Up Nikay Chunav 2023 News: निवर्तमान महापौर ने कहा- ‘दुश्वारियों से जूझते मेरठ में कराए विकास कार्य’
Meerut News: मौजूदा मेयर सुनीता वर्मा मेरठ नगर निगम के इतिहास की पहली दलित महिला महापौर हैं। हालांकि अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें लगातार पार्षदों के इन आरोपों का सामना करना पड़ा कि वार्डों के कामों में पार्षदों की सुनवाई नहीं होती हैं।
Meerut News: जिला पंचायत सदस्य बनकर राजनीति में कदम रखने वाली बसपा की सुनीता वर्मा मेरठ नगर निगम के इतिहास में पहली दलित मेयर बनने में बेशक कामयाब रहीं। जहां तक विकास कार्यों का सवाल है तो इसमें उन्हें बहुत से लोग फ्लाप करार दे चुके हैं। यहां तक खुद उनकी पार्टी के पार्षद उनसे इसलिए नाराज रहे क्योंकि वे वार्डों के विकास कार्यों में उनकी उस तरह की मदद नहीं कर सकीं, जिसकी उनसे अपेक्षा थी। हालांकि निवर्तमान महापौर सुनीता वर्मा का दावा है कि दुश्वारियों से जूझते हुए उन्होंने मेरठ नगर निगम विकास कार्य कराने में कोई कमी नहीं छोड़ी है।
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विपरीत परिस्थितियों में कराए शहर के विकास कार्य
पार्षदों की नाराजगी की बाबत तो निवर्तमान महापौर सुनीता वर्मा कुछ नहीं कहती हैं, अलबत्ता यह दावा जरुर करती हैं कि उनके द्वारा ज्यादातर विपरीत परिस्थितियों के बावजूद शहर के विकास के लिए जितना कार्य कराया जा सकता था, बखूबी करा दिया गया है। सुनीता वर्मा कहती हैं- ‘पांच साल पहले 12 दिसम्बर 2017 को जनता की सेवा के लिए नगर निगम बोर्ड का गठन हुआ था। 90 पार्षदों ने साथ में शहर को विकास के पथ पर आगे बढ़ाने की शपथ ली थी। इस दौरान गांवड़ी और लोहिया नगर में कूड़ा निस्तारण प्लांट मेरे कार्यकाल में लगा। गांवड़ी का कूड़े का पहाड़ खत्म हुआ। हमारी कोशिश मंगतपुरम का भी कूड़ा खत्म करने का प्लांट लगाने की थी। लेकिन बजट के अभाव के कारण ऐसा नहीं हो सका। गांवड़ी में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगवाना चाहते थे। लेकिन दो कंपनियों के विवाद के चलते इसमें भी सफल नहीं हो सके। पेयजल की सुविधा के लिए नलकूपों पर स्काडा सिस्टम इसी बोर्ड की देन है।’
पांच साल में मिले चार नगर आयुक्त
अपनी दुश्वारियों के बारे में बात करते हुए सुनीता वर्मा कहती हैं, ‘पांच साल के कार्यकाल में चार नगर आयुक्त मिले। काम बहुत कराना चाहती थी, लेकिन जल्दी-जल्दी अधिकारियों के स्थानांतरण से विकास कार्य कराना चुनौतीपूर्ण रहा। कोरोना महामारी के कारण भी विकास कार्य प्रभावित हुए। बता दें कि 2017 के चुनाव में बसपा से पूर्व विधायक योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा को मायावती ने प्रत्याशी घोषित किया। चुनाव भाजपा और बसपा के बीच शुरू से रहा। नतीजा आया तो सुनीता वर्मा मेरठ की पहली दलित मेयर बनीं। हालांकि चुनाव जीतने के करीब तीन साल बाद सुनीता वर्मा अपने पति पूर्व विधायक योगेश वर्मा के साथ सपा में शामिल हो गईं थीं।