मेरठ के सांसद ने किया "पीलीभीत में इमरजेंसी की सौ अनसुनी कहानियां" पुस्तक का विमोचन
आपातकाल के समय में लोकतंत्र सेनानियों पर हुए जुल्म-ज्यादतियों और जेल के अंदर की घटनाओं को लिपिबद्ध करके वरिष्ठ पत्रकार विश्वमित्र टंडन द्वारा लिखी गई पुस्तक-" पीलीभीत में इमरजेंसी की अनसुनी कहानियां" का मेरठ के भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने विमोचन किया।
मेरठ: आपातकाल के समय में लोकतंत्र सेनानियों पर हुए जुल्म-ज्यादतियों और जेल के अंदर की घटनाओं को लिपिबद्ध करके वरिष्ठ पत्रकार विश्वमित्र टंडन द्वारा लिखी गई पुस्तक-" पीलीभीत में इमरजेंसी की अनसुनी कहानियां" का मेरठ के भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने विमोचन किया। सांसद अग्रवाल ने आपातकाल के लिए राजनीति में परिवारवाद को एक बड़ा कारक मानते हुए कहा कि हम सभी लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। परिवारवाद से देश को मुक्ति मिलनी चाहिए। परिवार के अंदर यदि कोई श्रेष्ठ व्यक्ति है, वह आए और आगे बढ़े परंतु केवल परिवार का होने के कारण उसको स्थान नहीं मिलना चाहिए, लोकतांत्रिक दृष्टि से इस पर चिंतन किया जाना चाहिए।
शहर के एक प्रमुख होटल में मंगलवार को लोकतंत्र सेनानी संगठन की ओर से आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि लोकतंत्र में तानाशाही का जन्म सर्वाधिक परिवारवाद से संभव है। परिवारवाद बहुत बड़ी बीमारी है। परिवारवाद लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को मार देता है, अस्वीकार कर देता है। परिवारवाद के चलते लोकतांत्रिक व्यवस्था के जो आयाम हैं, उनकी उपेक्षा करते हुए व्यक्ति क्रमशः अपने ही आधार पर निर्णय करने की प्रक्रिया में घुसता चला जाता है, इससे तानाशाही का जन्म होता है। इसके भयानक दुष्परिणाम है। लोकतंत्र के अंदर आपकी सीधे-सीधे जनता के प्रति जवाबदेही है। आपसे कुछ अपेक्षाएं हैं। आपकी कुछ जिम्मेदारी है। आप चाहे सत्ता में हैं चाहे आप विपक्ष में रहें लेकिन शायद इसी अहंकार और तानाशाही संस्कार के चलते ठीक प्रकार से प्रतिक्रियाएं भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में नहीं हो पाती है।
सांसद ने कहा कि आज इस बात पर गहन शोध की आवश्यकता है कि इमरजेंसी क्यों लगी ? क्यों लग जाती है ? क्यों लग सकती है ? इसके क्या उपाय किए जाने चाहिए ? इस पर शोध हुए हैं और शोध होने चाहिए। श्री अग्रवाल ने कहा कि वह मेरठ के अंदर विश्वविद्यालय में शोध के लिए कुछ व्यक्तियों के रजिस्ट्रेशन करवाएंगे ताकि पता चले लोकतंत्र में तानाशाही का विचार किस कारण से पैदा होता है। क्या उसके तत्व थे ? क्या उसके कारक थे ? सांसद ने कहा कि इमरजेंसी के जो कारण रहे, उस पर सोचने की आवश्यकता है। भाजपा 25 जून को काला दिवस मना रही है। उस दिन जब लोकतंत्र सेनानी इकट्ठे हो तब लोकतंत्र के इस संकट के संबंध में जरूर कोई ऐसा मार्ग निकालने पर सोचना चाहिए ताकि आगे से ऐसी स्थितियां दोबारा न उत्पन्न हों।
