Lucknow News: सर्वाधिक बिजली आपूर्ति का कीर्तिमान कैसे बनाया, जवाब दें ऊर्जा मंत्री, 19 को बिजली का निजीकरण हटाओ दिवस

Lucknow News: संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री ने अपने बयान में यह भी कहा है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार में बिजली के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है और वर्तमान सरकार के समय में देश में सर्वाधिक 30618 मेगावाट बिजली आपूर्ति का रिकार्ड उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों के सहयोग से बना है।

Newstrack :  Network
Update:2024-12-18 20:39 IST

सर्वाधिक बिजली आपूर्ति का कीर्तिमान कैसे बनाया, जवाब दें ऊर्जा मंत्री, 19 को बिजली का निजीकरण हटाओ दिवस (newstrack

Lucknow News: प्रदेश के ऊर्जा मंत्री द्वारा निजीकरण के पीपीपी मॉडल को जरूरी बताए जाने के बयान पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा कि बिना किसी प्रेरणा के बिजली कर्मियों ने देश में सर्वाधिक बिजली आपूर्ति का कीर्तिमान स्थापित कर प्रतिमान बदल दिया है। देश के अन्य राज्यों के बिजली कर्मियों के साथ उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी 19 दिसंबर को सभी जिलों, परियोजनाओं और राजधानी लखनऊ में "शहीदों के सपनों का भारत बनाएं-बिजली का निजीकरण हटाओ" दिवस मनाएंगे।

काकोरी क्रांति के अमर शहीदों के शहादत दिवस पर 19 दिसंबर को देशभर में करीब 27 लाख बिजली कर्मचारी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह और राजेंद्र लाहिड़ी के चित्रों पर श्रद्धांजलि अर्पित कर "शहीदों के सपनों का भारत बनाएं-बिजली का निजीकरण हटाओ" दिवस मनाएंगे।

शाम पांच बजे के बाद यूपी के सभी जिलों और परियोजना मुख्यालयों पर बैठकें होंगी, जिसमें शहीदों के चित्रों के समक्ष विद्युत निगम को निजीकरण से बचाने की शपथ ली जाएगी। इस अवसर पर राजधानी लखनऊ में राणा प्रताप मार्ग स्थित हाईडल फील्ड हॉस्टल में विशाल सभा के साथ ही शहीदों के सपनों का भारत बनाएं-बिजली का निजीकरण हटाओ विषय पर नाट्य प्रस्तुति की जाएगी। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों में राजीव सिंह, जितेंद्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेंद्र राय, सुहैल आबिद, पी.के. दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर.वाई. शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेंद्र पांडेय, आर.बी. सिंह, राम कृपाल यादव, मोहम्मद वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मोहम्मद इलियास, श्री चंद, सरयू त्रिवेदी, योगेंद्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी.एस. बाजपेयी, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय व विशम्भर सिंह ने कहा कि ऊर्जा मंत्री ने कल यह बयान दिया है कि उत्तर प्रदेश में पीपीपी मॉडल पर बिजली का निजीकरण जरूरी हो गया है, क्योंकि पावर कारपोरेशन में कोई प्रेरणा नहीं है।

संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री ने अपने बयान में यह भी कहा है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार में बिजली के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है और वर्तमान सरकार के समय में देश में सर्वाधिक 30618 मेगावाट बिजली आपूर्ति का रिकार्ड उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों के सहयोग से बना है। अब सवाल यह उठता है कि अगर कोई प्रेरणा नहीं थी तो योगी सरकार में बिजली कर्मियों ने इस प्रतिमान को बदल दिया। अगर सरकार व प्रबंधन से प्रेरणा मिले तो यूपी के बिजली कर्मचारी इससे भी बड़ा रिकार्ड कायम करने में सक्षम हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कारपोरेशन द्वारा दिए गए गलत व झूठे आंकड़ों के आधार पर बिजली का निजीकरण किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। ऊर्जा मंत्री को पावर कारपोरेशन द्वारा दिए गए आंकड़ों की जांच करानी चाहिए। संघर्ष समिति ने यह भी कहा कि ऊर्जा मंत्री का

पीपीपी मॉडल पर बिजली के निजीकरण का बयान उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित कैबिनेट सब कमेटी, जिसमें वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा भी शामिल थे, के साथ 6 अक्टूबर 2020 को हुए लिखित समझौते का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में बिजली के क्षेत्र में जो भी सुधार किए जाएंगे, वह बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लेकर मौजूदा ढांचे में ही किए जाएंगे। इस समझौते में यह भी कहा गया है कि, उत्तर प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र में कहीं भी बिजली का किसी भी तरह का निजीकरण बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लिए बिना नहीं किया जाएगा।

अब यह पीपीपी मॉडल स्पष्ट रूप से इस समझौते का खुला उल्लंघन है। इससे प्रदेश की बिजली व्यवस्था में उत्तरोत्तर सुधार में लगे बिजली कर्मचारियों में अविश्वास का माहौल पैदा हो रहा है। समिति ने एक बार फिर कहा है कि बिजली क्षेत्र में निजीकरण का पीपी मॉडल उड़ीसा और दिल्ली में पहले ही विफल हो चुका है। उड़ीसा में इसी पीपी मॉडल के तहत 1998 में निजीकरण किया गया था। फरवरी 2015 में उड़ीसा विद्युत विनियामक आयोग ने निजीकरण को पूरी तरह विफल प्रयोग मानते हुए रिलायंस पावर के तीनों लाइसेंस रद्द कर दिए थे। 2015 से 2020 तक उड़ीसा की चारों कंपनियों का प्रशासन विनियामक आयोग के पास रहा और इस दौरान सरकारी क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार हुआ।

तभी चारों कंपनियों को एक बार फिर टाटा पावर को दे दिया गया। चूंकि पांच साल में सरकारी नियंत्रण में पहले ही काफी सुधार हो चुका था और सरकार ने व्यवस्था सुधार के लिए अरबों रुपए भी खर्च किए हैं। इसलिए अब टाटा पावर को बिना कोई निवेश किए ही एक अच्छी व्यवस्था मिल गई है। यूपी में भी आरडीएसएस योजना के तहत हजारों करोड़ रुपए खर्च करने के बाद जब तेजी से सुधार हो रहा है तो फिर क्या है

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