सपा ने घोषित किया दुद्धी विधानसभा सीट पर उम्मीदवार, आदिवासी नेता पर खेला दांव

Duddhi Assembly By Election: दुद्धी विधानसभा सीट आदिवासी बाहुल है। इसलिए सपा ने आदिवासी जाति से आने वाले नेता विजय सिंह गोंड को उम्मीदवार बनाना है।

Report :  Viren Singh
Update:2023-12-25 21:44 IST

Duddhi Assembly By Election (सोशल मीडिया) 

Duddhi Assembly By Election: यूपी के सोनभद्र जिले की रिक्त हुई दुद्धी विधानसभा सीट के लिए सोमवार को समाजवादी पार्टी (सपा) ने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। सपा ने विजय सिहं गोंड इस विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। अभी तक इस पर होने वाले चुवान की तारीख का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन उससे पहले सपा ने अपने उम्मीदवार को नाम घोषित कर दिया है। दुद्धी विधानसभा सीट पर साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की थी। रामदुलार गोंड इस सीट से भाजपा के विधायक चुने गए थे, लेकिन नाबालिग लड़की के साथ रेप के मामले पर 25 साल की सजा होने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर की गई। इस वजह से दुद्धी विधानसभा सीट रिक्त हो गई।

सोमवार को अखिलेश यादव ने की घोषणा

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सोमवार को पार्टी कार्यालय में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर प्रत्याशियों को चयन को लेकर एक बैठक की। इस दौरान बैठक के दौरान अखिलेश यादव ने रिक्त हुई सोनभद्र की दुद्धी विधानसभा सीट के लिए प्रत्याशी के रूप में विजय सिंह गोंड के नाम की भी घोषणा कर दी। बता दें कि विजय सिंह गोंड़ अखिलेश यादव की सरकार में पूर्व मंत्री थे। दुद्धी विधानसभा सीट आदिवासी बाहुल है। इसलिए सपा ने आदिवासी जाति से आने वाले नेता विजय सिंह गोंड को उम्मीदवार बनाना है।

इस वजह से रिक्त हुई है सीट

सोनभद्र जिले के दुद्धी विधासभा सीट से भाजपा के विधायक रामदुलार गोंड को बलात्कार के मामले में सजा सुनाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। उन्हें 9 साल पहले एक नाबालिग लड़की के रेप के मामले हाल ही के दिनों में एमपी-एमएलए कोर्ट ने 25 साल की कारावास की सजा सुनाई थी, जिसके बाद गोंड की विधायकी खत्म हो गई और यह सीट रिक्त है।

जानिए कब जाती है सदन की सदस्यता

बता दें कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत अगर किसी जनप्रतिनिधि को दो या उससे अधिक साल की सजा हो जाती है तो उसकी सदन की सदस्यता खत्म हो जाती है। सजा पूरी होने के बाद वह छह वर्ष तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकता है। ऐसे कई जनप्रतिनिधि हैं, जिन्हें दोषसिद्धि होने के बाद सदन की सदस्यता से हाथ धोना पड़ा है।

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