भाजपा जिलाध्यक्ष संजीव प्रताप सिंह ने कहा कि देश में दो प्रकार की लड़ाइयां लड़ी गई। हमारे पुरखों ने आजादी की लड़ाई लड़ी। सन 1975 में लोकतंत्र को कुचलने के लिए इंदिरा सरकार में आपातकाल लागू किया गया, किस प्रकार आजादी की लड़ाई में सेनानियों ने भूमिका निभाई वहीं भूमिका लोकतंत्र सेनानियों ने भी लोकतंत्र को बचाने के लिए निभाई। 25 जून को भाजपा काला दिवस मना रही है ताकि लोकतंत्र रक्षक सेनानियों के संघर्ष से युवा पीढ़ी सीखें और प्रेरणा लेने का कार्य करे।
इससे पूर्व पुस्तक के लेखक वरिष्ठ पत्रकार विश्वमित्र टंडन ने पुस्तक के विषय में तफ़सील से बयां किया उन्होंने बताया कि आपातकाल के दौर में बिना दलील बिना वकील बिना अपील नागरिकों को जेल में डाला जाता था और न्यायालय भी बेवश थे। लोकतंत्र सेनानियों के संघर्ष की वह गाथाएं आने वाली पीढ़ी को ज्ञात कराने के उद्देश्य से ही उन्होंने "पीलीभीत में इमरजेंसी की 100 अनसुनी कहानियां" पुस्तक लिखने का प्रयास किया। ताकि वह संघर्ष इतिहास के पन्नों में दर्ज हो सके। इससे पूर्व संचालक श्री टंडन ने मुख्य अतिथि भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल का विस्तार से परिचय दिया और उनका पीलीभीत से पुराना जुड़ाव बताया। वयोवृद्ध लोकतंत्र सेनानी दामोदर दास गुप्ता उर्फ डीडी गुप्ता ने मुख्य अतिथि के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।
लोकतंत्र सेनानी संगठन के मंत्री अश्विनी कुमार ने सुझाव दिया कि सभी लोकतंत्र सेनानियों को अपने घर पर नेमप्लेट लगानी चाहिए साथ ही सम्मान राशि से ऐसे कार्य करें, जिससे हमारी कुछ अलग पहचान बनी रहे। हम असहाय लोगों के साथ खड़े हो और उनकी मदद करें। समारोह के मुख्य अतिथि सांसद राजेंद्र अग्रवाल का लोकतंत्र रक्षक सेनानी संगठन के अध्यक्ष अशोक शमशा, अश्विनी कुमार, सर्वजीत सिंह, राजीव कुमार सरयू प्रसाद रस्तोगी, अरविंद सिंह, मोहम्मद मियां ने स्वागत किया। समारोह के अंत में सभी का आभार लोकतंत्र रक्षक सेनानी संगठन के अध्यक्ष अशोक शमशा ने व्यक्त किया।
जहां आपातकाल में बंद रहे उस जेल का किया निरीक्षण, सांसद ने पीलीभीत। सन 1975 में आपातकाल के दौर में वर्तमान में मेरठ के भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल पीलीभीत की जिला कारागार में निरूद्ध रहे थे, वह मंगलवार को जब जनपद में पहुंचे तो उनकी आपातकाल के दौर की यादें ताजा हो उठीं। वह उस समय जेल में बंद अपने साथी राजनीतिक बंदियों से मिलकर आपातकाल की यादों में खो गए। सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने जिला कारागार का निरीक्षण किया और इस दौरान वह उस सात नंबर बैरक को देखने पहुंचे, जहां आपातकाल के दौर में कई महीने उन्होंने गुजारे थे। कारागार अधीक्षक रमाकांत ने उनको बताया कि बैरक नंबर 7 जर्जर हो जाने के कारण उसका पुनर्निर्माण किया गया है। सांसद ने जेल में बंदियों की समस्याओं को जाना और विजिटर बुक में टिप्पणी अंकित की। सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने लोकतंत्र सेनानियों पर जुल्म और ज्यादतियों को बयां करती वरिष्ठ पत्रकार विश्वमित्र टंडन द्वारा लिखित पुस्तक "पीलीभीत में इमरजेंसी की सौ अनसुनी कहानियां" कारागार अधीक्षक को जेल के पुस्तकालय में रखने के लिए भेंट की।