मायावती के कैबिनेट सचिव रहे अनिल संत सहित कई अधिकारियों पर गिरी गाज

साथ ही अदालत ने उन पर मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन स्वीकृति की नोटिस भी जारी की है। अदालत ने रिवीजनकर्ता  को यह आदेश दिया है कि वह अभियोजन स्वीकृति के लिए जारी नोटिस की पैरवी अविलंब करें। यह आदेश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज अनिल कुमार शुक्ल ने सीजेएम, लखनऊ के 7 फरवरी 2013 के आदेश के खिलाफ सुनील गुप्ता की ओर से दाखिल रिवीजन याचिका पर पारित किया । 

Update:2019-04-18 22:09 IST

लखनऊ: एक स्थानीय अदालत ने धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार के एक मामले में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कैबिनेट सचिव रहे अनिल संत व समाज कल्याण निर्माण निगम लिमिटेड, लखनऊ के तत्कालीन मुख्य महाप्रबंधक आनंद संत एवं तत्कालीन महाप्रबंधक व प्रशासन अजय कमार श्रीवास्तव के खिलाफ दाखिल रिवीजन अर्जी को मंजूर कर इन सबके खिलाफ संज्ञान लेते हुए सभी को धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार के आरोप में 10 मई को हाजिर होने का आदेश दिया है।

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साथ ही अदालत ने उन पर मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन स्वीकृति की नोटिस भी जारी की है। अदालत ने रिवीजनकर्ता को यह आदेश दिया है कि वह अभियोजन स्वीकृति के लिए जारी नोटिस की पैरवी अविलंब करें। यह आदेश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज अनिल कुमार शुक्ल ने सीजेएम, लखनऊ के 7 फरवरी 2013 के आदेश के खिलाफ सुनील गुप्ता की ओर से दाखिल रिवीजन याचिका पर पारित किया ।

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दरअसल, सात फरवरी, 2013 को सीजेएम ने गुप्ता की अर्जी खारिज कर दी थी। जिसे रिवीजन अर्जी दाखिल कर चुनौती दी गयी थी। गुप्ता ने अपनी अर्जी में उपरोक्त सबके खिलाफ धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी। रिवीजनकर्ता का आरोप था कि समाज कल्याण निर्माण निगम लिमिटेड, लखनऊ में मुख्य महाप्रबंधक पद पर आनंद संत की नियुक्ति पूरी तरह असंवैधानिक है। जो भ्रष्टाचार को प्रमाणित करती है। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री के तत्कालीन कैबिनेट सचिव अनिल संत ने इस कार्य में अपने पद का दुरुपयोग किया था। उन्होंने निर्धारित योग्यता नहीं होने के बावजूद विभागीय नियमावली में हेरफेर करके अपने छोटे भाई आनंद संत की प्रोन्न्ति इस पद पर करा दी।

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अदालत ने धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार के एक दूसरे मामले में भी आनंद संत व अजय कुमार श्रीवास्तव समेत समाज कल्याण निर्माण निगम लिमिटेड, लखनऊ के प्रबंध निदेशक हीरालाल गुप्ता व देवेंद्र नाथ वर्मा और तत्कालीन चीफ इंजीनियर गिरीश वल्लभ मिश्रा के खिलाफ भी आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468 व 471 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7/13 में संज्ञान लिया है। साथ ही इन सबके खिलाफ भी मुकदमा चलाने के लिए शासन को अभियोजन स्वीकृति का पत्र जारी किया है। इस मामले की सुनवाई भी 10 मई को होगी।

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अदालत ने यह आदेश भी सुनील कुमार गुप्ता की ओर से ही दाखिल एक परिवाद पर दिया है। इस परिवाद में आनंद संत व अजय कुमार श्रीवास्तव के साथ ही हीरालाल गुप्ता व देवेंद्र नाथ वर्मा तथा गिरीश वल्लभ मिश्रा को विपक्षी पक्षकार बनाया गया था। सुनील का आरोप है कि वर्ष 2002 से 2012 के मध्य इन विपक्षीगणों वित्त नियमों को दरकिनार व बगैर शासनादेश के 2176.14 करोड़ का टेडर अपने चहेतों को जारी कर दिया।

 

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