World Pneumonia Day: निमोनिया को लेकर केजीएमयू में चिकित्सकों ने रखी राय, सर्दियों में विशेष ध्यान देने की सलाह

World Pneumonia Day: जानकारी देते हुए डॉ. वेद प्रकाश ने कहा कि निमोनिया होने के कई सारे कारण हैं। खासतौर से बैक्टीरिया, वायरस और फंगस इसके मुख्य कारण होते हैं।

Written By :  Santosh Tiwari
Update:2024-11-11 17:19 IST

प्रेस वार्ता में मौजूद चिकित्सक। Photo: Newstrack 

World Pneumonia Day: सर्दियों के मौसम में निमोनिया और ज्यादा खतरनाक होता है और इससे 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। इससे बचाव के उपाय, तुरंत पहचान और समय पर इलाज निमोनिया के लिए जीवनदान साबित हो सकता है। यह बातें सोमवार के केजीएमयू के पल्मोनरी और क्रिटिकल मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. वेद प्रकाश ने कही। वह 12 नवंबर को आयोजित होने वाले विश्व निमोनिया दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित प्रेस वार्ता को सम्बोधित कर रहे थे।

इन कारणों से हो सकती है बीमारी

जानकारी देते हुए डॉ. वेद प्रकाश ने कहा कि निमोनिया होने के कई सारे कारण हैं। खासतौर से बैक्टीरिया, वायरस और फंगस इसके मुख्य कारण होते हैं। अगर देखा जाए तो स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया बैक्टीरिया इसका सबसे प्रमुख कारण है। इसके अलावा रेस्पिरेटरी सिंकाईटियल वायरस, इन्फ़्लुएन्ज़ा और कोरोना वायरस सामान्य वायरल कारक हैं। साथ ही न्यूमोसिस्टिस जिरोवेसी म्यूकर, एसपरजिलम जैसे फंगल संक्रमण भी कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में ज्यादा मिलते हैं। इसके अलावा कुपोषण, पुरानी बीमारियां, प्रदूषण, धूम्रपान भी यह बीमारी होने के खतरे और बढ़ा देते हैं। 5 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चे और 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को यह बीमारी होने की ज्यादा आशंकाएं होती हैं। इस दौरान रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. आर ए एस कुशवाह, मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. केके सावलानी और बाल रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजेश यादव ने भी अपने विचार रखे। साथ ही निमोनिया के खतरे, उपचार और बचावों के बारे में जानकारी साझा की।

देश में हर साल सामने आते हैं 26 लाख मामले

चौंकाने वाले आंकड़ों का खुलासा करते हुए डॉ. वेद प्रकाश ने कहा कि भारत में हर वर्ष पांच साल से कम उम्र के बच्चों में गंभीर निमोनिया के लगभग 26 लाख मामले सामने आते हैं। इनमें करीब 8 लाख मामले ऐसे होते हैं जिनमें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ती है। एक अध्ययन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में निमोनिया से पांच वर्ष की आयु से कम वाले लगभग 6 लाख 10 हजार बच्चों की मौत हुई। अनुमान के अनुसार घरेलु वायु प्रदूषण के कारण अधिकांश बच्चे इसका शिकार हो जाते हैं। इसलिए निमोनिया के बचावों के साथ ही इसकी वैक्सीन लेने की भी आवश्यकता है जो KGMU में भी उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि 2024 में ''हर सांस मायने रखती है: निमोनिया को उसके रास्ते पर रोकें" थीम पर विश्व निमोनिया दिवस का आयोजन होगा। 

Tags:    

Similar News