटिस व रीढ़ की अर्थराइटिस के हैं।

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