मेडिकल कालेज की हालात काफी खराब, इलाज के लिए परेशान हो सकते हैं मरीज
मेडिकल कालेज के हालत काफी गंभीर है। स्थिति यह है कि अगर मेडिकल कालेज के जूनियर डॉक्टर कोरोना संक्रमित हो जाते हैं तो इलाज करवाने बुंदेलखंड के...
झाँसी। मेडिकल कालेज के हालत काफी गंभीर है। स्थिति यह है कि अगर मेडिकल कालेज के जूनियर डॉक्टर कोरोना संक्रमित हो जाते हैं तो इलाज करवाने बुंदेलखंड के मरीज तड़प सकते हैं। जूनियर डॉक्टरों की बातों को भी सीनियर डॉक्टर व मलबा नोडल अधिकारी भी दरकिनार कर रहे हैं। इसको लेकर जूनियर डॉक्टरों में काफी आक्रोश व्याप्त है। जूडा का कहना है कि मेडिकल कालेज के कोरोना कोविड वार्ड में भरती पोजिटिव मरीज के परिजन खुलेआम मेडिकल कालेज परिसर में घूम रहे हैं। इनको कोई रोकने वाला नहीं है। हालात यह है कि कोरोना कोविड वार्ड में पॉजीटिव मरीजों का ठीक तरह से इलाज तक नहीं किया जा रहा है। इस कारण मृतकों की संख्या में दिनोंदिन बढ़ोत्तरी हो रही हैं।
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झाँसी मेडिकल कालेज के हालात काफी दयनीय हो चुके हैं। मरीजों का इलाज करने वाले जूनियर डॉक्टर भी अब परेशान नजर आ रहे हैं क्योंकि डॉक्टर भी कोरोना पॉजिटिव हो रहे हैं। इसको लेकर जूनियर डॉक्टरों में काफी भय का माहौल बना हुआ है। इसकी जानकारी जूडा ने सीनियर डॉक्टरों को दी मगर उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है। उल्टे ही उनको फटकार लगा रहे हैं। इसको लेकर जूनियर डॉक्टरों में काफी आक्रोश व्याप्त है। उधर, कोरोना कोविड में भर्ती मरीज को देखने के लिए लोग परेशान है। लोगों का कहना है कि मरीजों का ठीक तरह से इलाज नहीं किया जा रहा है। इस कारण मरीजों की हालात दिनोंदिन बिगड़ती नजर आ रही हैं।
जूडा ने मलबा प्रधानाचार्य को दिया ज्ञापन
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ बृजेश कुमार यादव ने बताया है कि वर्तमान में कोविड-19 संक्रमित मरीजों में तीव्रगति से वृद्धि हो रही है। ऐसे में कालेज प्रशासन को और सावधानियां एवं उचित व्यवस्था करने की जरुरत है जबकि आपातकालीन में पहले क्वारन्टाइन था। वह भी समाप्त कर दिया और मरीज जो पॉजिटिव निकल रहे हैं, उन्हें वहां पर रखा जा रहा है। मरीजों के परिजन बेखौफ चारों तरफ घूमते हैं।
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स्टॉफ कोरोना पॉजिटिव एवं सामान्य मरीजों को देख रहा है और अपने घर जा रहे हैं। कोरोना के प्रसार में अधिक वृद्धि कर सकते हैं। इस संबंध में प्रधानाचार्य को एक ज्ञापन दिया है। ज्ञापन के माध्यम से इमरजेंसी में केवल ट्रायच से ग्रीनटैग वाले मरीजों को देखने एवं भेजने की व्यवस्था होना चाहिए। यदि कोई मरीज पोजीटिव आता है तो उसे तुरंत कोविड में भेजा जाए। कोविड या इमरजेंसी में कार्यरत रेजिडेन्ट या स्टाफ की ड्यूटी समाप्त होने के बाद कोविड जांच कराने के बाद और उसका रिजल्ट आने के बाद ही कही अन्यंत्र ड्यूटी लगाई जाए।
संस्थान में कार्यरत सभी हेल्थ वर्कर की एक बार कोविड जांच एवं पोजिटिव आने पर उन्हें दूसरे स्थान पर रखा जाए। सभी हॉस्टल का प्रतिदिन सेनिटाइज कराने की व्यवस्था की जाए। इमरजेंसी में कार्यरत हेल्थवर्कर को एन-95 एवं पीपीई किट सुनिश्चित की जाए। ज्ञापन में कहा है कि उक्त समस्याओं का जल्द निस्तारण नहीं किया तो जूडा कार्य करने में असमर्थ होंगे।
रिपोर्ट: बी.के. कुशवाहा
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