Lucknow News: पीजीआई ने की पहल, ब्रेन डेड होने के बाद मिलेगा मरीज़ो को मुफ्त इलाज

Lucknow News: उत्तर प्रदेश में अंगदान को बढ़ावा देने के लिए लखनऊ के जाने माने और प्रसिद्द अस्पताल पीजीआई ने एक नयी पहल शुरू की है। इस नयी पहल के तहत मरीज़ का ब्रेन डेड घोसुत करना अनिवार्य है। ब्रेन डेड होने के बाद पूरा इलाज़ मुफ्त में होगा।

Update:2023-08-17 13:15 IST
Patients to Get Free Treatment after Brain Dead Declared at PGI Lucknow

Lucknow News: उत्तर प्रदेश में अंगदान को बढ़ावा देने के लिए लखनऊ के जाने माने और प्रसिद्द अस्पताल पीजीआई ने एक नयी पहल शुरू की है। इस नयी पहल के तहत मरीज़ का ब्रेन डेड घोसुत करना अनिवार्य है। ब्रेन डेड होने के बाद पूरा इलाज़ मुफ्त में होगा। यह जानकारी पीजीआई के निर्देशक डॉ आरके धीमन ने 77वे स्वतंत्रता दिवस के झंडारोहण कार्यक्रम के दौरान दी।

ब्रेन डेड होने पर मिलेगा मुफ्त इलाज़

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) में अंगदान को बढ़ावा देने के लिए ब्रेन डेड घोषित करना अनिवार्य कर दिया है। स्टेट ऑर्गन ट्रांसप्लांट एक्ट के तहत ब्रेन डेड घोषित करना अनिवार्य हुआ है। मरीज़ का ब्रेन डेड घोषित करने के लिए डॉक्टरों की एक विशेष टीम भी बनाई गयी है। इस टीम में न्यूरोसर्जन, न्यूरोलाजिस्ट और निश्चेतना (एनेस्थीसिया) विशेषज्ञ शामिल किए गए हैं। ब्रेन डेड घोषित करने के लिए कुछ मानक भी तय किये गए है। मरीज़ का ब्रेन डेड घोषित होने के बाद उसका पूरा इलाज मुफ्त में होगा। इलाज का पूरा खर्चा पीजीआई अस्पताल उठाएगा। इलाज सभी मौजूद परिवकर वालो की सहमति के बाद ही चालू होगा। इस सहमति के लिए मरीज़ के परिवारजनो को एक परचा भरकर अपनी स्वीकृति देनी होगी।

मुख्य सचिव ने दी मंज़ूरी

मुख्य सचवि उत्तर प्रदेश सर्कार दुर्गा शंकर मिश्रा ने पीजीआई की इस नयी पहल को अपनी मंज़ूरी दे दी है। इस नयी पहल से अंगदान को बढ़ावा मिलेगा और मरीज़ो का ब्रेन डेड के बाद मुफ्त इलाज हो सकेगा। अंगदान को बढ़ावा देने से एक मरीज़ की मृत्यु के बादअन्य बड़ी बीमारियों से जूझ रहे मरीज़ो को ऑर्गन ट्रांसप्लांट की मदद से एक नया जीवन मिलेगा और वह एक लम्बे समय तक अपना जीवन जी सकते है।

क्या है दिमाग मौत?

"मस्तिष्क मृत" और "दिमाग़ मौत" उन मामलों में प्रयुक्त होते हैं जब किसी व्यक्ति के मस्तिष्क की सभी गतिविधियाँ अपुर्ण रूप से बंद हो जाती हैं और वो स्वच्छंदता को पुनर्प्राप्त करने की संभावना खो देता है। कोई व्यक्ति मस्तिष्क मृत या दिमाग़ मौत के रूप में घोषित होता है, तो उसका मतलब होता है कि उसके मस्तिष्क की सभी गतिविधियाँ अविलंब रूप से बंद हो गई हैं। इसे आमतौर पर एक श्रृंगारिक धार्मिक दृष्टिकोण से मृत्यु के समान माना जाता है और इसे कई क्षेत्रों में मानविकासीय विचारधारा और चिकित्सा में महत्वपूर्ण बताया जाता है।

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